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एनएचएम के संविदा कर्मियों ने किया आर-पार की लड़ाई का ऐलान

-15 जुलाई को काला फीता बांधने से करेंगे शुरुआत, कार्य बहिष्‍कार के बाद 26 जुलाई को मिशन निदेशक का होगा घेराव

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। शासन-प्रशासन की लगातार उपेक्षा झेल रहे एनएचएम स्वास्थ्य संविदा कर्मियों ने अब अपने मुद्दों को लेकर आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। इसके लिए आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली गयी है। आंदोलन कल 15 जुलाई से प्रारम्‍भ होगा।

यह जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संघ (रजि.) के अध्‍यक्ष ठा. मयंक प्रताप सिंह ने बताया कि गत दिवस 13 जुलाई को स्टेट पदाधिकारियों की जनपद तथा मंडल पदाधिकारियों के साथ हुई वर्चुअल बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया जिसके अनुसार शासन का ध्‍यान आकृष्‍ट करने के लिए समस्त एनएचएम कर्मचारी 15 जुलाई और 16 जुलाई को काला फीता बांधकर कार्य करेंगे। इसके बाद 17 और 18 जुलाई को एक घंटे कार्य बहिष्‍कार किया जायेगा तथा 19, 20 और 21 जुलाई को दो घंटे कार्य बहिष्‍कार किया जायेगा।

उन्‍होंने कहा कि इसके बाद भी शासन-प्रशासन के द्वारा मांगों पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया न होने पर 26 जुलाई को मिशन निदेशक के ऑफिस का घेराव किया जाएगा जिसमें लगभग 80,000 संविदा कर्मचारी पहुंचेंगे।

उन्‍होंने कहा कि कोविड-19 महामारी में अग्रिम पंक्ति में रह कर 80% कार्य एनएचएम स्वास्थ्य संविदा कर्मचारियों ने किया है, जिसमें लगभग समस्त कर्मचारी संक्रमित हुए तथा 50 से ज्यादा कर्मचारी इसमें शहीद हो गए। इसके बावजूद शासन-प्रशासन के द्वारा मिलने वाली 25 परसेंट प्रोत्साहन राशि में एनएचएम का नाम नहीं रखा गया।

अध्‍यक्ष ने कहा है कि मात्र 10-12 हजार रुपये मानदेय पाने वाले कर्मचारी अपने जिले से 500-600 किलोमीटर दूर कार्यरत हैं, वे किराए पर रहते हैं, उनकी आधी सैलरी किराए में चली जाती है, जबकि स्थानांतरण पॉलिसी बहाल नहीं की जा रही।  

मयंक प्रताप सिंह ने कहा कि केंद्र से बजट मिलने के बावजूद वेतन विसंगति दूर नहीं की जा रही। समान कार्य समान योग्यता तथा समान पद होते हुए भी आज तक समायोजन की प्रक्रिया को शुरू नहीं किया गया है। आउटसोर्सिंग में ठेकेदार द्वारा लगातार उत्पीड़न के बाद भी कर्मचारियों का समायोजन संविदा पर नहीं करना अनुचित है। इसके अलावा जिस पद पर संविदा कर्मचारी 10 साल से ज्यादा से कार्यरत हैं, उसी पद के लिए PET परीक्षा उनके लिए भी लागू करना कहां तक तर्कसंगत है।

अध्‍यक्ष ने कहा कि समय-समय पर पत्राचार द्वारा उच्चाधिकारियों को इन समस्याओं से अवगत कराया जाता रहा है इस सब के बाद भी लगातार अनदेखी पर एनएचएम संविदा कर्मियों में बहुत रोष है, जिसके चलते लगभग 80,000 संविदा कर्मचारी आंदोलित होने को मजबूर हुए हैं।

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