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ACR के लिए अब डॉक्‍टरों को न करनी पड़ेगी चिरौरी, न काटने होंगे चक्‍कर

वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि की प्रक्रिया हुई डिजिटल, अनैतिक लाभ का धंधा होगा मंदा  

लखनऊउत्‍तर प्रदेश के चिकित्‍सकों के लिए बड़ी राहत वाली खबर है। अब वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि (एसीआर) देने के तरीके को डिजिटल कर दिया गया है। अब प्रविष्टि के लिए डॉक्‍टरों को अधिकारियों की परिक्रमा नहीं करनी पड़ेगी, साथ ही प्रविष्टि में किसी प्रकार का बदलाव भी नहीं किया जा सकेगा।

 

यह जानकारी देते हुए प्रांतीय चिकित्‍सा सेवा संघ के महा‍सचिव डॉ अमित सिंह ने बताया कि लम्‍बे समय से इसके लिए राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन की टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (टीएसयू) के साथ प्रां‍तीय चिकित्‍सा सेवा संघ की कवायद चल रही थी, जो कि अब पूरी हो गयी है। उन्‍होंने बताया कि टीएसयू के हेड डॉ वसंथ के विशेष सहयोग से इस कार्य को सफल बनाया जा सका है, जल्‍दी ही इस पैटर्न पर कार्य करने के लिए चिकित्‍सकों को प्रशिक्षण देने के लिए कार्यक्रम तय किया जायेगा। उन्‍होंने बताया कि आज टेक्निकल सपोर्ट यूनिट के साथ संघ की साढ़े चार घंटे की मैराथन बैठक और जबर्दस्त ब्रेन स्टॉर्मिंग के बाद संवर्ग की स्थापना के समय से ही चली आ रही सबसे बड़ी समस्या A.C.R  को लिखे जाने में होने वाली परेशानी अब इतिहास की बात होने जा रही है। इस साल से चिकित्‍सक अपना सेल्फ असेसमेंट मानव सम्पदा में डिजिटली एंटर करेंगे और आगे की प्रक्रिया भी उसी क्रम में होगी। यानी अब इसके लिखे जाने से लेकर रखरखाव और स्थिति चिकित्‍सक स्वयं भी और उच्च अधिकारी भी एक क्लिक पर देख सकेंगे।

 

आपको बता दें कि चिकित्सकों को प्रतिवर्ष अपने कार्य का स्‍वआकलन करना होता है, कि उसने उस वर्ष क्‍या-क्‍या कार्य किये। इसे वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि के प्रोफॉर्मा पर भरना होता है। इसके बाद चिकित्‍सक द्वारा किये गये अपने कार्य के आकलन को मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी या मुख्‍य चिकित्‍सा अधीक्षक द्वारा प्रमाणित किया जाता है। इसके पश्‍चात सहायक निदेशक के पास पत्रावली जाती है, सहायक निदेशक इस पर अपनी टिप्‍पणी लगाकर निदेशालय को प्रेषित कर देता है।

 

यही नहीं जब कभी भी प्रमोशन की बात आती है तो इन वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों को शासन भेजा जाता है जिससे उस चिकित्‍सक के प्रमोशन पर निर्णय लिया जा सके। चिकित्‍सक को दी जाने वाली टिप्‍पणी पांच प्रकार की होती हैं, संतोषजनक, अच्‍छा, उत्‍तम, अति उत्‍तम और उत्‍कृष्‍ट। इनमें पहली दो कैटेगरी संतोषजनक और अच्‍छा के लिए कोई अंक नहीं मिलते हैं जबकि उत्‍तम के लिए 1, अति उत्‍तम के लिए 2 तथा उत्‍कृष्‍ट के लिए 3 अंक दिये जाते हैं। हर वर्ष मिलने वाले इन अंकों का महत्‍व प्रमोशन के समय बहुत महत्‍वपूर्ण हो जाता है, क्‍योंकि जितने ज्‍यादा अर्जित अंक उतनी ही मलाई।

 

अभी तक एसीआर लिखने का कार्य मैनुअली होने के कारण लेटलतीफी के साथ ही भ्रष्‍टाचार, भाईभतीजावाद को भी बढ़ावा देने की गुंजाइश रखता था, लेकिन इसके डिजीटली होने के बाद अब यह संभावना समाप्‍त हो जायेगी।