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मनी लॉन्ड्रिंग का भय दिखाकर एसजीपीजीआई की डॉक्टर से जालसाजों ने ठग लिये 2.80 करोड़

-एक सप्ताह तक रखा डिजिटल अरेस्ट, पहले ट्राई का अफसर, फिर सीबीआई अधिकारी बनकर फोन पर रौब गांठा

डॉ रुचिका टंडन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम निकलवाने का झांसा देकर की गयी ठगी का एक और मामला सामने आया है, इस बार ठगी का शिकार संजय गांधी पीजीआई की डॉ रुचिका टंडन हुई हैं। जालसाजों ने डॉक्टर को 6 दिन तक डिजीटल अरेस्ट रखा और इस बीच उनसे करीब 2 करोड़ 80 लाख रुपये ऐंठ लिये। जालसाजों ने उन्हें जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल के मनी लॉन्डरिंग केस में से उनका नाम निकलवाने का झांसा देकर इस वारदात को अंजाम दिया है।

जालसाजों ने डॉ टंडन को पहले ट्राई का अफसर बनकर फोन किया और फिर सीबीआई अफसर बनकर 6 दिनों तक डिजीटल अरेस्ट रखा। जालसाजों के चंगुल से छूटने के बाद डॉक्टर को अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ तो उन्होंने लखनऊ के साइबर थाने में लिखित तहरीर दी है। पुलिस ने भी डॉक्टर की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खाते सीज करा दिए हैं. हालांकि इतनी कार्रवाई होने तक जालसाजों ने ठगी की रकम को किसी अन्य खाते में ट्रांसफर कर दिया था।

डॉ रुचिका के अनुसार पहली बार जब ट्राई का अफसर बनकर उन्हें फोन किया गया तो बताया गया कि आपके सिमकार्ड को लेकर 22 शिकायतें आई हैं और इस नंबर को बंद किया जा रहा है। इसी के साथ ट्राई के उस कथित अफसर ने कहा कि उनका नाम जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल के मनी लॉन्डरिंग केस में आ गया है और मामले में आगे की जांच सीबीआई करेगी। इसके बाद उन्हें दोबारा फोन किसी और जालसाज ने सीबीआई अफसर बनकर फोन किया। उसने नरेश गोयल केस में शामिल होने का डर तो दिखाया ही, साथ में यह भी कहा कि उनका नाम महिलाओं और बच्चों की तस्करी मामले में भी आया है।

जालसाजों ने उन्हें यह भी बताया कि इस मामले में वह अकेले नहीं, बल्कि उनका परिवार भी अब बुरी तरह से फंस चुका है। डॉ टंडन के अनुसार यह सुनकर वह इस कदर डर गईं कि उन्हें गलत सही का ज्ञान ही नहीं रहा। वह आरोपियों के कहने पर उनके बताए एकाउंट में अलग अलग समय पर अलग अलग धनराशि डालती रहीं। इस प्रकार उन्होंने कुल 2 करोड़ 80 लाख रुपये आरोपियों को दे दिए। उनका कहना है कि इतने पैसे उनके पास उपलब्ध नहीं थे तो उन्होंने अपने सगे संबंधियों से उधार लेकर आरोपियों के खाते में डाले।

डॉ रुचिका का कहना है कि मुझसे उन ठगों ने यह भी कहा कि पैसे आप जमा कर दीजिये, अगर केस गलत निकलेगा तो आपके खाते में पैसे वापस आ जायेंगे। यही नहीं उनका कहना है कि वह यह समझ रही थीं कि डिजिटल अरेस्टिंग कानूनन होती होगी। डॉ रुचिका ने बताया कि जब वह अपने विभाग पहुंची और इस तरह के क्राइम की न्यूज देखीं तो उन्हें लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि उनके सा​थ ठगी हुई हो, इसी को कन्फर्म करने वह थाने पहुंची थीं, जहां उन्हें पता चला कि उनके साथ वाकई ठगी हो गयी है।

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