-मरीजों और अस्पताल कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में प्रोटोकाल के अनुसार दिशानिर्देश तय
सेहत टाइम्स
लखनऊ। प्रतिवर्ष 49 मिलियन मरीजों को अपनी चपेट में लेने वाले और 11 मिलियन मौतों के जिम्मेदार सेप्सिस के प्रबंधन पर चर्चा के लिए डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में समारोह आयोजित किया गया। विश्व सेप्सिस दिवस (13 सितम्बर) के उपलक्ष्य में आज 9 सितम्बर को आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किये। इसके साथ ही अस्पताल में मरीजों और अस्पताल कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए नये प्रोटोकाल के अनुसार दिशानिर्देश तय किये गये हैं। इस सम्बन्ध में आयोजित समारोह में संशोधित अस्पताल संक्रमण नियंत्रण मैनुअल का विमोचन किया गया, जिसे संस्थान की एचआईसी समिति द्वारा एनएबीएच दिशानिर्देशों के छठे संस्करण के अनुसार अद्यतन किया गया है। इस मैनुअल में मरीजों और अस्पताल के कर्मचारियों में संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्न नीतियां और प्रोटोकॉल शामिल हैं।
संस्थान द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देेते हुए बताया गया है कि 2020 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हर साल 49 मिलियन मरीज सेप्सिस से पीड़ित होते हैं, 11 मिलियन मौतें होती हैं। 85% प्रभावित लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों से होते हैं, इसलिए इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, ग्लोबल सेप्सिस एलायंस द्वारा 2012 में विश्व सेप्सिस दिवस मनाने की शुरुआत की गयी थी, तब से हर साल विश्व सेप्सिस दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “5 तथ्य x 5 क्रियाएँ” है जो सेप्सिस के वैश्विक बोझ और नीति और वकालत की कार्रवाइयों पर महत्वपूर्ण संदेशों को दर्शाता है जो लाखों लोगों की जान बचा सकते हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संस्थान के निदेशक प्रो सीएम सिंह उपस्थित थे, उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि सेप्सिस के नियंत्रण के लिए मजबूत संक्रमण रोकथाम और नियंत्रण नीतियों और सेप्सिस से संबंधित रुग्णता और मृत्यु दर को सीमित करने के लिए समय पर नैदानिक रिपोर्टिंग आवश्यक है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित संजय गांधी पीजीआई लखनऊ के चिकित्सा अधीक्षक व अस्पताल प्रशासन विभागाध्यक्ष प्रो आर हर्षवर्धन ने सेप्सिस के प्रबंधन में सेप्सिस नियंत्रण दिशा निर्देशों के महत्व पर चर्चा की। एसोसिएट डीन प्रो विनीता मित्तल ने सेप्सिस से संबंधित तथ्य साझा किए और सेप्सिस के समय पर प्रबंधन पर जोर दिया। एसजीपीजीआई के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो बनानी पोद्दार इस अवसर पर मुख्य वक्ता थीं, जिन्होंने आईसीयू में सेप्सिस के बहुआयामी पहलुओं के बारे में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने सेप्सिस के विभिन्न रोचक मामलों के परिदृश्य और सेप्सिस प्रबंधन में हालिया अपडेट प्रस्तुत किए। उन्होंने सेप्सिस के प्रबंधन में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी की भूमिका पर भी जोर दिया। कार्यक्रम की आयोजन अध्यक्ष प्रो ज्योत्सना अग्रवाल एच0आई0सी0सी0सदस्य सचिव एवं माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष ने अस्पताल की संक्रमण नियंत्रण टीम, विशेष रूप से संक्रमण नियंत्रण नर्सों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संक्रमणों की रोकथाम में सक्रिय भूमिका निभाई, जो स्वास्थ्य सेवा सेटिंग्स में सेप्सिस का एक मुख्य कारण है।
इस कार्यक्रम में विभिन्न चिकित्सा विभागों के रेजिडेंट, संकाय और नर्सिंग कर्मचारी थे। उन्होंने गंभीर देखभाल वाले रोगियों में सेप्सिस की रोकथाम और समय पर प्रबंधन की बारीकियों को सीखा। इस सीएमई का आयोजन कार्यक्रम के आयोजन सचिव प्रो मनोदीप सेन संक्रमण नियंत्रण अधिकारी माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा किया गया था। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


