-पैथोलॉजी रिपोर्ट तैयार करने का अधिकार एमएससी या पीएचडी डिग्रीधारक को देने के संशोधित अधिनियम के खिलाफ याचिका
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ/नयी दिल्ली। पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट पर एमएससी या पीएचडी डिग्री धारक को हस्ताक्षर करने का अधिकार दिए जाने के विरोध में दायर याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार 17 दिसम्बर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को नोटिस जारी किया है।
पैथोलॉजिस्ट डॉ रोहित जैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लेकर क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट (केंद्र सरकार) संशोधन नियम 2020 के तहत एमएससी या पीएचडी डिग्री धारक को मेडिकल डायग्नोस्टिक रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने का अधिकार दे दिया गया है।
डॉ जैन ने यह अधिकार दिये जाने का विरोध करते हुए याचिका में कहा है कि किसी भी पैथोलॉजी रिपोर्ट तैयार करने में एक योग्य पैथोलॉजिस्ट की जरूरत होती है। याचिका में कहा गया है कि बिना योग्य पैथोलॉजिस्ट के तैयार की गई मेडिकल रिपोर्ट गलत डायग्नोज या देरी से डाइग्नोज कर सकती है, जो कि मरीज के जिंदगी के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है, साथ ही यह झोलाछाप पद्धति और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देगा।
डॉ जैन ने तर्क दिया है कि संशोधित नियम मूल अधिनियम की भावना का भी उल्लंघन है, साथ ही यह संशोधित नियम अदालत द्वारा पूर्व में दिए गए उन आदेशों की भी अवहेलना है जिनमें कहा गया था कि पैथोलॉजी रिपोर्ट तैयार करने का अधिकार पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री या लेबोरेटरी मेडिसिन में स्नातकोत्तर योग्यता रखने वाले मेडिकल प्रैक्टिशनर को ही है।