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डॉक्‍टरों ने कहा, रिटायरमेंट की आयु बढ़ाना डॉक्‍टरों की कमी का स्‍थायी हल नहीं

चिकित्‍सकां की ऐच्छिक सेवानिवृत्ति की लंबित मांग पूरी करे शासन

अधिवर्षता आयु 62 वर्ष से 70 वर्ष करने प्रस्‍ताव पर पीएमएस संघ से सरकार ने मांगे थे सुझाव

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश की चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में डॉक्‍टरों की कमी पूरी करने के लिए सेवाओं की कार्यदशा को सुधारने की जरूरत है, ऐसे प्रयास किये जाने की आवश्‍यकता है कि नये चिकित्‍सक इन सेवाओं की तरफ आकर्षित हो सकें, और सम्‍मान और सुरक्षा के वातावरण में अपनी योग्‍यता का प्रदर्शन जनहित में कर सकें।

 

यह सुझाव सरकार द्वारा चिकित्‍सकों की अधिवर्षता सेवा की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष किये जाने के प्रस्‍ताव पर प्रांतीय चिकित्‍सा सेवा संघ से मांगी गयी राय के जवाब में पत्र लिखकर प्रां‍तीय चिकित्‍सा सेवा संघ की ओर से उत्‍तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य को भेजा गया है। महामंत्री डॉ अमित सिंह की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि पूर्वाग्रह से मुक्‍त होकर कदम उठाये जाने की जरूरत है।

 

पत्र में कहा गया है कि स्थिति यह है कि इस संवर्ग के 600 चिकित्‍सकों को भी पिछले दो दशकों से स्‍थायी रूप में नहीं जोड़ा जा सका है। है। 2922 विशेषज्ञ चिकित्‍सकों में से एक चौथाई करीब 50 वर्ष की आयु के हैं। अधिवर्षता की आयु बढ़ाना कोई समाधान नहीं है। दूसरी ओर 58 वर्ष या 60 वर्ष अधिवर्षता आयु में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्‍प न दिया जाना और भी पीड़ादायक है।

 

पत्र में कहा गया है कि 30 मई 2017 को हुए निर्णय के अनुसार चिकित्‍सकों की अधिवर्षता आयु 60 वर्ष से 62 वर्ष करने का आदेश हुआ था साथ ही 60 वर्ष पर सेवानिवृत्ति का विकल्‍प रखा गया था। लेकिन जुलाई 2017 में ऐचिछक सेवानिवृत्ति का विकल्‍प हटा दिया गया था। पत्र में कहा गया है कि पीएमएस एसोसिएशन का स्‍पष्‍ट मानना है कि इस तरह का प्रस्‍ताव लाने के पहले यह 58 या 60 वर्ष की अयु में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्‍प जरूर लायें। अगर ऐसा न हुआ तो संवर्ग के मृतप्राय होने का खतरा बना रहेगा।

आपको बता दें अधिवर्षता आयु 62 से 70 वर्ष करने के लंबित प्रस्‍ताव पर प्रांतीय चिकित्‍सा सेवा संघ की राय जानने के लिए शासन स्‍तर पर गुरुवार को बैठक बुलायी गयी थी।