-संजय गांधी पीजीआई के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में शोल्डर और एल्बो रिहैबिलिटेशन क्लीनिक शुरू
-क्लीनिक में कंधे के दर्द की पूरी जांच और मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम व जोड़ के बायोमैकेनिक्स के विस्तृत मूल्यांकन की सुविधा
सेहत टाइम्स
लखनऊ। कंधे का प्रत्येक दर्द फ्रोजन शोल्डर नहीं होता और कोहनी का हर दर्द टेनिस एल्बो नहीं होता। अगर हम कारण और विकृति का निदान नहीं करते हैं तो हम समस्या का मूल रूप से इलाज नहीं कर सकते, बड़ी समस्या गलत निदान है। समस्या जोड़ों और हड्डियों में ही हो सकती है, रोटेटर कफ की मांसपेशियों और टेंडन, इन मांसपेशियों के आसपास बर्सा, कलाई और अग्रभाग की मांसपेशियों, ग्रीवा रीढ़, साथ की नसों में और दोषपूर्ण बायोमैकेनिक्स के कारण भी हो सकती है।
यह कहना है संजय गांधी पीजीआई लखनऊ के फिजिकल मेडिसिन और रिहैबिलिटेशन विभाग के फिजियाट्रिस्ट डॉ सिद्धार्थ राय का। उन्होने बताया कि समस्या की देखरेख करते हुए, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग ने हर मंगलवार सुबह 9 बजे से एसजीपीजीआईएमएस के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में एक समर्पित शोल्डर और एल्बो रिहैबिलिटेशन क्लिनिक शुरू किया है। क्लिनिक का उद्देश्य कंधे के दर्द की पूरी जांच करना और मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम और जोड़ के बायोमैकेनिक्स का पूरा मूल्यांकन करना है। जिन लोगों को अधिक सटीक मूल्यांकन की आवश्यकता है, उनके लिए ओपीडी में एक आधुनिक मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड मशीन है। जांच उसी समय की जाएगी। बाद में मरीजों को एक अनुकूलित उपचार दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कंधे का दर्द आजकल हर घर में लोगों द्वारा सामना की जाने वाली एक आम समस्या है। यह लगातार अकड़न और कपड़े पहनने, बाल बांधने या ओवरहेड शेल्फ से कोई वस्तु उठाने जैसे साधारण दैनिक कार्य करने में कठिनाई के साथ हो सकता है। इसके अलावा कोहनी में दर्द की शिकायत भी मस्कुलोस्केलेटल दर्द ओपीडी में देखी जाने वाली सबसे आम दर्द समस्याओं में से एक है। इस प्रवृत्ति को कंधे और कोहनी की मांसपेशियों के अत्यधिक और गलत उपयोग, तनाव और माइक्रोटियर के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। मधुमेह और हाइपोथायरायडिज्म जैसी सह-रुग्ण स्थितियों का प्रचलन भी कंधे और कोहनी की विकृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
डॉ सिद्धार्थ ने बताया कि रीजेनेरेटिव मेडिसिन Regenerative Medicine को चिकित्सा का भविष्य कहा जाता है। विभाग में प्लेटलेट रिच प्लाज्मा इंजेक्शन और प्रोलोथेरेपी जैसे यूएसजी निर्देशित पुनर्योजी उपचारों की सुविधा है। इस उपचार में ऊतक स्तर पर विकृति का इलाज करने के लिए शरीर के अपने पुनर्योजी और उपचार तंत्र को उत्तेजित करना शामिल है। विभाग में दर्द को नियंत्रित करने के लिए कुछ नवीनतम तरीके और मशीनें भी हैं जैसे एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल शॉक वेव थेरेपी, लेजर थेरेपी और क्रायोथेरेपी। दर्द पर नियंत्रण प्राप्त होने के बाद, फिजियोथेरेपिस्ट और व्यावसायिक चिकित्सकों की एक टीम रोगियों को व्यक्तिगत मांसपेशी प्रशिक्षण, व्यायाम, टेंडन लोडिंग कार्यक्रम और कार्य संशोधनों पर शुरू करेगी ताकि रोगी के कार्यों में समग्र सुधार हो और दर्द की पुनरावृत्ति की कोई संभावना न हो।
एटीसी प्रमुख प्रोफेसर अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि इस विशेष क्लिनिक की खासियत यह है कि यहां निदान, अल्ट्रासाउंड मूल्यांकन, पीआरपी जैसी पुनर्योजी चिकित्सा की तैयारी और शारीरिक एवं व्यावसायिक चिकित्सा जैसी सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध हैं। इससे न केवल मरीज का समय बचता है बल्कि उनके लिए सुविधाजनक भी होता है। कंधे और कोहनी में खेल, चोटों जैसी स्थितियों के लिए एक समग्र उपचार कार्यक्रम और उपचार के बाद पुनर्वास व्यक्ति को चोट से पहले के खेल स्तर पर वापस लाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।