-सर्जरी के दौरान हुई फ्रोजन सेक्शन जांच में कैंसर लगने वाली गांठ संक्रमण निकली
-ब्रह्मकुमारी राधा ने कहा, पहली बार जाना, ऐसे भी होते हैं सरकारी अस्पताल
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के उपलब्ध कैंसर की उच्चतम तकनीक की जांच की सुविधा के चलते सर्जरी विभाग में हुई स्तन की सर्जरी में महिला के स्तन को बचा लिया गया। मात्र 15 से 20 मिनट की अवधि में पैथोलॉजी में होने वाली फ्रोजन सेक्शन की जांच के बाद मरीज के इलाज की दिशा बदल गयी। मेमोग्राफी और एमआरआई में जो स्तन और एक्जिला में जो गांठें कैंसर की दिखायी पड़ रही थीं, वह दरअसल कैंसर न होकर बल्कि ग्रानुलोमेटस इनफ्लामेशन (granulomatous inflammation) संक्रमण था। ऐसे केस बहुत कम पाये जाते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार ब्रह्मकुमारी संस्थान से जुड़ीं ब्रह्मकुमारी मंजू को स्तन में गांठ महसूस होने पर 17 जनवरी को उन्होंने केजीएमयू के सर्जरी विभाग की डॉ गीतिका नंदा सिंह को दिखाया। इसके बाद 19 जनवरी को डॉ गीतिका नंदा ने उनकी मेमोग्राफी और एमआरआई जांच करायी। जांच रिपोर्ट में बताया गया कि यह कैंसर की गांठ है। दोबारा पुष्टि के लिए स्लाइड को संजय गांधी पीजीआई भी भेजा गया वहां भी इसके कैंसर होने की ही बात कही गयी।
डॉ गीतिका नंदा ने बताया कि बायप्सी में 0.8 सेन्टीमीटर की गांठ पायी गयी। इसके बाद 28 जनवरी को मरीज की सर्जरी प्लान की गयी। उन्होंने बताया कि 28 जनवरी को जब सर्जरी की गयी तो पहले ब्रेस्ट की गांठ को निकालकर फ्रोजन सेक्शन जांच के लिए केजीएमयू स्थित पैथोलॉजी में भेजा गया। 15 से 20 मिनट के बाद आयी रिपोर्ट में पाया गया कि यह गांठ कैंसर की नहीं है बल्कि यह ग्रानुलोमेटस इनफ्लामेशन संक्रमण है। इसके बाद उन्होंने उसी प्रकार की जो गांठ एक्जिला में थी उसे भी फ्रोजन सेक्शन जांच के लिए भेजा गया और उसमें भी उसे ग्रानुलोमेटस इनफ्लामेशन संक्रमण पाया गया। इसके बाद तुरंत ही सर्जरी को समाप्त कर दिया गया।
डॉ गीतिका ने बताया कि केजीएमयू में उपलब्ध तकनीकों का ही यह परिणाम है कि सर्जरी के दौरान ही गांठ की जांच होने और उसकी रिपोर्ट 15 से 20 मिनट में आने के कारण ही ब्रेस्ट रिमूव होने से बच गया, क्योंकि मेमोग्राफी और एमआरआई की रिपोर्ट के अनुसार इसे कैंसर ही माना जा रहा था, चूंकि कैंसर के नोड्स ब्रेस्ट और एक्जिला में होने के कारण पूरे ब्रेस्ट को रिमूव करने की ही तैयारी थी। सर्जरी के 24 घंटे बाद ही ब्रह्मकुमारी मंजू को आज अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
डॉ गीतिका ने कहा कि इन उच्चतम तकनीकों का के0जी0एम0यू0 में उपलब्धि के कारण ही हम इस प्रकार के रोग को ऑपरेशन के दौरान ही समझ पाए और यथोचित ऑपेरशन किया गया। उन्होंने कहा कि कहा कि इस ऑपरेशन को टीम की मदद से सफल किया जा सका है, इसमें रेडियोलॉजी विभाग के डॉ अनित परिहार, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ जीपी सिंह, डॉ मनीश, पैथोलॉजी विभाग के डॉ अतिन सिंघई के साथ ही एसजीपीजीआई के रेडियोलॉजीविभाग की डॉ नमिता महिन्द्रा और डॉ नीरज का भी बहुत बड़ा योगदान रहा। डॉ गीतिका ने बताया कि विभागाध्यक्ष डॉ एए सोनकर के सहयोग से प्रो विनोद जैन के नेतृत्व में हुई इस सर्जरी में टीम में उनके साथ ही डॉ पारिजात सूर्यवंशी, डॉ स्मिता और डॉ कीर्ति भी शामिल थे।
केजीएमयू और यहां के डॉक्टरों को दिल से धन्यवाद
सर्जरी के बारे में ब्रह्मकुमारी मंजू की देखभाल के लिए अस्पताल में उनके साथ रहीं ब्रह्मकुमारी राधा ने बताया कि मैं पूरे ब्रह्मकुमारी संस्थान और अपनी तरफ से डॉ गीतिका नंदा सिंह सहित केजीएमयू के सभी डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ को दिल से धन्यवाद कहना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि मेरा यह पहला अनुभव था जब मैं यहां अस्पताल में इस तरह से आयी और रुकी। उन्होंने कहा कि मुझे फ्रोजन सेक्शन जांच की सुविधा के बारे में जानकारी ही नहीं थी, लेकिन यहां देखा तो मैंने महसूस किया कि सरकारी अस्पतालों में भी बहुत अच्छी ऐसी सुविधायें होती हैं जो बाहर से नहीं दिखती हैं।
ब्रह्मकुमारी राधा ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि मैंने अभी तक जो सुना था और दूसरे लोग भी जो लोग मन में यह धारणा बनी है कि सरकारी अस्पताल में तो कोई अच्छी सुविधा नहीं मिलती है, अच्छी देखभाल नहीं होती है, मैंने यहां देखकर पाया कि ऐसा नहीं है। मैंने यहां रहकर यहां की जिन सुविधाओं को देखा, यहां काम करने वाले डॉक्टरों और अन्य लोगों को देखा तो मैंने यही पाया कि सब कुछ बहुत अच्छा है, बहुत ही कम दाम में बहुत अच्छी सुविधा उपलब्ध हुई है। उन्होंने कहा कि चूंकि डॉ गीतिका नंदा को तो मैं पहले दिन से ही देख रही हूं जब मंजूदीदी को मैं पहली बार दिखाने आयी थी, डॉ गीतिका नंदा में सेवा भाव बहुत है, वह लोभ और लाभ से दूर हैं।