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न झोलाछाप से करायें, न ही अपने आप करें पाइल्‍स का इलाज

विश्‍व पाइल्‍स दिवस पर 20 नवम्‍बर को केजीएमयू आयोजित कर रहा जागरूकता कार्यक्रम

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। पाइल्‍स की शिकायत होने पर आवश्‍यक है कि किसी डिग्रीधारक चिकित्‍सक या घर के नजदीक जो भी सरकारी अस्‍पताल हो वहीं दिखायें, खुद अपने आप, इंटरनेट पर पढ़कर इलाज न करें और न ही किसी झोलाछाप चिकित्‍सक के चक्‍कर में पड़ें।

यह जानकारी देते हुए आज यहां किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ अरशद ने विभाग में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा नागरिकों में पाइल्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लखनऊ में 20 नवम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय पाइल्स (बवासीर) दिवस के अवसर पर जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर एक पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें मेडिकल एवं पैरामेडिकल एवं नर्सिंग छात्र भाग लेंगे। सभी पोस्टरों में से उत्तम पोस्टरों को पुरस्कृत किया जायेगा।

पत्रकार वार्ता में डॉ मनीष भी मौजूद रहे। उन्‍होंने बताया कि पाइल्स एक साधारण रोग है और अममून 50 प्रतिशत लोगों को जीवनकाल में इस बीमारी से पीड़ित होने के सम्भावना रहती है जिसे स्वस्थ्य जीवनशैली अपना कर कम किया जा सकता है और सही समय पर सटीक इलाज कराने से इसका निवारण सम्भव है। डॉ अरशद ने बताया कि इस जागरूकता अभियान की विषयवस्तु लोगों को पाइल्स से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रोत्साहित करना एवं भ्रामक जानकारी से दूर रहना है। पाइल्स शरीर का नार्मल अंग है जो कॉटिनेन्स की प्राकृतिक प्रक्रिया में अपना योगदान देता है। यह गुदा द्वार पर वैस्कुलर कुशन के रूप में होता है। कभी-कभी इसमें खून का अधिक भराव या अपने स्थान से नीचे खिसकने के कारण मरीज में लक्षण आते हैं। पाइल्स के मुख्य लक्षण खून आना, गुदा द्वार पर सूजन होना और दर्द होना है। आमतौर से यह लक्षण स्वतः ही ठीक हो जाते है या कभी-कभी इसके इलाज की जरूरत पड़ती है। 80 प्रतिशत तक मरीजों में बिना ऑपरेशन के सफल इलाज हो जाता है।

डॉ अरशद अहमद ने बताया कि कभी-कभी यह लक्षण बढ़ जाते हैं और गम्भीर परेशानियां हो सकती हैं जैसे कि एनीमिया (शरीर में खून की कमी का होना), थ्राम्बोस्ड हेमेरॉड (बवासीन में खून के थक्के का जमना) ऐसी स्थिति में मरीज को तुरन्त भर्ती करके सघन इलाज की जरूरत पड़ती है लेकिन आमतौर से लोग इस बीमारी के लिए योग्य चिकित्सक को दिखाने के बजाय देशी इलाज नीम-हकीम, झाड़फूंक इत्यादि के चक्कर में पड़ जाते हैं जिससे इस बीमारी का स्वरूप और जटिल हो जाता है, एवं कभी-कभी गम्भीर दुष्परिणाम जैसे कि इन्कांटीनेन्स या एनल स्टिीनोसेस हो सकती है।

उन्‍होंने बताया कि कभी- कभी मरीज को अन्य गम्भीर बीमारियों जैसे कि अल्सरेटिव कोलाइटिस या रेक्टल कैंसर होने पर शुरूआती लक्षण ऐसे होते है जैसे बवासीर में होते है। मरीज का परीक्षण करके आसानी से इन बीमारियों का पता चल सकता है और उपयुक्त इलाज हो सकता है किन्तु यदि मरीज बिना योग्य चिकित्सक से परीक्षण कराये पाइल्स समझकर इसका इलाज करवाता है तो असल बीमारी का पता चलने में काफी समय लग जाता है और इलाज मुश्किल हो जाता है इसलिये जरूरी है कि जब भी इस प्रकार के लक्षण हो तो किसी योग्य चिकित्सक से ही परामर्श लिया जाय एवं दुष्प्रचारों से बचा जाय।

डॉ अरशद अहमद ने इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाने का उद्देश्य बताते हुए कहा कि इसी सन्दर्भ में सर्जरी विभाग द्वारा पहल करके पाइल्स जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उददेश्य इसी विषय में जागरूकता पैदा करना, हेल्दी लाइफस्टाइल प्रमोट करना है जिससे पाइल्स की समस्या से बचा जा सके और लक्षण आने पर बजाय देशी इलाज या इंटरनेट से इलाज करने से किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श किया जाय। इस कार्यक्रम में जन साधारण से कोई भी व्यक्ति सम्मिलित होकर पाइल्स, इससे बचाव एवं इलाज के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकता है।