रिसर्च सोसाइटी ऑफ होम्योपैथी के सचिव डॉ अनुरुद्ध वर्मा ने उठायी मांग
लखनऊ। आयुष चिकित्सकों ने केन्द्र सरकार से प्रधानमंत्री जन आरोग्य (आयुष्मान भारत) योजना में आयुष पद्धतियों को शामिल करने की मांग की है। प्रधानमंत्री एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को भेजे गये पत्र में रिसर्च सोसायटी आफ होम्योपैथी के सचिव डा0 अनुरूद्ध वर्मा ने कहा है कि केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) प्रारम्भ कर 10 करोड़ 74 लाख परिवारों के 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा उपलब्ध कराने का सराहनीय कार्य किया है। आप अवगत हैं कि इस योजना के अन्तर्गत एलोपैथिक पद्धति के चुनिंदा सरकारी एवं निजी अस्पतालों को शामिल किया जायेगा, जिनके माध्यम से 1350 तरह की बीमारियों का उपचार किया जायेगा।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि देश के करोड़ों लोग होम्योपैथी, आयुर्वेद, युनानी, तिब्बी एवं सिद्धा (आयुष) पद्धतियों के माध्यम से अपने रोग का उपचार कराने में विश्वास कर रहे हैं। आपके संज्ञान में यह भी लाना है कि देश में होम्योपैथी के लगभग 200, आयुर्वेद के लगभग 300 एवं यूनानी एवं सिद्धा के सैकड़ों मेडिकल कालेजों में अन्तः रोगी विभाग संचालित हैं तथा आयुष के हजारों सरकारी एवं निजी अस्पताल जनता को रोगों से उपचार की सुविधा उपलब्ध करा रहे है।
डा0 वर्मा ने पत्र में अवगत कराया है कि आयुष्मान भारत योजना में आयुष चिकित्सा पद्धतियों से कराये गये उपचार का बीमा कवरेज शामिल नहीं किया गया है जिससे देश के करोड़ों लोग आयुष पद्धतियों के उपचार के लाभ से वंचित रह जायेंगे, इससे आयुष पद्धतियों की लोकप्रियता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जबकि केन्द्र सरकार आयुष पद्धतियों के विकास के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त कर रही है।
उन्होने सरकार से प्रधानमंत्री जन आरोग्य (आयुष्मान भारत) योजना में आयुष पद्धतियों को भी बीमा कवरेज में शामिल करने तथा उपचार के लिए शामिल किये जाने वाले अस्पतालों की सूची में आयुष अस्पतालों को भी शमिल किये जाने की मांग की है जिससे देश के आयुष पद्धति से उपचार कराने वाले करोड़ों लोगों को इस योजना का लाभ मिल सके तथा सरकार की योजना का लाभ सभी लोगों को मिल सके।