अलग तकनीक से की डॉ अशअर अली ने सर्जरी, खड़ी हो सकी महिला
लखनऊ। सर्जरी पर सर्जरी, सर्जरी पर सर्जरी, एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, चार सर्जरी के बाद भी जब महिला का सफल कूल्हा प्रत्यारोपण नहीं हुआ तो वह निराश हो गई थी। इसके बाद महिला को डॉ अशअर अली खान के बारे में पता चला। हड्डी एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ अशअर अली खान ने एक अलग तकनीक से सर्जरी की, उसका नतीजा यह है कि महिला आज खड़ी हो सकी है।
सर्जरी को अंजाम देने वाले इंदिरा नगर स्थित स्टैनफोर्ड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर अशअर अली खान ने बताया कि राजाजीपुरम लखनऊ की 52 वर्षीय मंजू केसरवानी ने वर्ष 2001 से लेकर 2016 के बीच राजधानी लखनऊ के 4 विशेषज्ञों से कूल्हा प्रत्यारोपण सर्जरी कराई थी लेकिन वह सफल नहीं रही। यही नहीं चार सर्जरी होने से कूल्हा और खराब हो चुका था। डॉ अली ने जब डॉ मंजू को चेक किया तो उन्होंने फिर से प्रत्यारोपण सर्जरी की चुनौती स्वीकार की और एक नई टेक्निक से 7 घंटे सर्जरी करके कूल्हा प्रत्यारोपण किया।
मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल और लीलावती अस्पतालों में कार्य कर चुके डॉक्टर अशअर अली खान ने बताया यह सर्जरी बीती 15 जून को उनके अस्पताल में की गई। सर्जरी के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया पुराने जोड़ को निकाल कर बोन सीमेंट की सफाई की गई, इसके बाद अमेरिका से मंगाए गए इंपोर्टेड एसिटाबुलम प्रोट्रूसियो केज को कूल्हे की बची हुई हड्डी से जोड़कर कूल्हा प्रत्यारोपण का बेस तैयार किया। इसके बाद इस तैयार बेस पर कूल्हे की कटोरी लगाई। इसके बाद जांघ की हड्डी में 10 इंच लंबा सलूशन स्टेम लगाकर उस पर कूल्हे का हेड लगाकर बॉल और सॉकेट जॉइंट तैयार कर सर्जरी को अंजाम दिया गया।
उन्होंने बताया अब एक सप्ताह के बाद मरीज वॉकर से चलने लगी हैं तथा 6 हफ्ते के बाद बिना वॉकर के चलकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि उनके साथ इस ऑपरेशन में एनस्थेटिस्ट डॉ पीपी सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ इरम खान के अलावा सहायक के रूप में मनोज, रिंकू, संजय, मोहम्मद अमीन, अरविंद, पूजा सिंह भी मौजूद रहे।