क्षेत्र, भाषा, प्रदेश, देश, मरीज की बोली कुछ भी हो, चिकित्सीय कोष में होगा यूनिवर्सल कोड
नयी बीमारियों के कोड जोड़ने, इनका इस्तेमाल के लिए केजीएमयू में प्रशिक्षण के लिए कार्यशाला आयोजित
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। दुनिया भर में बिना देरी मरीज का इलाज करने में देश, प्रदेश, क्षेत्र, बोली, भाषा, बाधक न हो, इसके लिए बीमारियों, डायग्नोसिस की यूनिवर्सल पहचान के लिए एक चिकित्सीय कोष तैयार हो रहा है। इसे बढ़ावा देने के लिए एक कार्यशाला आईसीडी-10 का आयोजन किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में शनिवार को किया गया।
शताब्दी अस्पताल फेज 2 में आयोजित इस कार्यशाला के बारे में जानकारी देते हुए नोडल ऑफीसर केजीएमयू ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉ राजीव मिश्र ने बताया कि आजकल मेडिकल टूरिज्म के दौर में कहीं का भी मरीज कहीं भी इलाज करा रहा है, भारत की ही बात करें तो दक्षिण भारत का मरीज उत्तर भारत में इलाज कराने आता है, उत्तर का दक्षिण में इलाज कराने जाता है। बहुत से ऐसे सिम्पटम और बीमारी के शब्द होते हैं जो क्षेत्रीय हिसाब से अलग-अलग बोले जाते हैं। ऐसे में मरीज या उसके तीमारदार के साथ चिकित्सक को संवाद करने में कठिनाई आती है।
उन्होंने बताया कि चिकित्सीय कोष तैयार करने में हर बीमारी, लक्षणों के लिए एक कोड तैयार किया जाता है, यह कोड पूरे विश्व में एक ही होता है, ऐसे में उस मरीज का इलाज करने वाले चिकित्सक को उसके परचे पर वह कोड लिखना होता है, इससे लाभ यह है कि जब वह मरीज दूसरे स्थान पर इलाज कराने पहुंचता है तो वहां के चिकित्सक को उस मरीज की बीमारी, उसके लक्षणों को समझने में समय नहीं गंवाना पड़ेगा, इस तरह से मरीज का इलाज गोल्डन आवर्स में ही हो सकेगा।
डॉ राजीव ने बताया कि यहां आईसीडी-10 यानी आईसीडी का दसवां संस्करण आयोजित किया गया है, इसमें फिलहाल मेडिकल कॉलेज और टरशरी हॉस्पिटल के चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों तक को सिखाने की योजना है, ताकि इसके उद्देश्य की पूर्ति हो सके।
डॉ राजीव ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य ट्रामा सर्जरी, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलीजेंस (CBHI), रीजनल ऑफिसेज ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (ROHFW), लखनऊ और एसोसिएशन ऑफ रिसर्च द्वारा संयुक्त रूप से तृतीयक देखभाल अस्पतालों में आईसीडी-10 का प्रचार और अभ्यास करना है।
वी.के.चौधरी, क्षेत्रीय निदेशक CBHI, ROHFW, लखनऊ ने मुख्य अतिथि के रूप में तथा एमसी शुक्ला, उप निदेशक, CBHI, ROHFW, लखनऊ ने विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया। इसके अलावा केजीएमयू के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के डॉ एस.के.सिंह ने भी इसमें हिस्सा लिया। श्री चौधरी ने ICD 10 के महत्व के बारे में चर्चा की जबकि श्री शुक्ला ने प्रचार और अभ्यास के बारे में चर्चा की डॉ राजीव मिश्र ने आईसीडी-10 के मूल कोडिंग दिशानिर्देश ICD 10 और ICF के भविष्य के बारे में चर्चा की।