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दुनिया के टॉप 15 वायु प्रदूषित शहरों में 14 भारत के, कानपुर टॉप पर

पीएम का संसदीय क्षेत्र वाराणसी सहित उत्‍तर प्रदेश के चार शहर भी शामिल

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने जारी की है रिपोर्ट, दिल्‍ली और लखनऊ भी सूची में

लखनऊ। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की है, इस सूची में 14 शहर भारत के हैं, इनमें भी 4 शहर उत्‍तर प्रदेश के हैं। सर्वाधिक प्रदूषित शहर उत्‍तर प्रदेश का कानपुर बताया गया है। दूसरे नम्‍बर पर फरीदाबाद तथा तीसरे नम्‍बर पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है।

 

यह जानकारी विश्‍व पर्यावरण दिवस पर यहां एमिटी कॉलेज में टीबी, तम्‍बाकू और प्रदूषणमुक्‍त अभियान के संयोजक और इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्‍थमा एंड एप्‍लाइड इम्‍यूनोलॉजी के अध्‍यक्ष डॉ सूर्यकांत ने एक प्रेजेन्‍टेशन देते हुए बताया कि डब्‍ल्‍यूएचओ से जारी सूची में उत्‍तर प्रदेश के चार शहर कानपुर, वाराणसी के साथ लखनऊ और आगरा भी शामिल हैं। इनके अलावा पटना, गया, मुजफ्फरपुर, दिल्‍ली, श्रीनगर, गुड़गांव, जयपुर, पटियाला, जोधपुर के साथ ही सूची में 15वां और आखिरी शहर अली सुबह अल सलेम (कुवैत) है। सर्वाधिक प्रदूषित कानपुर में वायु प्रदूषण का पीएम 2.5 का स्तर 173 है, दूसरे नम्‍बर पर फरीदाबाद का 172 जबकि तीसरे नम्‍बर पर वाराणसी का 151 है, दिल्‍ली का 143, उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का पीएम 2.5 का स्तर 138 है। इसके अलावा गया 149, पटना 144, आगरा 131, मुजफ्फरपुर 120, श्रीनगर 113, गुड़गांव 113, जयपुर 105, पटियाला 101 तथा जोधपुर का 98 है, जबकि कुवैत के सुबह अल सलेम का स्‍तर 94 है।

 

डॉ सूर्यकांत ने वायु प्रदूषण के कारणों के बारे में बताया कि वायु प्रदूषण के हमारे बाहरी कारणों में यातायात और उद्योग के कारण होने वाला प्रदूषण शामिल है। उन्‍होंने बताया कि पिछले पचास साल में 50 प्रतिशत जंगल काट दिये गये हैं, हालत यह है कि हर साल 6500 मिलियन पेड़ काट दिये जाते हैं।

डॉ सूर्यकांत ने बताया कि इसी प्रकार जो लोग स्‍मोकिंग नहीं भी करते हैं उनमें भी स्‍मोकिंग के खतरे होते हैं, क्‍योंकि अगर कोई व्‍यक्ति आपके पास स्‍मोकिंग कर रहा है तो स्‍मोकिंग से निकलने वाला सिर्फ 30 फीसदी धुआं उसके शरीर के अंदर जा रहा है बा‍की 70 फीसदी धुआं आसपास के वातावरण में रह जाता है जो दूसरों के शरीर में प्रवेश कर उन्‍हें हार्ट की बीमारी और फेफड़ों का कैंसर दे सकता है। यही नहीं घर हो या कार्यालय जहां भी कोई धूम्रपान करता है तो उसके बाद भी उस स्‍थान पर स्‍मोकिंग के छोटे-छोटे कण वहां की वस्‍तुओं में चिपक जाते हैं जिनके सम्‍पर्क में यदि कोई आता है तो वह उसका शिकार हो जाता है।

 

प्रो सूर्यकांत ने बताया कि उनका सुझाव है कि इस प्रदूषण को कम करने की दिशा में छोटे-छोटे प्रयास भी बड़ा काम कर सकते हैं। उन्‍होंने सुझाव दिया कि किसी को बधाई देने के लिए गुलदस्‍ता देने के बजाय पौधा भेंट करें। जन्‍मदिन, विवाह की वर्षगांठ जैसे मौकों पर जितने वर्ष हो गये हों उतने पौधे लगायें। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्‍यादा से ज्‍यादा प्रयोग करें। न धूम्रपान करें और दूसरों के न करने के लिए धूम्रपान विरोधी अभियान का हिस्‍सा बनें। खाना पकाने के लिए लकड़ी, कोयला जैसी धुएं वाले ईंधन का इस्‍तेमाल बंद कर भारत सरकार की उज्‍ज्‍वला योजना के तहत गैस कनेक्‍शन लें और दिलवायें। पैदल और साइकिलिंग का प्रयोग बढ़ायें।