-हेल्थ सिटी विस्तार के निदेशक व चीफ कन्सल्टेंट ईएनटी, डॉ राकेश श्रीवास्तव से विशेष वार्ता

(सेहत टाइम्स)
लखनऊ। बच्चों की बिना एंडोस्कोपी किये सांस नली में अवरोध का लेवल पता लगाना हो, आवाज में करेक्शन यानी पुरुष से महिला की या महिला से पुुरुष की आवाज बनाने की सर्जरी हो या फिर कान के परदे की बीमारियों का पता लगाने के लिए ऐप विकसित करना हो, या फिर शुरुआत में ही कैैंसर को पहचानना हो, कह सकते हैं कि कान-नाक-गले जैसे महत्वपूर्ण अंगों की डायग्नोसिस से लेकर उपचार तक जटिल से जटिल सर्जरी को आसान बना दिया है 25 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे गोमती नगर स्थित हेल्थ सिटी विस्तार सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर के निदेशक व चीफ कन्सल्टेंट वरिष्ठ कान-नाक-गला विशेषज्ञ डॉ राकेश श्रीवास्तव ने।
‘सेहत टाइम्स’ ने डॉ राकेश श्रीवास्तव से विशेष मुलाकात में उनके द्वारा किये जाने वाले यूनीक कार्यों के बारे में बात की। डॉ राकेश ने बताया कि वह वॉयस करेक्शन यानी आवाज में परिवर्तन की सर्जरी, जैसे पुरुष की आवाज से महिला की आवाज बनाना या महिला की आवाज को पुरुष की आवाज में परिवर्तन करने की सर्जरी करते हैं। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि लोगों की आवाज उनके व्यक्तित्व पर फिट नहीं बैठती है, यहां तक कि कुछ लोगों को इसके चलते समाज में शर्म भी महसूस होती है। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीज भी होते हैं जिन्हें पब्लिक डीलिंग वाली नौकरी सिर्फ इसलिए नहीं मिल पाती है क्योंकि पुरुष होने के बावजूद फोन पर उनकी आवाज महिलाओं जैसी लगती है। डॉ राकेश ने बताया कि आजकल ट्रांसजेंडर भी ज्यादा बढ़ गये हैं, ऐसे में बड़ी संख्या में ट्रांसजेंडर ऐसे हैं जिनकी आवाज उनके व्यक्तित्व से मेल नहीं खाती है। ऐसे लोगों के लिए वॉयस करेक्टिव सर्जरी किसी वरदान से कम नहीं है।
सिर्फ सांस की आवाज से पहचान लेते हैं नली में ब्लॉकेज का लेवल
सामान्यत: सांस लेने में रुकावट आने पर उपचार की दिशा तय करने के लिए एंडोस्कोपी से देखकर पता लगाया जाता है कि रुकावट नली के किस हिस्से में है, यह विशेषकर बच्चों के लिए बहुत कष्टकारी प्रक्रिया है, लेकिन यदि हम कहें कि इस कष्टकारी प्रक्रिया से बच्चे को बचाते हुए बिना एंडोस्कोपी रुकावट का पता लगाया जा सकता है तो जाहिर है यह एक बड़ी राहत की बात होगी। इस बड़ी राहत को देने का काम भी डॉ राकेश श्रीवास्तव ने किया है। वह सिर्फ सांस की आवाज सुनकर सांस नली में ब्लॉकेज का लेवल बता देते हैं।
उन्होंने बताया कि वह नवजात शिशुओं, बच्चों तथा बड़ों में होने वाली श्वांस नली में अवरोध की समस्या को सर्जरी के माध्यम से दूर किया जाता है। नवजात शिशुओं की सांस की नली में सिकुड़न जिसे हम कन्जेनाइटल एयर वे प्रॉब्लम कहते हैं, जिस वजह से बच्चे को सांस लेने में, दूध पीने में दिक्कत होती है। उन्होंने बताया कि बच्चों में जो कॉमन बीमारी पायी जाती है वह है लैरिंगोमलेशिया (Laryngomalacia), 90 प्रतिशत बच्चों में यह बीमारी समय के साथ ठीक हो जाती है, सिर्फ 10 प्रतिशत ऐसे केसेज, जिनमें बच्चा नीला पड़ रहा है, साइनोसिस हो रही है या उसका वजन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है, क्योंकि वह सांस की वजह से दूध नहीं पी पा रहा है, में सर्जरी की जरूरत पड़ती है।


इसी प्रकार बड़ों में भी सांस लेने में दिक्कत, खाना निगलने में दिक्कत, निगलने में खांसी आना या आवाज में कोई परिवर्तन है, ऐसी दिक्कतों का इलाज दवाओं से भी और सर्जरी से भी करता हूं। बड़ों में सांस नली में अवरोध वेंटिलेटर रिलेटेड प्रॉब्लम है। जो मरीज लम्बे समय तक अस्पताल, नर्सिंग होम में आईसीयू वेंटीलेटर पर रहते हैं, उन्हें एंडोट्रैकियल ट्यूब का प्रेशर सही नहीं होने से, या प्रॉपर प्लेस पर नहीं होने से या पेशेंट को प्रॉपरली नींद का इंजेक्शन नहीं दिये जाने के चलते, उसके मूवमेंट से सांस नली में सिकुड़न आ जाती है। ऐसे मरीजों का दवा या सर्जरी से उपचार करता हूं।
डॉ राकेश ने बताया कि इसी दिशा में मैं पिछले तीन साल से एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पर कार्य कर रहा हूं, मेरा एक अपना स्टार्ट अप है। हमने तीन प्रोडक्ट तैयार किये हैं, जिनकी लॉन्चिंग जल्दी की जायेगी। उन्होंने बताया कि एक प्रोडक्ट ऐसा है जिससे शुरुआती स्तर पर कैंसर की डायग्नोसिस हो जाती है, इसका प्रेजेन्टेशन उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के सामने भी हो चुका है, यह प्रोडक्ट इस साल के अंत तक आयेगा इसके अलावा दूसरा प्रोडक्ट है जिसमें कान के परदे की बीमारियों का पता एक छोटे से ऑटोक्लेव से आसानी से लगाया जा सकता है, यही नहीं यह ऐप उपचार से सम्बन्धित गाइडलाइन्स भी दे देगा। इसे सामान्य जनता भी उपयोग कर सकेगी, इसके लिए सिर्फ एक एप्लीकेशन प्ले स्टोर से डाउनलोड करनी पड़ेगी। यह प्रोडक्ट जल्दी ही लॉन्च होगा।
उन्होंने बताया कि तीसरे प्रोडक्ट में बच्चों में सांस नली में रुकावट होने पर बिना एंडोस्कोपी किये सिर्फ सांस की आवाज सुनकर यह बताना संभव है कि सांस नली में किस लेवल पर ब्लॉकेज है, इसके लिए हमने आवाज की एनालिसिस कर एक अलगोरिदम बनाया है। इससे पता चल जाता है कि नाक के पीछे ब्लॉकेज है, या गले में ब्लॉकेज है या फिर नली में लेरिंक्स के एरिया में रुकावट है या ट्रैकिया के लेवल पर ब्लॉकेज है। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि जो परिजन होते हैं, बच्चे के पेरेंट्स होते हैं वह लोग अनुमति नहीं देते हैं कि दूरबीन से बच्चे की सांस की नली की जांच कीजिये तो हम इस मैथड से प्रिडिक्शन निकाल सकते हैं, ये विधि दूसरे चिकित्सकों के लिए भी उपयोगी होगी जो दूर विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बैठे हैं। उनके पास सुविधा नहीं है लेकिन मोबाइल फोन है तो एप्लीकेशन की सहायता से वे यह बता सकते हैं कि इस बच्चे में यह समस्या लग रही है और बच्चे को विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाना है। ऐप बीमारी की तीव्रता को भी बता देगा। यह स्टार्टअप हमने शुरुआत में आईआईटी कानपुर के साथ किया था अब यूएस की एक कम्पनी के साथ कर रहे हैं।
