-लिम्ब सेंटर को लेकर कुलसचिव के निर्देश व टास्क फोर्स के फैसले में विरोधाभास
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। बरसों-बरस तक हर साल हजारों बच्चों को मौत की नींद सुलाने वाली जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की बीमारी को रोकने के लिए किये जाने वाले कारगर उपाय अब इसकी वैक्सीन बनने और वर्तमान की योगी सरकार द्वारा किये जा रहे विशेष प्रयासों के परिणाम दिखना शुरू हुए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने करीब चार साल पूर्व यहां राजधानी लखनऊ के डालीगंज स्थित लिम्ब सेंटर भवन में 5 करोड़ की लागत से जेई और एईएस मरीजों के पुनर्वास के लिए प्रदेश का इकलौता विभाग बनवाया था। इस विभाग में जेई-एईएस के मरीजों को भर्ती कर उनका पुनर्वास किया जाता है।
आपको बता दें कि जुलाई-अगस्त के माह में जेई-एईएस का प्रकोप बढ़ जाता है, पूर्वांचल में विशेष कहर मचाने वाले जेई-एईएस की त्रासदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करीब से देखी है, क्योंकि मुख्यमंत्री बनने से पूर्व मुख्य रूप से गोरखपुर ही योगी आदित्यनाथ का कर्मक्षेत्र रहा है। जेई-एईएस के उन्मूलन में योगी आदित्यनाथ ने विशेष अभियान चलाते हुए इसे थामने के अथक प्रयास किये हैं, जिसका असर दिख भी रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मौजूदा कोविड काल के बीच जेई-एईएस को लेकर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिये हैं, इसी क्रम में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ रजनीश दुबे ने बीती 3 जुलाई को सभी चिकित्सा शिक्षा संस्थानों संजय गांधी पीजीआई लखनऊ, डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ, एसएसपीएचपीजीटीआई नोएडा, राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान ग्रेटर नोएडा, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान सैफई के साथ ही सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों और सभी स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों को पत्र लिखकर जेई-एईएस के प्रभावी नियंत्रण एवं उपचार सुनिश्चित किए जाने के लिए निर्देश दिए हैं।
शासन के इस निर्देश के क्रियान्वयन के लिए केजीएमयू के कुलसचिव ने बीती 6 जुलाई को लिम्ब सेंटर में विभागाध्यक्ष को पत्र भेजकर लिम्ब सेंटर में बने जेई एवं एईएस के मरीजों के पुनर्वास वार्ड को पूरी तरह तैयार रखने का निर्देश दिया।
आपको बता दें एक तरफ 6 जुलाई को यह पत्र कुलसचिव द्वारा लिम्ब सेंटर के विभागाध्यक्ष को भेजा गया वहीं दूसरी ओर केजीएमयू की प्रशासन की टास्क फोर्स ने उसी दिन यानी 6 जुलाई को ही एक बैठक करके लिम्ब सेंटर में कोविड अस्पताल के निर्माण में तेजी लाने का आदेश दे दिया। मौजूदा हालात यह है की एक तरफ शासन के निर्देशों के बाद प्रदेश के एकमात्र जेई-एईएस के मरीजों के पुनर्वास वार्ड को तैयार रहने का आदेश दिया गया है, वहीं दूसरी ओर केजीएमयू टास्क फोर्स लिम्ब सेंटर को कोविड हॉस्पिटल में बदलने के लिए बार-बार आदेश कर रही है, सवाल यह उठता है कि अब किसके आदेश का अनुपालन पालन हो।