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सीएम ने कहा, आयुर्वेद से उपचार में प्रामाणिकता लाये जाने की जरूरत

आयुर्वेद पर्व के उद्घाटन के अवसर पर नाड़ी ज्ञान, पंचकर्म तथा जड़ी-बूटी से उपचार पर दिया जोर

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में उपचार एवं चिकित्सा की असीम सम्भावनाएं हैं। ये सम्भावनाओं समाज के सामने आएं, इसके लिए आयुर्वेद से बीमारियों के उपचार में प्रामाणिकता लाए जाने की आवश्यकता है। आज आयुर्वेद के उत्पादों के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ बीमारियों का उपचार विशुद्ध आयुर्वेद पद्धति से किए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए आयुर्वेद के विशेषज्ञ द्वारा इस चिकित्सा पद्धति की मौलिक विधियों यथा नाड़ी ज्ञान, पंचकर्म तथा जड़ी-बूटी से उपचार पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

 

मुख्यमंत्री आज जनपद कानपुर में आयोजित ‘आयुर्वेद पर्व’ के उद्घाटन समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं धनवन्तरि के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने आयुर्वेद के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली विभूतियों वैद्य सूर्यांश दत्त, लक्ष्मण सिंह एवं निदेशक आयुष सत्य नारायन सिंह को शॉल भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद से भी सिद्धि मिलती है। योग, प्रारब्ध तथा औषधियों से सिद्धि प्राप्त करने का मार्ग आयुर्वेद है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद देश में मेडिकल टूरिज़्म की आधारशिला बने, इसके लिए कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए आयुर्वेद के अंतर्गत हर्बल गार्डेन के माध्यम से औषधीय खेती को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए विस्तृत कार्य योजना की आवश्यकता है। राज्य सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहित कर रही है। प्रदेश में आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना केन्द्र सरकार के सहयोग से की जा रही है। साथ ही, प्रदेश में आयुर्वेद के 100 अवेयरनेस सेन्टर बनाने की कार्यवाही की जा रही है। मानक पूर्ण करने वाले आयुर्वेद विद्यालयों को शासन द्वारा मान्यता प्रदान की जायेगी।

 

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद येसो नाईक ने कहा कि आयुर्वेद की मांग बढ़ने के कारण इसकी महत्ता बढ़ी है। आयुर्वेद का उद्देश्य शरीर को स्वस्थ बनाए रखना तथा वर्तमान में बढ़ रहे मधुमेह, कैंसर एवं संचारी रोगों का प्रबन्धन प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए केन्द्र सरकार का आयुष मंत्रालय 10 करोड़ रुपए की धनराशि प्रदान कर रहा है।

 

प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धरम सिंह सैनी ने अपने सम्बोधन में कहा कि राज्य में विभिन्न स्थानों पर 50 शैय्या के 16 आयुर्वेद चिकित्सालय बन रहे हैं। प्रदेश के 15 जनपदों में 15 आयुष गांव चयनित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने तथा कानून का राज स्थापित करने का कार्य कर रही है।

 

सांसद डा० मुरली मनोहर जोशी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आयुर्वेद पद्धति 5000 वर्ष पुरानी है। आयुर्वेद की परम्परा को जागृत करना आवश्यक है। प्राइमरी एवं सेकेन्डरी हेल्थ सिस्टम में आयुर्वेद एवं होम्योपैथी का प्रवेश होना चाहिये। संस्कृत को बढ़ावा देने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत ज्ञान-विज्ञान की कुंजी है। संस्कृत को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ स्थान दिया जाना चाहिए।

 

इस अवसर पर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, खादी ग्रामोद्योग मंत्री सत्यदेव पचौरी, कानपुर की महापौर प्रमिला पाण्डेय, सांसद देवेन्द्र सिंह भोले व अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा केन्द्र सरकार के आयुष सचिव राजेश कोटेजा सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।