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आधे टीबी रोगी तो मिल गये शेष की अभी तलाश जारी

डब्ल्यूएचओ की टीम ने देखा यूपी में कैसे हो रहा टीबी नियंत्रण

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) की 23 सदस्यीय ज्वाइण्ट मानीटरी मिशन (जे.एम.एम) टीम ने आज 15 नवम्‍बर को  किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष एवं उप्र स्टेट टास्क फोर्स (आर.एन.टी.सी.पी.) के चेयरमैन डा0 सूर्यकान्त से पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियन्त्रण (आर.एन.टी.सी.पी.) के विषय में गहन विचार विमर्श किया। तदोपरान्त विभाग में स्थापित डॉट्स केन्द्र, डॉट्स प्लस केन्द्र एवं आई आर एल केन्द्र का निरीक्षण किया। टीम गोरखपुर एवं आगरा जनपदों का निरीक्षण करते हुए लखनऊ आयी थी। इस टीम का नेतृत्व विश्व स्वास्थ्य संगठन के डा0 डगलस फ्रेजर कर रहे थे। इनके साथ प्रमुख रूप से डॉ डावरन, डॉ अविनाश कंचर, डॉ राजेश सोलंकी एवं डॉ एम. एम. पुरी शामिल थे।

डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 मार्च 2018 को भारत को टीबी मुक्त बनाने की घोषणा की थी, जिसके बाद से भारत में टीबी नियंत्रण को काफी गति मिली है। टीबी नोटिफिकेशन के नये नियमों से भारत में टीबी के नोटिफिकेशन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जिसके फलस्वरूप जिन 11 लाख टीबी मरीजों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, उनमें से आधे टीबी मरीजों की जानकारी प्राप्त हो गयी है।

डा0 सूर्यकान्त ने उप्र क्षय नियंत्रण कार्यक्रम की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि टीबी के रोगी अधिकतर बीच में ही इलाज छोड़ देते है। जिससे उन्हें गम्भीर टीबी (एम.डी.आर. एवं एक्स.डी.आर.) हो जाती है। टीबी रोगियों के लिए भारत सरकार द्वारा लागू निक्षय पोषण योजना से अब रोगी अपना पूरा इलाज कर रहे हैं। प्रत्येक टीबी रोगी को 500 रूपये प्रतिमाह पोषण भत्ता दिया जा रहा है। अभी तक यूपी में 75 करोड़ से अधिक रुपये टीबी रोगियों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से दिये गये हैं।

भारत सरकार के नये नियम के अनुसार नया मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए यह नियम बनाया गया है कि हर मेडिकल कॉलेज में टीबी की निःशुल्क जांच एवं उपचार की सुविधा होनी चाहिये तभी मेडिकल कॉलेज को मान्यता मिलेगी। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने टीबी ग्रसित मरीजों को गोद लेकर एक नई परम्परा शुरू की है, जिससे प्रेरित हो कर केजीएमयू ने अभी तक 31 टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लिया है। इसके अतिरिक्त डा0 सूर्यकान्त द्वारा टीबी मुक्त लखनऊ अभियान की शुरुआत की गयी है तथा प्रदेश का पहला टीबी मुक्त गांव एवं पहला टीबी मुक्त मलिन बस्ती बनाने के लिए अभियान शुरू किया गया है।

टीम ने विभाग के इन कार्यों की सराहना की एवं सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा निष्ठा पूर्वक कार्य करने की प्रशंसा की। टीम को अवगत कराया गया कि टीबी नियंत्रण कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए जिला अस्पतालों में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम को और अधिक सुदृढ़ करना होगा एवं चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ानी होगी तथा उनको समय समय पर प्रशिक्षित करते रहना होगा। इस दौरान डब्ल्यू एच ओ सलाहकार डा उमेश त्रिपाठी, डी.टी.ओ. एवं विभाग के चिकित्सक डॉ अजय कुमार वर्मा, डॉ दर्शन कुमार बजाज, डॉ अविषेक कार एवं विभाग के सभी आर.एन.टी.सी.पी. कर्मी उपस्थित रहे।