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गर्भावस्‍था के दौरान माइक्रोन्‍यूट्रीशियंस की कमी से भी डायबिटीज का खतरा लेकर पैदा होता है शिशु

सीसीएमबी के डॉ गिरिराज चंदक ने रिसर्च में पाया कि गर्भावस्‍था के दौरान गर्भवती के खानपान, पर्यावरण का पड़ता है असर

 

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय केजीएमयू का क्वीन मैरी अस्पताल ने इस साल का अपना स्‍थापना दिवस विश्‍व मधुमेह दिवस के दिन मनाया। 4 नवंबर 1932 को स्थापित इस अस्‍पताल का स्‍थापना दिवस समारोह नवम्‍बर माह में मनाया जाता है। इस मौके पर अस्‍पताल ने एक व्‍याख्‍यान का आयोजन किया जिसमें सीएसआईआर-सीसीएमबी के ग्रुप लीडर डॉ गिरिराज चंदक ने अपनी रिसर्च के महत्‍वपूर्ण परिणाम की जानकारी देते हुए बताया कि भारत वर्ष में डायबिटीज होने के अन्‍य कारणों के साथ‍ ही एक महत्‍वपूर्ण कारण है महिलाओं में बी-12 वाले माइक्रोन्‍यूट्रीशियंस की कमी होना। डॉ चंदक पिछले 25 सालों से रिसर्च कर रहे हैं। उन्‍होंने बताया कि इस माइक्रोन्‍यूट्रीशियंस की कमी मांसाहार से या विटामिन-12 का सप्‍लीमेंट लेने से दूर होती है। बी-12 की कमी होने से पैदा होने वाले शिशु को बाद में डायबिटीज होने का खतरा रहता है।

इसके बारे में विस्‍तार से बताते हुए उन्‍होंने डायबटीज, उच्च रक्तचाप एवं हृदय रोग की उत्पत्ति का कारण गर्भावस्था में भ्रूण पर गर्भवती माता के खान-पान, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के असर के बारे में बताया। डॉ चंदक ने कहा कि रिसर्च में यह पाया गया है कि जब शिशु मां के गर्भ में होता है तब उस दौरान पर्यावरण और माइक्रोन्‍यूट्रीशियंस का असर शिशु की ग्रोथ पर पड़ता है। उन्‍होंने बताया कि किशोरावस्‍था से ही लड़कियों को माइक्रोन्‍यूट्रीशियंस की कमी नहीं होने देना चाहिये ताकि जब वह युवावस्‍था में पहुंचे और विवाह हो तब गर्भधारण करने के बाद शिशु की ग्रोथ पर माइक्रोन्‍यूट्रीशियंस की कमी का असर न पड़े।

 

इस मौके पर अस्‍पताल की रिपोर्ट प्रस्‍तुत करते हुए विभागाध्‍यक्ष प्रो विनीता दास ने कहा कि क्वीन मैरी अस्पताल देश में सबसे बड़े प्रसूति एवं स्त्री रोग विभागों में से एक है, जहां प्रति वर्ष लगभग 10,000 प्रसव होते हैं, जिसमें से अधिकतर जटिल होते हैं। उन्‍होंने बताया कि पिछले एक साल में विभाग में मरीजों के हित के लिए भी कई नई सुविधाएं भी शामिल की गई हैं। साथ ही संकाय सदस्यों और रेजीडेंट को पठन-पाठन में विभिन्न पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।

 

उन्‍होंने कहा कि मरीज के ठीक होने में उपचार के साथ-साथ उसके मनोबल एवं मानसिक स्थिति का अहम योगदान होता है। इस प्रक्रिया में चिकित्सक के व्यवहार का भी बहुत महत्व है, इसलिए प्रतिवर्ष क्वीन मैरी अस्पताल में एक रेजीडेंट को सबसे मानवीय गुणवत्ता के आधार पर मतदान प्रक्रिया द्वारा चुना जाता है और उसे पदक भी दिया जाता है।इस वर्ष यह पुरस्कार डॉ सुमैय्या साद और आयुषी शुक्ला को प्रदान किया गया।इसके साथ ही विभाग के कुछ कर्मचारियों को भी उनके उत्कृष्ट काम के लिए सम्मानित किया गया। जिसमें मुख्य रूप से क्लर्क विमला, स्टाफ नर्स राजकुमारी, संतोष एवं तनुल दत्ता शामिल हैं।