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केजीएमयू प्रशासन पर प्रमोशन को लेकर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप

-डीपीसी के लिए समय और जिम्मेदारी तय करने को लेकर आदेश जारी करने की कर्मचारियों की मांग, कुलपति को लिखा पत्र

सेहत टाइम्स

लखनऊ। कर्मचारी परिषद किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ ने केजीएमयू प्रशासन पर पदोन्नति को लेकर कर्मचारियों के प्रति भेदभाव और जानबूझकर उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाया है। कर्मचारियों का कहना है कि संकाय सदस्यों की DPC नियमित रूप से जुलाई माह में आयोजित की जाती है, जिससे उन्हें न केवल समय पर पदोन्नति मिलती है, बल्कि बैक डेट से वित्तीय लाभ भी प्रदान किया जाता है। इसके विपरीत, कर्मचारियों के पद रिक्त होने के बाद भी वर्षों तक DPC नहीं होती, जिससे कर्मचारियों का प्रमोशन तो रुकता ही है, साथ ही उन्हें वित्तीय लाभ से भी वंचित रखा जाता है।

इस सम्बन्ध में कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष विकास सिंह और महामंत्री अनिल कुमार ने कुलपति को 19 जुलाई को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि कर्मचारियों की पदोन्नति को लेकर की जाने वाली प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके के किये जाने के लिए स्पष्ट आदेश जारी करते हुए समय से प्रक्रिया न करने के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिये। पत्र में कहा गया है कि संस्थान में कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया (DPC) को लेकर एक सोची-समझी अनदेखी और भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। यह न केवल कर्मचारी हितों का सीधा उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक कर्तव्यों की भी घोर अवहेलना है।

पत्र में कहा गया है कि प्रशासन की उदासीनता एवं अव्यवस्था का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि कर्मचारी परिषद द्वारा इस मुद्दे पर कई बार लिखित अनुरोध पत्र दिए गए, साथ ही प्रशासनिक बैठकों में भी यह मुद्दा उठाया गया, लेकिन आज तक केवल आश्वासन ही मिला।

पत्र में कहा गया है कि समय पर प्रमोशन न होने से कर्मचारी अपने पारिवारिक दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं। क्या प्रशासन यह समझने में असमर्थ है कि एक कर्मचारी की पदोन्नति केवल उसका हक ही नहीं, बल्कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिरता का भी सवाल है?

पत्र में कर्मचारियों द्वारा मांग की गयी है कि जैसे संकाय सदस्यों की DPC की तिथि नियत है, वैसे ही कर्मचारियों की भी निश्चित वार्षिक तिथि प्रशासन द्वारा घोषित की जाए। अगर DPC नियत तिथि पर नहीं होती है, तो इसकी सीधी जवाबदेही संबंधित अधिकारियों पर तय की जाए और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही की जाए।

इसके अलावा यदि पद रिक्त हैं, तो कर्मचारियों को बैक डेट से प्रमोशन दिया जाए और वित्तीय लाभ भी उसी प्रकार दिया जाए जैसे संकाय सदस्यों को दिया जाता है। कहा गया है कि इस विषय पर प्रशासन एक स्पष्ट और लिखित आदेश जारी करे, जिसमें पदोन्नति प्रक्रिया की समय-सीमा, जिम्मेदारियां और वित्तीय लाभ के प्रावधान स्पष्ट हों।

पत्र में कुलपति से कहा गया है कि उनके द्वारा जिस प्रकार कर्मचारियों की जटिल समस्याएं एवं प्रमोशन जैसे अन्य मुद्दों को नियतिपारित करने का काम किया है। इसी प्रकार उम्मीद है कि इस संस्थान में जो कर्मचारियों के साथ भेदभाव चल रहा है, उसे भी समाप्त करेंगी।

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