स्लीप डिस्ऑर्डर, फेफड़ा एवं श्वास रोग विशेषज्ञ ने कहा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया बीमारी के परिणाम हो सकते हैं खतरनाक
लखनऊ। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (Obstructive sleep apnea) यानी सोते समय सांस लेने में रुकावट की बीमारी के मुख्य लक्षणों में एक है खर्राटे आना। सोते समय आने वाले खर्राटों के खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने की स्थिति का अर्थ है कि व्यक्ति ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया बीमारी का शिकार है। खर्राटों की खतरनाक स्थिति को पहचानने के लिए जिस व्यक्ति को खर्राटे आते हों, उसके सोने वाले कमरे को बंद कर दें, अगर उसके खर्राटे की आवाज कमरे के बाहर सुनायी पड़े तो इसका अर्थ है कि उसे तुरंत श्वांस रोग विशेषज्ञ को दिखाने की जरूरत है।
यह जानकारी अजंता हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर के स्लीप डिस्ऑर्डर, फेफड़ा एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ आशीष जायसवाल ने ‘सेहत टाइम्स’ से एक विशेष भेंट मे देते हुए बताया कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया के लक्षणों में खर्राटे के अलावा रात में बार-बार नींद टूटना, सांस रुकना, सांस रुकने के बाद जब आंख खुलती है तो लम्बी-लम्बी सांसे लेना भी शामिल हैं।
डॉ आशीष ने बताया कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया से ग्रस्त लोगों को लापरवाही नहीं करनी चाहिये क्योंकि नींद में बाधा आपकी पूरी दिनचर्या को प्रभावित करती है। इस बीमारी के कारण जब गहरी नींद नहीं आती है, तो इसके फलस्वरूप सुबह उठने के बाद ताजगी नहीं महसूस होती है। सामने वाले से बात करते-करते नींद आने लगती है यहां तक कि वाहन चलाते समय भी नींद आने लगती है। ऐसी स्थिति में कोई भी दुर्घटना घट सकती है, इसलिए ऐसे लोगों के लिए मेरी सलाह है कि वह श्वांस रोग विशेषज्ञ से अवश्य मिलकर अपनी बीमारी का इलाज करायें। उन्होंने बताया कि सांस में रुकावट जब बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो सोते समय मृत्यु का खतरा हो सकता है लेकिन बेहतर यही होगा कि रोग को इस स्थिति तक पहुंचने ही न दिया जाये।
एक सवाल के जवाब में डॉ आशीष ने बताया कि अगर मैं अपनी ही बात करूं तो मेरे पास प्रतिदिन दिखाने आने वाले 10 में से 5-6 मरीज ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया के शिकार होते हैं। इसके कारणों के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण व्यक्ति का मोटापा और सामान्य से ज्यादा वेट होना है। उन्होंने कहा कि देखा गया है कि जिन व्यक्तियों की गरदन छोटी और मोटी होती है उन्हें इस रोग की शिकायत ज्यादा होती है। इसके कारणों की बारीकी बताते हुए उन्होंने बताया कि शरीर में जब चर्बी ज्यादा हो जाती है तो यह चर्बी सांस नलियों के पास इकट्ठा हो जाती है जो सांस की नलियों पर दबाव डालती है और सांस का रास्ता सिकुड़ जाता है। यह अधिक चर्बी जीभ के पिछले हिस्से में भी जम जाती है जिससे जीभ मोटी हो जाती है।