-एक जीवित दाता से और एक ब्रेन डेड से लिवर प्राप्त कर किया गया प्रत्यारोपण
सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने 24 घंटे के अंदर लगातार दो लिवर ट्रांसप्लांट कर इतिहास रचते हुए संस्थान के लिवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम में एक और सुनहरा पंख लगा दिया है, इनमें एक ट्रांसप्लांट जीवित दाता से और दूसरा ब्रॉड डेड दाता से किया गया। इस प्रकार केजीएमयू में अब तक कल 30 लिवर प्रत्यारोपण हो चुके हैं इनमें 23 जीवित दाता से और सात ब्रॉड डेड दाता से लिवर लेकर किए गए हैं।
यह जानकारी देते हुए केजीएमयू द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि 24 घंटे के अंतराल में एक जीवित दाता से और दूसरा ब्रॉड डेड दाता से लेकर दो लिवर प्रत्यारोप किया जाना देश में पहली बार हुआ है। बताया गया है कि यह सफलता सरकारी स्वास्थ्य देखभाल को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। विज्ञप्ति के अनुसार यहां लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी 58 वर्षीय व्यक्ति को सड़क दुर्घटना के बाद केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था, उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था, इस बीच इलाज के दौरान उन्हें 6 नवंबर को ब्रॉड डेड घोषित कर दिया गया।
इसके बाद हमेशा की तरह केजीएमयू की अंगदान टीम ने परिवार को अंगदान के लिए सुझाव दिया। काफी समझाने पर हिम्मत जुटाते हुए परिवार ने लिवर दान की सहमति दे दी, परिवार के इस साहसी निर्णय की सराहना करते हुए विज्ञप्ति में बताया गया है कि परिवार की सहमति ने मौत की तरफ देख रहे एक जरूरतमंद मरीज को नई जिंदगी दी। सहमति मिलने के बाद सोमवार आज 7 नवंबर को सुबह पूर्व निर्धारित रूटीन कोर्स में लिविंग दाता से लिवर प्रत्यारोपण किया गया। यह प्रत्यारोपण अम्बेडकर नगर निवासी 40 वर्षीय किसान का किया गया, इन्हें इनकी पत्नी (32 वर्षीय ) ने अपने लिवर का भाग दिया। इस नियमित प्रत्यारोपण के बाद सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की फैकल्टी, रेजिडेंट डॉक्टर और कर्मचारियों सहित और एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों की एक टीम ने क्रमिक कैडेवरिक लिवर प्रत्यारोपण किया।
विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रत्यारोपण टीम का नेतृत्व केजीएमयू की कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने किया जबकि सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी टीम का नेतृत्व विभाग अध्यक्ष गैस्ट्रोएंटरोलॉजी व ट्रांसप्लांट विभाग डॉ अभिजीत चंद्र ने किया उनके साथ सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के डॉ उत्कर्ष श्रीवास्तव, डॉक्टर गुराना कृष्ण राव, डॉक्टर रविंद्र बुधवानी, डॉक्टर यशवर्धन सिंह और डॉक्टर रोहित शामिल रहे। इनके अलावा रेजिडेंट डॉक्टर्स में डॉ संजय, डॉक्टर दीबान, डॉ अरुण, डॉक्टर ध्रुव, डॉ रामराज, डॉ आकाश, डॉ आदित्य, डॉ जूली और पीयूष श्रीवास्तव, क्षितिज वर्मा, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नंद गोपाल के अतिरिक्त ओटी स्टाफ रूपाश्री, सत्य प्रकाश और जयप्रकाश, सिस्टर अनीता, सिस्टर साधना सहित करीब 50 ओटी, आईसीयू वार्ड नर्स व अन्य स्टाफ शामिल थे। इनके अतिरिक्त एनेस्थीसिया विभाग की टीम से प्रोफेसर मोनिका कोहली, डॉक्टर तन्मय तिवारी, डॉ रवि प्रकाश, डॉ राजेश रमन, डॉक्टर पलक के साथ ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की डॉक्टर तूलिका चंद्रा, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ अमिता जैन, न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ क्षितिज श्रीवास्तव, रेडियोलोजी विभाग के डॉ अनित परिहार शामिल रहे। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर बीके ओझा और प्रोफेसर बीबी कुशवाहा ने अंगदान को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य किया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि 24 घंटे लगातार दो लिवर प्रत्यारोपण की सफलता का श्रेय चिकित्सा पेशेवरों की समर्पित टीमों को भी दिया जाता है। यह इस बात का एक ज्वलंत उदाहरण है कि कैसे प्रतिबद्धता मरीजों के जीवन को बदल सकती है जहां एक बार निराशा हो, वहां नई आशा कैसे प्रदान की जा सकती है।