-ऐसा हेल्पलाइन नम्बर हो जहां आसानी से समय रहते पूरी हो जायें सारी औपचारिकताएं
सेहत टाइम्स
लखनऊ। ऑर्गन डोनेशन का कॉन्सेप्ट बहुत ही अच्छा है लेकिन इसे सरल बनाने की जरूरत है जिससे कोई भी व्यक्ति आसानी से समझ सके और मौका पड़ने पर सार्थक तरीके से अंगों का दान कर सके।
यह बात सीनियर गाइनीकोलॉजिस्ट डॉ सरस्वती देवी ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में रविवार को आयोजित सतत शिक्षा शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) में अपने व्याख्यान के दौरान कही। उन्होंने बताया कि इसके लिए बने कानून के अनुसार ऑर्गन डोनेशन कौन दे सकता है, परिवार की सहमति जरूरी है। उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड, मृत्यु के बाद शरीर के कौन से अंग कितनी देर तक निकाले जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के अंगों के दान से आठ लोगों को नयी जिन्दगी मिलती है, इसलिए यह दान महादान से कम नहीं है।
उन्होंने कहा कि एक्सीडेंट में किसी की जान जाती है तो अचानक से उस समय इतनी चुनौतियां आ जाती हैं कि समय रहते अंग दान करने के लिए कैसे तैयारी करें। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा एक हेल्पलाइन नम्बर हो जिस पर फोन करके इन औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा कराने में मदद मिल सके, क्योंकि अंग को समय रहते निकाले जाने से ही अंगदान की सार्थकता सिद्ध होगी।
उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसा प्रावधान भी रखा जा सकता है कि आईसीयू में मरीज को ले जाते समय परिजनों के सामने यह सुझाव रखें कि आपका मरीज को अगर कुछ हो जाता है तो आप अंगदान करेंगे अथवा नहीं, अगर आप अंगदान करते हैं तो आपसे कोई चार्ज नहीं लिया जायेगा अन्यथा आपको सभी खर्चे देने होंगे। यह प्रावधान प्राइवेट अस्पतालों में भी लागू हो। यदि वह अंगदान के लिए तैयार हो जाता है तो उसके बिल का सारा खर्च सरकार वहन करे और जिस व्यक्ति के अंग प्रत्यारोपित किया जा रहा है उससे उस खर्च की प्रतिपूर्ति की जाये।