-केजीएमयू के कलाम सेंटर में आयोजित हुई पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन पर द्वितीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
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सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, उ0प्र0, लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने कहा है कि श्वसन के गंभीर एवं पुराने रोगियों के लिए पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन एक वरदान है। देश में लगभग 10 करोड़ लोग सांस की बीमारियों से ग्रस्त हैं। इन सांस के रोगियों के लिए उपचार के साथ-साथ पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रमुख श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे- अस्थमा, सीओपीडी, आईएलडी, ब्रोंकिइक्टेसिस आदि शामिल हैं, जिनमें पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की विशेष भूमिका होती है।
डॉ सूर्यकान्त ने यह बात 3 मार्च को केजीएमयू के कलाम सेंटर में आयोजित पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन पर द्वितीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कही। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि फेफड़े की टीबी के रोगी जिनके इलाज के बाद भी सांस फूलती रहती है ऐसे रोगियों के इलाज में भी पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रमुख भूमिका निभाता है। जब कोई रोगी हमारे पास आता है, तो हमारा पहला उद्देश्य उसका उपचार करना होता है, दूसरा उसके लक्षणों पर नियंत्रण स्थापित करना, तीसरा उसे राहत प्रदान करना, और चौथा उसकी बीमारी की तीव्रता को कम करना। यदि इसे रोकने में असमर्थता होती है, तो वहीं से पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की भूमिका शुरू होती है।
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इसी क्रम में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा0 अंकित कुमार ने अस्थमा से पीड़ित रोगियों व उनकी समस्याओं के निदानों पर अपने विचार सबके प्रस्तुत किए। एम्स गोरखपुर से आये एसोसिएट प्रोफेसर डा0 अमित रंजन ने पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में आ रही समस्याओं व् उसके वैकल्पिक निदानों पर अपने विचार प्रस्तुत किये। साथ ही, डा0 बी.पी. सिंह, डा0 निशा मणि पांडेय, डा0 ए के सिंह व डा0 आनन्द गुप्ता ने भी विचार साझा किये। कार्डियो रेस्पिरेटरी फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डा0 शिवम श्रीवास्तव ने पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में की जाने वाली जांचों एवं उनकी उपयोगिता के साथ-साथ सम्पूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।
इस कार्यक्रम में लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमें स्वास्थ्य विभाग के डा0 ऋषि कुमार सक्सेना, डा0 मोहम्मद आमिर के साथ रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डा0 आर.ए.एस. कुशवाहा, डा0 संतोष कुमार, डा0 दर्शन बजाज व अन्य कई अस्पतालों और संस्थानों के पल्मोनोलॉजिस्ट, फ़िज़ियोथेरेपिस्ट, डायटीशियन, साइकोलोजिस्ट भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अन्त में प्रतिभागियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें उन्हें यह सिखाया गया कि सांस के रोगियों को पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के लिए कैसे चयनित किया जाए, कैसे उन्हें उपयुक्त डाइट की जानकारी दी जाए, कैसे उनकी काउंसलिंग की जाए, विभिन्न व्यायाम कैसे सिखाए जाएं, और उनकी मॉनिटरिंग कैसे की जाए।
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