साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में सम्पन्न हुआ यूरो ऑन्कोकॉन 2019
लखनऊ। केजीएमयू के अटल बिहारी साइंटिफिक कन्वेन्शन सेंटर में दो दिन तक चले यूरो ऑन्कोकॉन 2019 का समापन रविवार को हो गया। सिंगल ऑर्गन सिंगल डिजीज के पैटर्न पर आधारित इस कॉन्फ्रेस में किडनी कैंसर को लेकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने एक छत के नीचे आकर देश के कई राज्यों से आये सर्जन के बीच अपने-अपने कार्य और उसके अनुभव को साझा किया। सर्जनों के इस इस दो दिन के मंथन में निकली अमृत की बूंदों से किडनी कैंसर के मरीजों को नयी जिंदगी मिलने का मार्ग और भी प्रशस्त हुआ है।
ज्ञात हो केजीएमयू ने नयी दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, संजय गांधी पीजीआई, लखनऊ तथा यूरोलॉजिकल एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड, लखनऊ यूरोलॉजी क्लब एवं आरएस एजूकेशनल सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में पहली बार एक अंग पर एक तरह की बीमारी के विषय पर दो दिन की कॉन्फ्रेंस रखी गयी थी।
आयोजन अध्यक्ष डॉ एसएन संखवार व आयोजन सचिव डॉ एचएस पाहवा ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार सहित उत्तर भारत के सर्जन प्रतिभागी के रूप में शामिल हुए। इन सर्जन को किडनी कैंसर के बिना किडनी को निकाले सफल इलाज की जानकारियां विशेषज्ञों से मिलीं, ये जानकारियां इन सर्जन द्वारा अपने-अपने क्षेत्र के लोगों के इलाज में मील का पत्थर साबित होंगी।
आयोजन समिति में शामिल केजीएमयू के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मनीष अग्रवाल ने बताया कि दूसरे दिन किडनी में हुए कैंसर के अन्य अंगों में भी फैलने के बारे में चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि व्याख्यानों की अध्यक्षता केजीएमयू के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट, एम्स दिल्ली के यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो0 अमलेश सेठ, डॉ केएम सिंह, डॉ0 अनिल एल्हेंस, डॉ राजीव गुप्ता, डॉ0 सुषमा अग्रवाल, डॉ0 मधुप रस्तोगी द्वारा की गयी।
दूसरे दिन डॉ0 दिवाकर दलेला ने विभिन्न प्रकार के गुर्दे के ट्यूमर के बारे में चर्चा की। डॉ अनीश श्रीवास्तव ने कैंसर के मॉलीक्यूलर बायोलॉजी पर प्रकाश डाला जबकि डॉ विनीत तलवार ने विभिन्न एंटीकैंसर दवाओं पर चर्चा की। जर्मनी के डॉ बेडके ने इन कैंसर के लिए इम्यूनोथैरेपी के पुनरुद्धार पर चर्चा की। यूएस के प्रो क्रिस्टोफर वुड और प्रो जेन्स बेडके ने मेटास्टैटिक सर्जरी में मेटास्टैटिक किडनी के कैंसर पर भी जानकारी दी। डॉ सुधीर रावल ने पाजोपनिब एंटीकैंसर ड्रग के प्रभाव के बारे में बताया। डॉ संजय सुरेखा ने इन कैंसर के प्रबंधन में पीईटी स्कैन की भूमिका पर बात की। इसके अतिरिक्त मेटास्टैटिक किडनी ट्यूमर पर एक पैनल चर्चा भी हुई जिसे डॉ जेन्स बेडके द्वारा संचालित किया गया और पैनलिस्ट डॉ क्रिस्टोफर वुड, डॉ एकके सिंह, डॉ अमलेश सेठ, डॉ नीरज रस्तोगी, डॉ मनोज पाराशर और डॉ सुधीर कुमार रावल शामिल थे।
जागरूकता के चलते अब ज्यादा मामले होते हैं उजागर
केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मनोज कुमार ने बताया कि किडनी में कैंसर के केस पहले 15 फीसदी सामने आते थें लेकिन अब जागरूकता बढ़ने के साथ ही दूसरी जांच के समय ही कैंसर का पता लग जाने के कारण कैंसर के केस ज्यादा सामने आने लगे है। उन्होंने बताया कि केजीएमयू में लैप्रोस्कोपी से किडनी की करीब 20 सर्जरी प्रति माह हो रही हैं। कैंसर होने के कारणों के बारे में उन्होंने बताया कि तम्बाकू का सेवन करने वाले, पेट्रोलियम, ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में कार्य करने वालों को इसका खतरा ज्यादा रहता है।
स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी थैरेपी से छोटी गांठों का इलाज संभव
चक गंजरिया स्थित कैंसर संस्थान के डॉ प्रमोद कुमार गुप्ता ने बताया कि स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी की सहायता से फेफड़े, लिवर, हड्डी में पायी जाने वाली कैंसर की छोटी गांठों का इलाज कारगर है। स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी से इसे कंट्रोल कर लिया जाता है।
इसके अलावा डॉ एमएस अंसारी, डॉ उदय प्रताप सिंह, डॉ वैद जमान, डॉ हिमांशु पांडे, डॉ सौरभ गुप्ता, डॉ सूर्य वशिष्ठ, डॉ एचएस पाहवा, डॉ अंशुमान अग्रवाल, डॉ संजय सुरेका, डॉ शशिकांत मिश्र और डॉ विपिन त्यागी ने 7 असामान्य प्रस्तुतियां और चार रोचक क्लिनिकल वीडियो प्रस्तुत किये। केजीएमयू और एसजीपीजीआई के रेजीडेन्ट डॉक्टरों द्वारा अलग-अलग पोस्टर भी प्रस्तुत किये गये।