इंग्लैंड में एक साल हुई स्टडी में यह बात सामने आयी
लखनऊ। एक अध्ययन का कहना है, ई-सिगरेट धूम्रपान छुड़वाने में असरदार है। यह अध्ययन इंग्लैंड में एक साल तक चला। इस दौरान चले एक परीक्षण से पता चला है कि ई-सिगरेट पैच या धूम्रपान बंद करने के लिए गम जैसे उत्पादों से लगभग दोगुना सफल रही थी। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य में सबसे अहम अनुत्तरित सवालों में से एक है: क्या ई-सिगरेट वाकई धूम्रपान छोड़ने में मदद करती हैं? अब, पहला, विशाल कठोर मूल्यांकन एक स्पष्ट जवाब प्रदान करता है: हाँ.
बीते बुधवार को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि धूम्रपान को छोड़ने के लिए पारम्परिक निकोटीन प्रतिस्थापन उत्पादों, जैसे पैच और गम की तुलना में ई-सिगरेट लगभग दोगुनी असरदार है।
सफलता की दर अभी भी कम थी — पारंपरिक निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग कर रहे लोगों के बीच 9.9 प्रतिशत की तुलना में ई-सिगरेट समूह के बीच 18 प्रतिशत – लेकिन तम्बाकू और निकोटीन का अध्ययन करने वाले कई शोधकर्ताओं ने कहा कि इसने उन्हें वह स्पष्ट सबूत दिया है जिसकी उन्हें तलाश थी।
यह अध्ययन ब्रिटेन में आयोजित किया गया था और ब्रिटेन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान और कैंसर अनुसंधान संस्थान द्वारा वित्तपोषण किया गया था। एक साल तक, इसमें ई-सिगरेट या पारंपरिक निकोटीन प्रतिस्थापन उपचारों का उपयोग करने के लिए बेतरतीब ढंग से समनुदिष्ट किए गए 886 धूम्रपानकर्ताओं को अनुकरण किया गया। दोनों समूहों ने कम से कम चार साप्ताहिक परामर्श सत्रों में भी भाग लिया था, जिसे सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण घटक माना जाता है।
डॉ नील एल बेनोविट्ज, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में नैदानिक औषध विज्ञान के प्रमुख, सैन फ्रांसिस्को, निकोटीन अवशोषण और तंबाकू से संबंधित बीमारियों के विशेषज्ञ, जो परियोजना में शामिल नहीं था, का कहना है, “यह एक लाभदायक अध्ययन है।” “यह इस क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।”
रोग नियंत्रण और निवारण केन्द्र के अनुसार, दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष तम्बाकू का इस्तेमाल लगभग 6 लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है, जिसमें से 480,000 संयुक्त राज्य अमेरिका से होते हैं। यदि तम्बाकू के इस्तेमाल का रुझान जारी रहा तो 2030 तक पूरे विश्व में मौतों की संख्या सालाना 8 लाख लोगों की मृत्यु तक पहुँच जाने का अनुमान है।
ई-सिगरेट जलते हुए तम्बाकू के साथ आने वाले विषाक्त टार और कैंसरजन्य तत्वों के बिना धूम्रपानकर्ताओं की निकोटीन की तलब को पूरा करती है। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन में और अन्य जगहों पर में विनियामकों ने इनकी धूम्रपान बंद करने वाले उपकरण के रूप में मार्केटिंग किया जाना अनुमोदित नहीं किया है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ने अपना मौजूदा अंक का ज्यादातर हिस्सा ई-सिगरेटों को समर्पित किया है, दो संपादकीय और एक पत्र प्रकाशित किया है, और यह संग्रह इन उपकरणों पर उलझे हुए जन स्वास्थ्य बहस को दिखाता है। एक संपादकीय — बेलिंडा बोरेली, एक व्यवहारवादी स्वास्थ्य विशेषज्ञ और डॉ. जार्ज टी. ओकोनर, एक पल्मनोलॉजिस्ट द्वारा लिखा गया— ने ई-सिगरेट को अपनाए जाने के झुकाव पर ब्रेक लगाई है।
उन्होंने उललेख किया है कि 80 प्रतिशत अध्ययन सहभागी, जिन्होने ई-सिगरेट के इस्तेमाल के द्वारा धूम्रपान छोड़ दिया था, एक साल तक वैपिंग करते रहे थे, जबकि केवल निकोटीन प्रतिस्थापन चिकित्सा समूह का केवल नौ प्रतिशत अभी निकोटीन उत्पाद इस्तेमाल कर रहा है। उन्होने लिखा है कि इससे निकोटीन की दीर्घकालिक लत लगने और ई-सिगरेट के दीर्घकालिक इस्तेमाल के अज्ञात स्वास्थ्य प्रभावों की चिंता पैदा होती है।
संपादकीय ने संस्तुति की है कि ई-सिगरेट को केवल तब शुरु किया जाना चाहिए जब व्यवहारवादी परामर्श सहित बंद करने की दूसरी सभी पद्धतियां विफल हो जाएं; कि रोगी निकोटीन की यथासंभव न्यूनतम खुराक ले; कि स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता ई-सिगरेट के इस्तेमाल के लिए एक स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित करें।
यह क्लीनिकल परीक्षण मई 2015 से फरवरी 2018 तक चला था। चूँकि धूम्रपानकर्ताओं को क्लीनिकों में भर्ती किया था, इसलिए वह सिगरेट छोड़ने का मन पहले से बना चुके थे, एक ऐसी बात जो परिणामों को थोड़ा प्रभावित कर सकती है। सहभागी ठेठ तौर वार प्रौढ़ आयु के थे, एक दिन में आधी डिब्बी से लेकर एक डिब्बी पीते थे और धूम्रपान छोड़ने की पहले भी कोशिश कर चुके थे।
ई-सिगरेट के परीक्षण में शामिल इन व्यक्तियों को एक रिफिलेबल उपकरण और 18 मिलीग्राम प्रति मिलीलिटर के साथ तम्बाकू के स्वाद वाले निकोटीन ई-लिक्विड — इंग्लैंड में सबसे आम उत्पाद —के साथ एक स्टार्टर किट दी गई थी।
सभी सहभागियों के पास असल जिंदगी के हालातों के लगभग अनुरूप होने के लिए अपने अध्ययन समूहों के अंदर वैयक्तिक छूट थी। जब वैपर्स निकोटीन लिक्विड की अपनी बोतल को खत्म कर लेते तब उवो कोई भी निकोटीन फ्लेवर और निकोटीन स्ट्रैंथ खरीद सकते थे।
निकोटीन प्रतिस्थापन चिकित्सा प्रयोग करने वाले लोग विभिन्न उत्पादों में से चुन सकते थे, जिसमें पैच, गम, लोजेन्गो और नासाल स्प्रे शामिल थे। उन्हें इनको मिलाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया था; अधिकांश ने ऐसा किया, ठेठ तौर पर पैच और एक मुखी चिकित्सा को चुना।
चूँकि धूम्रपान से परहेज करने की स्वयं द्वारा दी गई सूचना को विश्वसनीय नहीं माना जाता है, इसलिए अनुसंधानकर्ताओं ने सहभागियों की सांस में कार्बन मोनोऑक्साइड का मात्रा नापी थी, जो अधिक परिशुद्ध प्रमाणन है।
डॉ. मैसिएज गोनीविस्ज का, ब्रिटिश अध्ययन के सह-लेखक जो अब बफाले, न्यूयॉर्क में रोजवेल पार्क कम्प्रीहेन्सिव कैंसर सेन्टर में एक औषध विज्ञानी हैं, कहना था कि ई-सिगरेट की सफलता संभवत: कई कारकों के संयुक्त रूप को परिलक्षित करती है।
उनका कहना था “यह सुपुर्दी की विधि, निकोटीन की मात्रा और उपयोगकर्ता के बर्ताव के बारे में है। ई-सिगरेट का यह फायदा है कि उपयोगकर्ता निर्णय लेता है कि कैसे और कब कश मारना है। निकोटीन प्रतिस्थापन चिकित्सा उत्पादों के निर्दिष्ट निर्देश हैं, जो अलग-अलग उत्पादों के लिए अलग-अलग हैं।”
डॉ. बेनोविट्ज ने उल्लेख किया है कि ई-सिगरेट उपयोगकर्ताओं के बीच छोड़ने और अनुपालन की उच्च दर को अतिरिक्त रूप से समझाया सकता है क्योंकि इन व्यक्तियों ने दूसरे समूह के द्वारा उनके उत्पादों की तुलना में अपने उपकरण के साथ ज्यादा संतुष्टि जाहिर की है।
अपने संपादकीय में, डॉ. बोरेली और डॉ. ओकोनर्स धूम्रपान छुडवाने की दूसरी चिकित्साओं पर अन्य अनुसंधान का उल्लेख किया है: एक अध्ययन में निकोटीन-प्रतिस्थापन चिकित्सा और अवसादरोधी बूप्रोप्रियोन (वेलबूट्रिन) ने थोड़ी अधिक धूम्रपान-त्याग हासिल किया है जितना कि इस नवीनतम परीक्षण में ई-सिगरेटों ने हासिल किया है। निर्देश पर दी जाने वाली वैरिनिसिलिन (चैंटिक्स) ने उससे भी थोड़ा अच्छा प्रदर्शन किया है। उनका कहना था कि इसके अलावा, ये उत्पाद सुरक्षित साबित हुए हैं।
सुनित नरुला, महासचिव, इन्फाइट अचीवर्स का कहना था, “हमें इन जैसे अध्ययनों का अवलोकन करना चाहिए और इसलिए विश्व में किसी तुल्य अध्ययन का अवलोकन किए बिना ई-सिगरेट या ENDS, इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी जैसे किसी नए उत्पाद पर सिर्फ नुकसानदायक होने को आरोप लगाने के लिए किसी पक्षपाती निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सिक्के के दोनों पहलुओं को परखना चाहिए। हमें भारतीय उपभोक्ता को उपलब्ध ज्यादा सुरक्षित विकल्प से वंचित नहीं करना चाहिए। हमें कम नुकसानदायक उत्पाद चुनना उपभोक्ता के जिम्मे छोड़ देना चाहिए।”