केजीएमयू में हुआ पहली बार लिवर ट्रांसप्लांट, डोनर और मरीज दोनों की हालत स्थिर
लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में आज उस समय इतिहास रच गया जब रायबरेली निवासी एक 50 वर्षीय पुरुष को संस्थान में पहली बार लिवर ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया। क्रॉनिक लिवर सिरोसिस से ग्रस्त मरीज को लिवर उसकी 48 वर्षीय पत्नी ने देकर अर्धांगिनी होने का धर्म निभाया। सुबह 5:00 बजे शुरू हुए इस ऑपरेशन में करीब 14 घंटे लगे। देर शाम ऑपरेशन संपन्न होने के बाद डोनर पत्नी और मरीज पति की हालत स्थिर बताई गई है।
खास बात यह है कि इस ट्रांसप्लांट में 7 से 8 लाख रुपये खर्च आने का अनुमान है जो कि अन्य कॉरपोरेट्स अस्पताल के मुकाबले मात्र 10 फीसदी है। इस सर्जरी को केजीएमयू के चिकित्सकों ने मैक्स हॉस्पिटल के चिकित्सकों के साथ मिलकर अंजाम दिया। केजीएमयू के सर्जन की टीम का टीम का नेतृत्व डॉ अभिजीत चंद्रा ने ने किया, उनके साथ डॉक्टर विवेक गुप्ता डॉक्टर प्रदीप जोशी एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टर मोहम्मद परवेज मोहम्मद परवेज, डॉक्टर अनिता मलिक, डॉक्टर तन्मय तिवारी, डॉक्टर एहसान के साथ ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभागाध्यक्ष डॉ तूलिका चन्द्रा, रेडियोलोजी विभाग की डॉ नीरा कोहली, डॉ अनित परिहार, डॉ रोहित शामिल रहे।
शाम को ट्रासंप्लांट संपन्न होने के बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि ट्रांसप्लांट को अंजाम देने वाले प्रो. अभिजीत चन्द्रा व उनकी टीम लंबे समय लिवर ट्रांसप्लांट के लिए प्रयासरत थे। गुरुवार को वह दिन आया जब केजीएमयू के डाक्टरों को लिवर ट्रांसप्लांट का मौका मिला। केजीएमयू के लिए यह बड़ी उपलब्धि थी, पहली बार ट्रांसप्लांट होना था इसलिए प्रशासन एवं चिकित्सकों ने नियमानुसार दिल्ली मैक्स हॉस्पिटल के विशेषज्ञों का सहयोग लिया । केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि मरीज का लिवर 90 प्रतिशत तक खराब हो चुका था। क्रॉनिक लिवर सिरोसिस के कारण खराब हो चुके लिवर को दवाआें से ठीक नहीं किया जा सकता था जिस कारण लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था।
इस ट्रांसप्लांट में सहयोग देने के लिए विशेष तौर पर मैक्स हॉस्पिटल से डॉ. सुभाष गुप्ता, डॉ. श्वेता सिंह, डॉ. राजेश डे, डॉ. शालीन अग्रवाल व अन्य सर्जनों को आंमत्रित किया गया था। चिकित्सकों की एक टीम ने मरीज की पत्नी के लिवर के एक हिस्से को निकाला तो दूसरी टीम ने मरीज के लिवर के खराब हो चुके भाग को अलग कर पत्नी के लिवर को वहां प्रत्यारोपित किया। प्रो अभिजीत चन्द्रा ने इस ट्रांसप्लांट में विशेष सहयोग के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो एस एन संखवार का विशेष आभार जताया है।
अगला एक सप्ताह रहेगा निर्णायक
चिकित्सकों ने बताया कि मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट होने के बाद वह ठीक है लेकिन अगले एक सप्ताह तक मरीज व डोनर की विशेष देखभाल करनी होगी, क्योंकि अमूमन कोई शरीर दूसरे शरीर के अंग को आसानी से स्वीकार नहीं करता है। एंटीबॉडीज शरीर में कोई बाहरी अंग प्रत्यारोपित करने पर शरीर उसके खिलाफ काम करती हैं जो जानलेवा होता है। इसके लिए दवाएं दी जाएंगी ताकि लिवर के खिलाफ शरीर द्वारा की जा रही प्रतिक्रिया को नियंत्रित किया जा सके। चिकित्सकों की एक टीम 24 घंटे दोनों का निगरानी करेगी।