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सांस के रास्‍ते को खोलने के तरीके बताये, ताकि टूटे न सांसों की डोर

केजीएमयू के एनेस्‍थीसिया विभाग ने आयोजित की एयरवे मैनेजमेंट पर कार्यशाला
…ताकि किसी व्‍यक्ति की जान सांस का रास्‍ता बंद होने के कारण न जाये

लखनऊ। कहते हैं कि सांस है तो आस (आशा) है, जीवन है। कई बार एक्‍सीडेंट होने पर या कुछ बीमारियों के कारण सांस लेने का रास्‍ता अवरुद्ध हो जाता है और समय पर इलाज न मिलने के कारण सांसों की डोर टूट जाती है। ऑक्‍सीजन जाने के रास्‍ते में अचानक आये अवरोध को दूर करने के लिए सिर्फ कुछ टेक्‍नीक्‍स जानने की जरूरत है, इन टेक्‍नीक्‍स को डॉक्‍टर्स तक पहुंचाने के लिए किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) के एनेस्‍थीसिया विभाग ने आज 27 जुलाई को परिसर स्थित कलाम सेंटर में एक कार्यशाला का आयोजन किया।

आयोजन समिति के सचिव डॉ तन्मय तिवारी और डॉ प्रेम राज सिंह ने बताया कि एक दिवसीय Airway Management  कार्यशाला और संगोष्ठी के माध्यम से गम्भीर और जटिल मरीजों की जान बचाने में सरलता और सफलता प्राप्त होगी। सड़क हादसों में घायल व्यक्ति, मुख कैन्सर से ग्रसित, मोटापा के कारण सांस लेने में तकलीफ़ और बड़े और छोटे बच्चों के सिर में चोट और झटकों के दौरान ऑक्‍सीजन की कमी से होने वाले नुक़सान को कम करने की विधि के बारे में इस कार्यशाला में बताया गया। एक प्रश्‍न के उत्‍तर में डॉ तिवारी ने बताया कि उद्देश्‍य यह है कि चाहे कोई भी स्थिति तो सांस के रास्‍ते में अवरोध के कारण जान नहीं जानी चाहिये। उन्‍होंने बताया कि मान लीजिये हेल्‍थ सेंटर, पीएचसी जैसे स्‍थान पर चिकित्‍सक के पास कोई भी सुविधा नहीं है तो सिर्फ एक तार को गरदन से छेद कर उसके साथ ट्यूब डालकर नाक के रास्‍ते तक ले जाने से भी ऑक्‍सीजन मिलने का रास्‍ता मिल जायेगा।

उन्‍होंने बताया कि इस संगोष्ठी और कार्यशाला में उत्तर भारत से 150 से अधिक डॉक्टर एकत्रित हुए और देश-विदेश में हो रही Airway Management  में रीसर्च और नयी तकनीक जैसे दूरबीन विधि (fiberoptic) नली द्वारा (retrograde intubation) Thrive, cricothyroidotomy  तकनीक के बारे में जानकारी दी गयी। इस कार्यशाला के माध्यम से गांव-देहात में दुर्गम परिस्थितियों में भी मरीजों में ऑक्‍सीजन की कमी ना हो, ऐसी तकनीक की भी ट्रेंनिंग दी गयी।

प्रत्‍येक चिकित्‍सक को यह जानना जरूरी

इस अवसर पर कार्यशाला का उद्घाटन डॉ आरएमएलआईएमएस के निदेशक डॉ एके त्रिपाठी ने करते हएु कहा कि प्रत्यके व्यक्ति को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और इसकी पूर्ति न होने पर उसकी मृत्यु हो जाती है। उन्होंने बताया कि दुर्घटना होने पर, मिर्गी के दौरे आने पर या सिर में चोट लगने पर मरीज को सांस लेने में अक्सर तकलीफ होती है, ऐसे समय पर एक चिकित्सक को यह जानकारी होना जरूरी है कि इस विषम परिस्थिति से कैसे निपटा जाए इसलिए इस प्रकार की  Airway Management कार्यशाला बेहद जरूरी है।

हर वर्ष किया जायेगा ऐसी कार्यशाला का आयोजन

इस कार्यशाला में प्रोफेसर अनिता मालिक विभागाध्यक्ष एनेस्थीसियोलॉजी ने कहा कि Airway Management  का सबसे ज्यादा इस्तेमाल एनेस्थीसिया के चिकित्सक ही करते हैं लेकिन हर जगह यह उपलब्ध नहीं हो सकते इसलिए इसकी जानकारी सभी चिकित्सकों को होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाएगा, जिससे ज्यादा से ज्यादा चिकित्सकों को इसके बारे में जानकारी हो सके और आम जनमानस को इसका लाभ मिल सके और जितना संभव हो जान बचाई जा सके।

इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रोफेसर एसएन संखवार, सीएमएस केजीएमयू,, प्रोफेसर जीपी सिहं, स्टूडेंट वेलफेयर डीन, एम्स दिल्ली के डॉ राकेश गर्ग, एएमयू के डा मुंईद अहमद, ट्रामा मेडिसन डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डा0 हैदर अब्बास तथा निश्चेतना विभाग के डा0 ज्योत्सना अग्रवाल, डा0 रजनी कपूर, डा0 मोनिका कोहली, डा0 दिनेश कौशल, डा0 मो0 परवेज़ खान, डा0 दिनेश सिंह, डा0 रजनी गुप्ता, डा0 बी0बी0कुशवाहा, डा0 ज़िया अरशद,डा0ए0के0सिद्दकी, डा0 आर0एस0 गंगवार, डा0 हेमलता, डा0 सतीश वर्मा, डा0 शिफाली गौतम, डा0 विपिन कुमार, डा0 राजेश रमन, डा0 अर्पणा शुक्ला, डा0 तन्मय तिवारी, डा0 प्रेम राज सिंह, डा0 मनीष सिंह, डा0 मनोज चैरसिया तथा डा0 विनोद श्रीवास्तव उपस्थिति रहे।