-एशियन होम्योपैथिक मेडिकल लीग ने लिखा है केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र, जवाब का इंतजार
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। अनेक जटिल बीमारियों का सफल इलाज करने में सक्षम होम्योपैथी में वैश्विक महामारी कोविड-19 से निपटने के भी गुण हैं, इसकी पुष्टि भारत के कुछ राज्यों में किये गये शोध के रुझान कर रहे हैं, ऐसे में भारत सरकार के आयुष विभाग के अंतर्गत आने वाली पद्धतियों में शामिल होम्योपैथी को अगर केंद्र सरकार कोविड-19 के हल्के और मध्यम मामलों के उपचार में शामिल करे तो इससे देश की जनता को इस साइड इफेक्ट रहित सस्ती और सुलभ पैथी से लाभ पहुंचाया जा सकता है। इस आशय का एक पत्र एशियन होम्योपैथिक मेडिकल लीग की ओर से लीग के अध्यक्ष डॉ गिरीश गुप्ता ने भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन को पिछले दिनों भेजा गया है, फिलहाल इस पत्र पर मंत्रालय की ओर से जवाब का इंतजार है। ज्ञात हो राजधानी लखनऊ स्थित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के संस्थापक होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ गिरीश गुप्ता उत्तर प्रदेश के अकेले ऐसे होम्योपैथिक शोधकर्ता हैं, जिन्होंने अपने शोध को सबूत सहित न सिर्फ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया है बल्कि सभी इसे ‘देखें और परखें’ इसके लिए अपनी लिखी जटिल स्त्री रोगों एवं त्वचा रोगों की पुस्तकों में भी प्रस्तुत किया है। डॉ गुप्ता पिछले 25 वर्षों से अपने द्वारा देखे गये मरीजों का सम्पूर्ण रिकॉर्ड भी रख रहे हैं।
22 अक्टूबर, 2020 को लिखे पत्र में डॉ वीएम काटोच की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा संपूर्ण वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल की घोषणा करने के लिए डॉ हर्षवर्धन को बधाई देते हुए आग्रह किया गया है कि कोविद -19 के हल्के और मध्यम मामलों के लिए आयुष के इस प्रोटोकाल में होम्योपैथी आधारित प्रबंधन को शामिल करें, उन्होंने लिखा है कि केंद्रीय काउंसिल फॉर रिसर्च और होम्योपैथी में अनुसंधान करने वाले कई अन्य संस्थानों से बहुत उत्साहजनक सत्यापन डेटा उपलब्ध है।
पत्र में यह भी लिखा है कि आपके ध्यान में यह भी लाना महत्वपूर्ण है कि हमारे सहयोगियों को उनके क्लिनिकल अभ्यास में पोस्ट कोविड सिस्टम सिंड्रोम (कोविड बीमारी के बाद होने वाली दिक्कतों) को कम करने में उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं, हम और अन्य समितियों से जुड़े अन्य होमियोपैथिक प्रैक्टिशनर्स इनपुट और सुझावों के साथ सीसीआरएच के वैज्ञानिकों के निरंतर संपर्क में हैं। पत्र में कहा गया है कि हमारा दृढ़ विश्वास है कि आयुष स्ट्रीम में होम्योपैथिक को शामिल करते हुए वैज्ञानिक रूप से मान्य दिशानिर्देशों को बढ़ावा देने का यह ऐतिहासिक निर्णय कोविड -19 के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इसका लाभ न केवल देश में बल्कि देश के बाहर उन अन्य एशियाई देशों में भी होगा जहां होम्योपैथिक चिकित्सक प्रैक्टिस कर रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि इस सम्बन्ध में दिशानिर्देश जारी करने में हमारा संगठन सरकार को सभी प्रकार का समर्थन देने को तैयार है।
पत्र में कहा गया है कि होम्योपैथिक चिकित्सकों ने हमेशा पश्चिमी बायोमेडिकल मापदंडों को अपनाने और एकीकृत चिकित्सा का अभ्यास करने में सहयोगी अनुसंधान को मजबूत करने की अपनी इच्छा दिखाई है तथा यह भी स्पष्ट है कि अधिकांश पश्चिमी बायोमेडिसिन चिकित्सकों को होम्योपैथिक की अद्भुत क्षमता के बारे में जानकारी ही नहीं है। पत्र में मानवता के हित में आयुष के कोविड-प्रोटोकाल में होम्योपैथी से इलाज को शामिल करने का अनुरोध किया गया है।