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15 साल तक के बच्‍चों को दिमागी बुखार से बचाने के लिए 11 और जिलों में तैयारियां

गोरखपुर व बस्‍ती मंडलों में कार्यक्रम सफल रहने के बाद 11 और जिलों को शामिल किया गया

लखनऊ। एक्‍यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस से बच्‍चों को बचाने के लिए उत्‍तर प्रदेश के दो मंडलों के 11 और जिलों में विशेष अभियान ‘दस्‍तक’ चलाया जायेगा। यह अभियान आगामी 1 जुलाई से शुरू होकर 15 जुलाई तक चलेगा। पूर्व में गोरखपुर-बस्‍ती मंडलों में चले विशेष अभियान की सफलता को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। इसके तहत पहले घर-घर जाकर 1 वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्‍चों वाले घरों को चिन्हित किया जायेगा। उसके बाद चिन्हित घरों में जाकर अभिभावकों को बताया जायेगा कि अगर उनके बच्‍चों को बुखार आये तो तुरंत ही सूचना दें ताकि उनकी जांच कराके बुखार की गंभीरता देख ली जाये, अगर एईएस  वाला हो तो उसका तुरंत उपचार शुरू होने से बच्‍चों की जान का खतरा बचाया जा सकता हैं।

 

यह जानकारी मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ नरेन्‍द्र अग्रवाल ने लखनऊ के लिए की गयी दस्‍तक अभियान की तैयारी की जानकारी देने के लिए बुलायी गयी पत्रकार वार्ता में दी। उन्‍होंने बताया कि एईएस में दिमागी बुखार होने के कारण ही मुख्‍य रूप से मौत का खतरा रहता है, ऐसे में समय रहते जल्‍दी इसका पता चलने से बच्‍चे को तुरंत ट्रीटमेंट देकर बचाया जा सकता है। उन्‍होंने बताया कि गोरखपुर और बस्‍ती मंडलों में चले इस अभियान का ही नतीजा है कि वहां पर एईएस से होने वाली मौतों की संख्‍या में तेजी से गिरावट देखी गयी। इसी को देखते हुए इस बार यहां लखनऊ और देवीपाटन दो मंडलों के 11 जिलों में इस अभियान को चलाये जाने का निर्णय किया गया है। जिन जिलों में यह अभियान इस बार शुरू होगा उनमें राजधानी लखनऊ के साथ ही रायबरेली, उन्‍नाव, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी, बहराइच, बलरामपुर, गोण्‍डा, श्रावस्‍ती और बाराबंकी शामिल हैं।

 

पत्रकार वार्ता में शामिल डॉ केपी त्रिपाठी ने बताया कि इस अभियान के लिए चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को नोडल विभाग के रूप में चुना गया है तथा अन्‍य विभाग जैसे नगर विकास, पंचायती राज, महिला एवं बाल विकास, ग्राम विकास, पशुपालन, कृषि, सिंचाई, बेसिक शिक्षा, माध्‍यमिक शिक्षा, दिव्‍यांगजन विभाग, स्‍वच्‍छ भारत मिशन विभाग स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के साथ मिलकर काम करेंगे।

 

उन्‍होंने बताया कि इस अभियान के सफल संचालन के लिए ब्‍लॉक स्‍तरीय केंद्रों के चिकित्‍सा अधिकारियों एवं स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा अधिकारियों का प्रशिक्षण किया जा चुका है तथा उनके द्वारा अपने-अपने स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में आशा, एएनएम, आंगनवाड़ी, स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता, स्‍वास्‍थ्‍य पर्यवेक्षक जैसे अग्रिम पंक्ति के लोगों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।