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कोरोना ने दिया है नये अवसरों का संकेत, इसे समझने की जरूरत : सेहत सुझाव-5

कोरोना संक्रमण काल से गुजरने के दौरान इससे सबक लेते हुए हमें आगे के जीवन में क्‍या-क्‍या सावधानियां बरतनी होंगी, अपनी जीवन शैली में क्‍या सुधार लाना होगा, इसे लेकर ‘सेहत टाइम्‍स‘ ने सेहत सुझाव देने की अपील करते हुए अपने प्रिय पाठकों से सुझाव मांगे थे। हमें खुशी है इस पर हमें सम्‍मानित पाठकों और विशेषज्ञों के विचार और सुझाव मिल रहे हैं, इसके लिए ‘सेहत टाइम्‍स‘ धन्‍यवाद अदा करता है।

डॉ आशुतोष कुमार दुबे चिकित्सा अधीक्षक, सिविल अस्पताल

अब जैसी वैज्ञानिक रिपोर्ट्स आ रही हैं, उससे लगता है कि निकट भविष्य में शीघ्र ही कोरोना समाप्त नहीं होने वाला है। अब हम सभी लोगों को कोरोना के साथ ही रहना है। अब हम लोगों को अपनी दिनचर्या और अपने रहन-सहन को कुछ इस तरह से बनाना है, कि हम प्रत्येक व्यक्ति को कोरोना का संदिग्ध मानकर ही अपना व्यवहार करें, और संपूर्ण व्यक्तिगत सुरक्षा के नियमों का पालन करते हुये आगन्तुक का स्वागत-सत्कार करें। आज वैज्ञानिक और सरकार ने हमें यह बता दिया है कि करोना एक अत्यंत गंभीर बीमारी है। आज इसका उपचार नहीं है। अब हम सभी नागरिकों का यह परम कर्तव्य है कि हम लोग कोरोना से उपचार और बचाव की पद्धति अपनाएं।

यह किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है कि वह अनवरत समय तक हम सबको कोरोना से बचने के नियमों से बार-बार हमारा अभ्यास कराए। अब हम सब लोगों का यह दायित्व है  कि हम सभी लोग जब कभी भी घर से बाहर निकलें तो कोरोना के अनुशासन को ध्यान में रख करके ही निकले। चाहे हम अपने ऑफिस में हों, या हम किसी अन्य के ऑफिस में जाएं, सदैव अपनी बारी की प्रतीक्षा करें, अनावश्यक रूप से जल्दबाजी, या वीआईपी बनने का प्रयास न करें।

प्रत्येक दशा में एक दूसरे से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखें, किसी भी वस्तु को जैसे खिड़की,  दरवाजा,  हैंडल,  कोई प्लेटफार्म इत्यादि को अनावश्यक रूप से ना छुयें, नाक और मुंह पर मास्क, तौलिया, गमछा, दुपट्टा आदि का प्रयोग करें,  समय-समय पर अपने हाथ को सैनिटाइज करते रहें या साबुन और पानी से अपने हाथ को धुलते रहें, और यदि हम/आप जुकाम बुखार से पीड़ित हैं तो घर से बाहर न निकलें। अपने परिवार के 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को घर से बाहर ना निकलने दें, और साथ ही साथ जो लोग टीबी,  दमा, सीओपीडी,  लि‍वर, गुर्दा, डायबिटीज, कैंसर, एचआईवी, खून की कमी या अन्य ऐसी कोई भी बीमारी जिससे कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती हो, से पीड़ित हैं तो उन लोगों को भी घर से बाहर न निकलने दें। स्वयं भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें और स्वयं भीड़ न लगायें। अनावश्यक रूप से अपने चेहरे, नाक और मुँह को न छुयें। अपना खानपान तथा अपनी दिनचर्या नियमित रखें।

हम भारतवासियों की शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता अन्य देशों के नागरिकों की अपेक्षा अधिक होती है। इसका कारण हमारी जीवनशैली, रहन सहन, खानपान तथा हमारी जलवायु है। हमें अपनी प्राकृतिक धरोहरों को बचाए रखना है और साथ ही साथ भारतीय सनातन परम्पराओं और मान्यताओं को और भी अनुशासित ढंग से पालन करना और जीवान्त रखना है।

कोरोना चाहे आज खत्म हो या कल। अब हम सबको यह सदैव मानकर चलना है कि कोरोना एक अत्यंत संक्रामक रोग है और जिसकी मारक क्षमता मात्र 04-06 प्रतिशत ही है। आज हमें यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि कोरोना संकट ने हमारे जीवन और दिनचर्या को नए सिरे से परिभाषित किया है  और हमारे लिए नये अवसरों का संकेत भी दिया है। अब यह समय है कि हम इस अवसर को समझें और स्वयं को इसके लिए तैयार करें। अब वह समय आ गया है, जब हम कोरोना से डरे नहीं बल्कि बचें। हमें यह याद रखना है कि अनुशासन ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।

-डॉ आशुतोष कुमार दुबे, चिकित्सा अधीक्षक, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल, हजरतगंज, लखनऊ, उत्‍तर प्रदेश (भारत)