-इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन ने प्रधानमंत्री से मांगा मिलने का समय

सेहत टाइम्स
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने प्रधानमंत्री से पुनः गुहार लगाई है कि आप सब की पीड़ा तो दूर कर रहे हैं परंतु देश भर के करोड़ों कर्मचारियों की पीड़ा को सुनने के लिए आपके पास समय ही नहीं है। इप्सेफ द्वारा कई बार पत्र ज्ञापन भेज कर आग्रह किया जा चुका है। जब आप नहीं सुनते हैं तो भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी नहीं सुनते हैं। आप भिज्ञ होंगे कि कर्मचारियों की नाराजगी होने वाले लोकसभा चुनाव में भारी पड़ सकती है।
इप्सेफ के राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्र ने यह विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इप्सेफ की मांग है कि एक देश एक वेतन सुविधा दी जाए इसके लिए वेतन आयोग का गठन किया जाए एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन लागू की जाए। आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों की सेवाएं सुरक्षित करने के लिए नीति बनाई जाए तथा जिस पद पर कार्य करते हैं, उसका न्यूनतम वेतन के बराबर उन्हें पारिश्रमिक दिया जाए। सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करने के बजाय उन्हें और सुदृढ़ किया जाए। स्थानीय निकायों सार्वजनिक निगमन के कर्मचारियों को घाटे के नाम पर उनके देयों का भुगतान न रोका जाए तथा उन्हें सातवें वेतन आयोग का पूरा लाभ दिया जाए। इसके लिए उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में आंदोलन चल रहे हैं परंतु मुख्यमंत्री उनकी मांगों/पीड़ा को अनसुनी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की महामारी में कर्मचारियों ने अपनी जान पर खेल कर पूरा सहयोग दिया था और दे रहे हैं। खासतौर से स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का योगदान सराहनीय रहा है और है उनकी भी पीड़ा नहीं सुनी जा रही है।
इप्सेफ ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि कर्मचारियों की पीड़ा को सुनाने के लिए समय प्रदान करें तथा अपने मुख्यमंत्री गण को भी निर्देश दें कि जनता के साथ कर्मचारियों की पीड़ा को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करके समस्याओं का निवारण करें इससे आपसी सद्भाव बढ़ेगा और विकास कार्यों में और तेजी आएगी।

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