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कैंसर के इलाज का मूल मंत्र है जल्‍दी डायग्नोसिस

-विश्‍व कैंसर दिवस पर व‍रिष्‍ठ पैथोलॉजिस्‍ट एवं सदस्य, यू पी मेडिकल काउंसिल डॉ पीके गुप्‍ता की कलम से

लैब में कार्य करते डॉ पीके गुप्‍ता

कैंसर जागरूकता अभियान के अंतर्गत 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सन 2000 से लगातार मनाया जा रहा है एक सर्वे के मुताबिक यदि कैंसर होने की रफ्तार इसी तरह बढ़ती रही तो सन 2030 तक कैंसर विश्व में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बन कर उभरेगा इसीलिए यह जरूरी है कि आम जन कैंसर की पहचान निदान यानी जांच तथा बचाव एवं इलाज के बारे में अपनी सामान्य जानकारी बढ़ाये।

चूंकि मैं पैथोलोजिस्ट हूं इसलिए कैंसर के शुरुआती दौर में पहचानने early diagnosis के महत्व को आप के साथ साझा करूंगा। इस वर्ष कैंसर दिवस का थीम है ‘मै हूं और मै रहूंगा’ (I AM and I Will) जिसका मतलब है कि हर व्यक्ति में क्षमता है कि वह कैंसर से लड़ सकता है अब कैंसर जानलेवा नहीं है, यदि समय पर पहचान लिया जाय।

सबसे पहले जान लेते हैं कि कैंसर क्या है,  शरीर मे सामान्य रूप से कोशिकाएं बनती हैं और नष्ट होती रहती हैं लेकिन इस प्रक्रिया मे गड़बड़ी होने पर कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ कर एक tumour यानि गाँठ का रुप धारण कर लेती हैं जो शरीर के किसी भी भाग में हो सकती है अब यह जानना जरूरी है कि यह गांठ cancerous है या नॉन cancerous यहाँ पर पैथोलॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जो कि गांठ की histopathology जांच कर यह बताते हैं कि गांठ cancerous है या नॉन cancerous यदि cancerous है तो किस टाइप का कैंसर है तथा किस स्टेज में है। इसी आधार पर कैंसर विशेषज्ञ की टीम इलाज शुरू करती है। अब मैं कैंसर के early diagnosis यानी पहचान के लिए बॉयोप्सी तथा FNAC यानी सुई द्वारा tumour की जांच के बारे में थोड़ी जानकारी शेयर करूंगा।

बॉयोप्सी एक छोटी सी सर्जिकल प्रोसीजर है जिसे सर्जन द्वारा किया जाता है जिसमे छोटा सा मांस का टुकड़ा निकालते हैं और इसे केमिकल में रख कर पैथोलोजिस्ट के पास भेजते हैं जो माइक्रोस्कोप से जांच  कर कैंसर होने या न होने की पुष्टि करते हैं साथ ही टाइप ऑफ कैंसर और स्टेज भी बताते हैं इसी आधार पर आगे का इलाज तय होता है।

इसी प्रकार FNAC जांच यानी सुई द्वारा ट्यूमर की जांच जिसमें सुई द्वारा टिशू फ्लूइड निकाला जाता है इस प्रोसीजर को पैथोलॉजिस्ट द्वारा ही किया जाता है कभी-कभी अंदरूनी ऑर्गन यानी शरीर के अंदर मौजूद गांठ का एफएनएसी करने के लिए रेडियोलॉजिस्ट की मदद ली जाती है एफएनएसी जांच में दर्द कम होता है और प्रशिक्षित पैथोलॉजी द्वारा ही किया जाता है यह जांच गांठ में कैंसर है या नहीं, यह बताता है उसके बाद आगे का इलाज एवं जांच की दिशा तय होती है।

इस कैंसर दिवस के अवसर पर मैं यह भी बताना चाहूंगा की लोगों में बायोप्सी तथा एफएनएसी के बारे में ये भ्रांतियां हैं की चीरा या सुई लगाने से कैंसर फैल सकता है जो कि सही नहीं है बल्कि बायोप्सी तथा एफएनएसी न कराने से कैंसर फैल सकता है,  इसलिए यह जरूरी है कि प्रारंभिक अवस्था में जांच कर कैंसर का पता लगा लिया जाए तथा समय पर इलाज कर जीवन बचा लिया जाए।

अब मैं बताना चाहूंगा की कैंसर के लक्षण क्या हैं

यदि व्यक्ति में लगातार वजन कम हो रहा हो, भूख नहीं लग रही हो, शरीर के किसी भी भाग में उभार या गांठ हो लगातार खांसी गले में खराश हो खाना निगलने में समस्या हो रही हो, मल के रास्ते खून आना, रुक-रुक कर बुखार आना तथा थकान होना, सांस फूलना तथा पेट फूलना यदि यह लक्षण आ रहे हो तो तुरंत फैमिली फिजिशियन से मिलकर अच्छे पैथोलॉजी से शरीर की पूरी जांच करानी चाहिए, क्योंकि कई अन्य बीमारियों मैं भी कैंसर से मिलते जुलते लक्षण मिलते हैं।

क्यों बढ़ रहा है कैंसर

अब जानते हैं की कैंसर क्यों बढ़ रहा है वैसे तो कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन 40 वर्ष के आसपास बहुत से जीवन शैली से जुड़े कारण हैं जिसमें कैंसर का खतरा बढ़ जाता है उनमें प्रमुख है मोटापा। सेडेंटरी लाइफ़स्टाइल यानी निष्क्रिय जीवनशैली, धूम्रपान, गलत खानपान, सूर्य की रोशनी में कम रहना यानी विटामिन डी की कमी के साथ-साथ बढ़ता प्रदूषण भी कैंसर होने में बड़ा कारण है।

कैसे करें बचाव

अब आते हैं कैंसर से कैसे बचाव किया जा सकता है इसके लिए पोषक भोजन लेना चाहिए अपने वजन को सामान्य रखें यानी आपका बॉडी मास इंडेक्स बीएमआई 25 से नीचे होना चाहिए, नियमित रूप से व्यायाम करें, सक्रिय रहें, स्मोकिंग तथा अल्कोहल से दूरी बनाकर रखें,  हाईफैट तथा हाई कैलोरी डाइट का प्रयोग कम करें, इसके स्थान पर लो फैट तथा हाई फाइबर डायट का प्रयोग करें। यदि परिवार में किसी को कैंसर रहा हो तो नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहें तथा कैंसर विशेषज्ञ के संपर्क में रहें।

कौन सा कैंसर ज्‍यादा होता है

अब जानते हैं कि पुरुष तथा महिलाओं में 5 सबसे प्रमुख कैंसर किन-किन ऑर्गन्स में होते हैं महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर यानी कि बच्चेदानी की मुंह का कैंसर, ओवेरियन कैंसर, यूटरिन कैंसर यानी गर्भाशय का कैंसर तथा बड़ी आंत का कैंसर तथा पुरुषों में फेफड़ों का कैंसर प्रॉस्टेट कैंसर बड़ी आंत का कैंसर आहार नाल का कैंसर तथा ब्रेन एवं  मुँह का कैंसर बहुत कॉमन है।

यदि इन ऑर्गन से जुड़ा कोई लक्षण हो तो सतर्क हो जाना चाहिए और अपने फैमिली फिजिशियन से मिलना चाहिए। मैं यहां एक बात और बताना चाहूंगा की किसी भी कैंसर के इलाज का मूल मंत्र है अर्ली डायग्नोसिस यानी जल्दी पहचान यानी बेटर ट्रीटमेंट एंड बेटर रिकवरी।

कैंसर को पहली या दूसरी स्‍टेज में पहचान लेने पर कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है साथ ही इस भाव को मन से निकाल दें कि‍ कैंसर मतलब जीवन का अंत है आजकल डायग्नोसिस तथा ट्रीटमेंट के बहुत से साधन मौजूद हैं जिसको समय रहते प्रयोग करने पर कैंसर ठीक हो जाता है उम्मीद है की विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी के अवसर पर यह जानकारी जन आरोग्य के लिए उपयोगी होगी।