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चिकित्‍सा प्रति‍पूर्ति के भुगतान को पुरानी तर्ज पर देने का शासनादेश एक माह में

-पूर्व में हुए अन्‍य मांगों पर समझौते के लम्बित शासनादेशों पर भी जल्‍दी होगा विचार
-कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चे के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्‍य सचिव से मिलकर दी सहमति के बावजूद शासनादेश न होने की जानकारी

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए बजट व्यय के मानक मदों की ग्रुपिंग को पूर्व की भांति करने पर सहमति जताते हुए एक माह में शा‍सनादेश जारी करने के निर्देश मुख्‍य सचिव आरके तिवारी ने वित्‍त विभाग को दिये हैं, इसी के साथ अन्‍य मांगों वेतन विसंगति दूर करने, भत्तों में समानता सहित वेतन समिति की संस्तुतियों पर निर्णय करने, स्थानीय निकाय की वेतन विसंगति दूर करने, पदों के पुनर्गठन, राजकीय निगमों में 7वां वेतन आयोग लागू करने, विकास प्राधिकरण की सेवानिवृत्ति, शिक्षा विभाग में 300 दिनों का अवकाश नकदीकरण, पुरानी पेंशन, समाप्त 6 भत्तों को पुनः बहाल करने सहित अनेक मांगों, जिन पर तत्‍कालीन मुख्‍य सचिव के साथ समझौता हो चुका था, पर शासनादेश पर भी शीघ्र निर्णय लिये जाने का आश्‍वासन मुख्‍य सचिव ने दिया है। गुरुवार को नाराज कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्र के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने मुख्‍य सचिव से कर्मचारियों में पनप रहे आक्रोश की जानकारी दी।

प्रतिनिधिमंडल में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्र ने बताया कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए बजट व्यय के मानक मदों की ग्रुपिंग में फेरबदल कर व बजट का 75% कैशलेस इलाज के लिए आरक्षित करने से लाखों कर्मचारियों का चिकित्सा प्रतिपूर्ति विगत कई माह से लंबित है। उन्‍होंने बताया कि मुख्‍य सचिव से कहा गया है कि कैशलेस इलाज की सुविधा अधिकारियों द्वारा रुचि न लेने के कारण आज भी प्रक्रिया में है और प्रतिपूर्ति न होने के कारण कर्मचारियों में काफी रोष व्याप्त है। व्यय के मानक मदों की गुपिंग पूर्ववत करते हुए 1, 3, 6, 49 मद को एक साथ ग्रुप करने की मांग की गई, अवगत कराया गया कि कर्मचारियों की चिकित्सा में व्यय होने वाले मद की ग्रुपिंग में गलत रूप से फेरबदल के कारण वित्तीय वर्ष 2018-19 में कर्मचारियों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाखों रुपये का भुगतान नहीं हो सका। अधिकांश कर्मचारी मार्च माह में भुगतान की आस लगाये थे, परन्तु बजट कम आवंटित होने, कैशलेश के नाम पर बजट की कटौती होने तथा मानक मद 01-वेतन, 03-मंहगाई भत्ता, 06-अन्य भत्ते के ग्रुप से चिकित्सा प्रतिपूर्ति सम्बन्धी मद 49-चिकित्सा व्यय को अलग कर दिये जाने के कारण भुगतान पूर्ण नहीं हो सका।

विदित हो कि पूर्व प्रचलित व्यवस्था के तहत उक्त चारों मद एक ही ग्रुप में थे, जिससे कि एक ही ग्रुप के किसी भी मद में धनराशि कम होने पर दूसरे मद की धनराशि उपयोग कर ली जाती थी, परन्तु प्रमुख सचिव, वित द्वारा 04.10.2018 के आदेश के अनुसार ग्रुप-1 में से 49-चिकित्सा व्यय को अलग कर दिया गया, जिससे कि वित्तीय वर्ष के अन्त में कर्मचारियों का लाखों रूपये का चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान रुक गया।

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्‍य सचिव से कहा कि उनके स्तर से पूर्व में भी कई निर्देश दिए गए पर वित्त विभाग द्वारा कोई औपचारिक कार्यवाही नहीं की गई। जिस पर आज मुख्य सचिव ने अपर मुख्य सचिव वित्त को एक माह के अन्दर पूर्व की व्यवस्था को बहाल कर अवगत कराने के लिए परिषद के पत्र पर निर्देश दिए।

प्रतिनिधिमंडल आज मुख्य सचिव से लोकभवन में मिला एवं पूर्व में हुए समझौतों एवं अन्य मांगों  से मुख्य सचिव को अवगत कराया गया। उनसे मांग की गई  कि राजकीय निगमों में जिन निगमों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिला है तथा अत्यधिक घाटे में चल रहे 08 निगमो को बंद करके उनके कर्मचारियों को विभाग में समायोजित करने तथा महंगाई भत्ते की किस्‍त का भुगतान आदि मामलों पर तत्काल निर्णय किया जाए। उल्लेखनीय है कि स्थानीय निकाय के 558 दैनिक भोगियो को विनियमितीकरण करने, संवर्ग पुनर्गठन एवं वेतन विसंगितयों पर विभाग द्वारा कोई निर्णय नहीं किया गया है।

वार्ता में आज कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्रा, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा, शशि मिश्रा अध्यक्ष स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ, कैसर रजा, गोमती त्रिवेदी, मनोज मिश्रा अध्यक्ष, घनश्याम यादव महामंत्री राजकीय निगम कर्मचारी महासंघ, परिषद के संगठन प्रमुख केके सचान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव, पीके सिंह, मानवेन्द्र सिंह, आशीष पाण्डेय, सतीश यादव, जीसी दुबे, एस एन सिंह, आदि उपस्थित थे।