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कर्मचारियों की मांगों पर सहमति के बाद भी क्रियान्‍वयन न होना खेदजनक

-कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश ने मुख्‍यमंत्री से जतायी नाराजगी

वी पी मिश्रा

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष वी पी मिश्रा एवं महासचिव शशी कुमार मिश्रा ने मुख्यमंत्री को लाखों कर्मचारियों-शिक्षकों की ओर से नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए नाराजगी व्‍यक्‍त की है कि कर्मचारियों की मांगों पर सहमति के 2 वर्षों से लंबित निर्णयों पर अब क्रियान्‍वयन नहीं हुआ है, यह कर्मचारियों का मनोबल तोड़ रहा है।

श्री मिश्र ने आग्रह किया है कि प्रदेश का कर्मचारी प्रदेश सरकार के कार्यक्रमों को सफल बनाने एवं कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से संक्रमित लोगों के इलाज में खतरा मोल ले कर उन्हें स्वस्थ करने में स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, नर्सेज, फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, एक्सरे टेक्नीशियन, बेसिक हेल्थ वर्कर प्रयोगशाला सहायक एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ, वार्ड बॉय, एवं सफाई एवं नगर निगम कर्मचारी नगर पंचायतों के कर्मचारी का अभूतपूर्व योगदान रहा है। कई विभागों के कर्मचारी शहीद भी हो चुके हैं।

वी पी मिश्रा ने नाराजगी व्यक्त की है कि कर्मचारियों की मांगों पर निर्णय 2 वर्ष से लंबित पड़े हैं जबकि मुख्य सचिव स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं। आपको भी पत्र भेजकर कई बार आग्रह किया जा चुका है। सत्य निष्ठा से कार्य करने के बावजूद उनकी उपेक्षा करना न्यायोचित नहीं है। इससे कर्मचारियों का मनोबल गिरता जा रहा है।

उन्‍होंने कहा है कि कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में 1. राज्य सरकार द्वारा गठित वेतन समिति की संस्तुतियों के अनुरूप मंत्रिपरिषद से निर्णय कराकर शासनादेश जारी किया जाए लॉकडाउन में रोके गए भत्तों को वापस लौटाया जाए।

2. स्थानीय निकाय कर्मचारियों की सेवा संवर्ग का पुनर्गठन करके राज्य कर्मचारियों की भाग सातवां वेतन आयोग का पूरा लाभ दिया जाए।

3. राजकीय निगमों में शेष बचे निगमों के कर्मचारियों को भी सातवें वेतन आयोग का लाभ दिया जाए। कुछ निगमों चौथे पांचवें एवं छठे वेतन आयोग में काम कर रहे हैं उनके बारे में मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए सुझाव दिया जा चुका है।

4. आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को देखते हुए रिक्त पदों की भर्ती में उन्हें वरीयता दी जाए।

5. सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षणेतर कर्मचारियों को राज्य कर्मचारियों की भांति सेवानिवृत्ति पर 300 दिन का अवकाश नकदीकरण दिया जाए।

6. तदर्थ माध्यमिक शिक्षकों का विनियमितीकरण किया जाए।

7. कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की नियमावली को संशोधित करते हुए सुझाव आग्रह जारी किया जाए। इलाज पर हुए खर्च को रिम्बर्समेंट भी नहीं किया जा रहा है।

श्री मिश्र ने कहा है कि प्रदेश सरकार कई क्षेत्रों में सराहनीय विकास कर रही है। कर्मचारी भी आभारी होंगे यदि उनकी मांगों पर तत्काल सकारात्मक निर्णय कर दें।