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चिकित्‍सकों को अपने मरीजों के प्रति सम्‍मान, संवेदना, सूचना और संवाद रखना जरूरी

क्‍वीनमैरी अस्‍पताल के स्‍थापना दिवस पर आयोजित व्‍याख्‍यान में डॉ रेवा त्रिपाठी ने दी सलाह

लखनऊ। चिकित्सकों को अपने मरीजों के प्रति सम्मान, संवेदना, रोग के बारे में पूर्ण सूचना के साथ ही संवाद बनाए रखना चाहिए। कई बार चिकित्सकों के सामने ऐसे मरीज के केस आते हैं जोकि पहले उस बीमारी पर कई गए शोधों से भिन्न होते हैं। उन्होंने बताया कि हर बार प्रत्येक मरीज की बीमारी का उपचार एक समान हो यह जरूरी नहीं है।

यह सलाह आज शनिवार को क्वीन मैरी अस्पताल के स्‍थापना दिवस के मौके पर आयोजित डॉ प्रभा मेहरा व्‍याख्‍यान में हमर्दद चिकित्सा विज्ञान एवं शोध संस्थान नई दिल्ली की पूर्व विभागाध्‍यक्ष डॉ रेवा त्रिपाठी ने दी। क्‍वीन मैरी अस्‍पताल की स्‍थापना 4 नवंबर 1932 को हुई थी।

डॉ रेवा त्रिपाठी अस्पताल की पूर्व छात्रा हैं। उन्होंने चिकित्सा पद्धति में नैतिक और दयालु होने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आजकल के दौर में चिकित्सकों एवं मरीज या उनके तीमारदारों के बीच होने वाले झगड़े का मुख्य कारण यह है कि हमें और नैतिकता के साथ अपनी प्रोफेशन प्रैक्टिस करने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एम0एल0बी0 भट्ट ने एम0बी0बी0एस0 के विद्यार्थियों को संदेश देते हुए कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा इसी वर्ष एथिक्स (नैतिकता) को मेडिकल करिकुलम में महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को मरीजों की गोपनीयता का ध्यान रखते हुए उन्हें सम्मान देना चाहिए तभी वह चिकित्सकों को भी सम्मान देंगे।

डॉ.रुचि पांडे

समारोह के दौरान विभागाध्यक्ष डॉ विनीता दास ने विभागीय रिपोर्ट प्रस्तुत की। पिछले एक साल में विभाग में कई नई सुविधाओं को जोड़ा गया है, 100 बेड वाली एमसीएच विंग का उद्घाटन किया गया है और नई लेबर डिलीवरी कॉम्प्लेक्स का काम लगभग पूरा हो गया है। 8 बेडेड एचडीयू और 4 बेडेड आईसीयू का निर्माण कार्य प्रगति पर है। हमें उम्मीद है कि संकाय के लिए नया लेबर रूम कॉम्प्लेक्स और भूमिगत पार्किंग वर्ष के अंत से पहले कार्यात्मक होगा। संकाय और रेजीडेन्ट को पिछले वर्ष में विभिन्न पुरस्कार मिले हैं। एमडी सीटें इस वर्ष से प्रति वर्ष कुल 30 सीटों तक बढ़ गई हैं, इस वर्ष से विभाग में 2 नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं, प्रजनन चिकित्सा में पीडीसीसी और गाइनी ऑन्कोलॉजी में फैलोशिप। ट्रामा सेंटर में स्थापित मिल्क बैंक के समन्वय से विभाग में एक स्तनपान प्रबंधन इकाई शुरू की गई है। साथ ही संकाय सदस्यो और रेजीडेन्ट को पठन-पाठन में विभिन्न पुरस्कार प्राप्त भी हुए है।

प्रत्येक वर्ष अधिकांश मानवीय गुणवत्ता के आधार पर मतदान प्रक्रिया द्वारा एक रेजीडेन्ट का चयन किया जाता है और उसी को पदक प्रदान किया जाता है। इस साल सबसे अधिक मानवीय रेजीडेन्ट पुरस्कार डॉ.रुचि पांडे को दिया गया। विभाग के कुछ कर्मचारियों (एंसी वर्गीज (स्टाफ नर्स) आर के त्रिपाठी (फार्मासिस्ट) रजनीश मिश्रा (वरिष्ठ सहायक) जेबा, मोहन (चतुर्थ श्रेणी) को भी उनके काम के लिए सम्मानित किया गया।