Wednesday , April 24 2024

संक्रमण से होने वाली मौतों में 20 फीसदी मृत्‍यु का कारण है निमोनिया

-विश्व निमोनिया दिवस (12 नवम्बर) पर डॉ सूर्यकान्‍त का विशेष संदेश

-विश्व निमोनिया दिवस (12 नवम्बर) पर डॉ सूर्यकान्‍त का विशेष संदेश-विश्व निमोनिया दिवस (12 नवम्बर) पर डॉ सूर्यकान्‍त का विशेष संदेश

डॉ. सूर्य कान्त

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। फेफड़ों में सूजन या पानी भर जाने की स्थिति को निमोनिया कहते हैं। यह एक आम बीमारी है जिसका बचाव एवं इलाज पूरी तरह संभव है लेकिन समय पर सही इलाज न कराने पर यह गंभीर रूप भी ले सकती है। देश में संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु में से लगभग 20 फीसदी मौत निमोनिया की वजह से होती हैं। समुदाय में जागरूकता के लिए ही हर साल 12 नवम्बर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है।  

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व आईएमए-एएमएस के नेशनल वाइस चेयरमैन डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि फेफड़े के संक्रमण की वजह से तो निमोनिया हो ही सकती है, कुछ अन्य कारण भी हैं जिनसे यह हो सकती है, जैसे -केमिकल निमोनिया, एस्परेशन निमोनिया, ऑबस्ट्रक्टिव निमोनिया। बैक्टीरिया (न्यूमोकोकस, हिमोफिलस, लेजियोनेला, मायकोप्लाज्मा, क्लेमाइडिया, स्यूडोमोनास) के अलावा कई वायरस (इन्फ्लूएन्जा, स्वाइन फ्लू एवं कोरोना), फंगस एवं परजीवी रोगाणुओं के कारण भी निमोनिया हो सकती है। क्षय रोग यानि टीबी के कारण भी फेफड़े में निमोनिया हो सकती है।

डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि 19वीं शताब्दी में विलियम ओस्लर द्वारा निमोनिया को ’’मौत का सौदागर’’ कहा गया था, लेकिन 20वीं सदी  में एंटीबायोटिक उपचार व टीकों के कारण मृत्युदर में कमी आयी है। विकासशील देशों में बुजुर्गों, बच्चों और रोगियों में निमोनिया अब भी मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि निमोनिया का संक्रमण हालांकि किसी को भी हो सकता है लेकिन कुछ बीमारियां व स्थितियां ऐसी हैं, जिसमें निमोनिया का खतरा अधिक होता है। इनमें शामिल हैं-धूम्रपान, मदिरापान करने वाले, डायलिसिस करवाने वाले, हृदय, फेफड़े, लीवर की बीमारियों के मरीज, मधुमेह, गंभीर गुर्दा रोग, बुढ़ापा या कम उम्र (नवजात) एवं कैंसर व एड्स के मरीज जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2019 में निमोनिया से 25 लाख लोगों की मृत्यु हुई। सभी पीड़ितों में से लगभग एक तिहाई पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे, यह पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण है। हर 43 सेकेंड में निमोनिया से एक बच्चे की मौत हो जाती है। प्रतिवर्ष निमोनिया से लगभग 45 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं, जो कि विश्व की जनसंख्या का सात प्रतिशत है।

निमोनिया के प्रसार के प्रमुख कारक : 

– सांस के रास्ते यानि खांसने या छींकने से

– खून के रास्ते- डायलिसिस वाले मरीज या अस्पताल में लम्बे समय से भर्ती मरीज 

– एसपीरेशन- मुंह एवं ऊपरी पाचन नली के स्रावों का फेफड़ों में चले जाना 

निमोनिया के प्रमुख लक्षण :

तेज बुखार, खांसी एवं बलगम (कई बार खून के छीटें भी हो सकते है), सीने में दर्द, सांस फूलना एवं कुछ मरीजों में दस्त, मतली और उल्टी, व्यवहार में परिवर्तन जैसे मतिभ्रम, चक्कर, भूख न लगना, जोड़ों और मांशपेशियों में दर्द, सर्दी लगकर शरीर ठंडा पड़ जाना, सिरदर्द, चमड़ी का नीला पड़ना आदि।

जरूरी जाँच : 

 खून व बलगम की जांच, छाती का एक्स-रे, निमोनिया की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण जांचें हैं। कोविड निमोनिया की जांच के लिए आरटी-पीसीआर की जांच के अतिरिक्त फेफड़े का सीटी स्कैन भी कराना पड़ता है।

प्रमुख इलाज :  

डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि सबसे ज्यादा होने वाली निमोनिया यानि बैक्टीरियल निमोनिया का मुख्य इलाज है- एंटीबायोटिक्स जो कि बीमारी का कारण बने हुए जीवाणु पर कार्य करता है। अधिकतर मरीज ओपीडी द्वारा इलाज करा सकते हैं, लेकिन यदि यह बीमारी किसी अन्य बीमारी के साथ जुड़ी हुई है, 65 वर्ष के ऊपर की उम्र के व्यक्ति को हुई है या रोगी गम्भीर रूप से बीमार है, तो अक्सर अस्पताल में भर्ती करके इलाज कराना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त तरल पदार्थ का सेवन, आक्सीजन (अगर सांस तेज फूल रही है), नेबुलाइजेशन अन्य उपाय हैं। कोविड निमोनिया की तीव्रता नापने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर से आक्सीजन का स्तर नापना एक सरल उपाय है। यदि इसकी रीडिंग 94 से कम है तो गम्भीर तथा 90 से कम है तो अति गम्भीर निमोनिया को दर्शाती है।

निमोनिया से कैसे करें बचाव : 

– यह बीमारी ठंड में ज्यादा होती है, अतः ठंड से बचें, बच्चे व वृद्ध खास सतर्कता बरतें 

– पानी का पर्याप्त सेवन करें, धूम्रपान, शराब एवं अन्य नशा का त्याग करें, मधुमेह एवं अन्य बीमारियों को नियंत्रण में रखें। 

– निमोनिया का प्रमुख कारण न्यूमोकोकस जीवाणु होता है, अतः इससे बचने के लिए न्यूमोकोकल वैक्सीन लगवानी चाहिए। 65 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति, जटिल हृदय रोग, लीवर व किड़नी रोगी, दमा एवं सांस की बीमारियों के मरीज, मधुमेह एवं एड्स पीड़ित, शराब का नशा करने वाले एवं वह मरीज जिनकी तिल्ली निकाल दी गई हो, को अवश्य वैक्सीन लगवानी चाहिए। ऐसे रोगियों को प्रतिवर्ष इन्फ्लूएन्जा की वैक्सीन भी लगवानी चाहिए, जो कि वायरल निमोनिया से भी बचाती है।

– अस्पताल में होने वाले संक्रमण से बचाव के अलग-अलग तरीके हैं, जैसे – सही तरीके से हाथ धोना, नेबुलाइजर एवं आक्सीजन के उपकरण का उचित देखभाल आदि।

– कोविड निमोनिया से बचाव के लिए सम्पूर्ण टीकाकरण करायें व कोविड अनुशासनात्मक व्यवहार का पालन करें। हाथ न मिलाकार नमस्ते करें, बार-बार हाथ धुलें, आपस में दो गज की दूरी बनाकर रखें, भीड़भाड़ से बचें और घर से बाहर निकलते ही मास्क लगायें। मास्क न सिर्फ कोरोना से बचाव करता है बल्कि वायु प्रदूषण, परोक्ष धूम्रपान व निमोनिया व टी.बी. जैसी बीमारियों से भी बचाव करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.