Saturday , April 20 2024

साढ़े नौ करोड़ रुपये लगने के बाद भी केजीएमयू में बर्न यूनिट तैयार नहीं

NTPC में हुआ बॉयलर फटने का वीभत्स कांड भी कार्य में तेजी न ला सका

लखनऊ। साढ़े नौ करोड़ रुपये की भारी भरकम रकम भी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में एक बर्न यूनिट नहीं तैयार करा सकी। अनेक प्रकार की बीमारियों के लिए तो सुविधाएं संस्थान में बढ़ती रहीं लेकिन हर साल बिना बीमारी एक जरा सी सी चिंगारी से जलने वाले गरीबों के झोपड़े की तरह जलने वाले लोगों के लिए एक बर्न यूनिट अब तक नहीं बन सकी जहां तक समय की बात है तो करीब 21 साल पहले यहां प्लास्टिक सर्जरी विभाग शुरू हो गया था और तभी से बर्न यूनिट की प्लानिंग चल रही है।

देश ही नहीं विदेश में भी अपना विशिष्ट स्थान का दावा करने वाले केजीएमयू ने बड़े-बड़े काबिल प्लास्टिक सर्जन तैयार किये हैं. यहाँ से निकलने वाले प्लास्टिक सर्जन अस्पतालों में बर्न यूनिट चला रहे हैं, जिनमें एक निजी बर्न यूनिट तो केजीएमयू के ठीक सामने चल रही है। पिछले दिनों जब रायबरेली के ऊंचाहार स्थित एनटीपीसी में बॉयलर फटा था तब सरकारी के नाम पर सिर्फ संजय गांधी पीजीआई में ही बनी फुल बर्न यूनिट में कुछ लोगों को भर्ती कराया जा सका था। यहां तक कि NTPC के अधिकारियों को केजीएमयू के सामने बने निजी अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा था। दर्जनों लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। इस हादसे को हुए भी लगभग सात महीने हो गये हैं लेकिन अभी भी नतीजा सिफर है।

12 डॉक्टर मिलने के बाद भी अभी नहीं चलेगी बर्न यूनिट

हालांकि 1 सप्ताह पहले चार प्लास्टिक सर्जन, चार बेहोशी वाले डॉक्टर तथा चार आइसीयू के डॉक्टर कुल 12 की नियुक्ति के लिए सरकार द्वारा अनुमोदन दिया जा चुका है लेकिन फिर भी बर्न यूनिट के जल्दी खुलने के आसार नहीं नजर आ रहे हैं क्योंकि रेसिडेंट डॉक्टर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की कमी अभी भी विभागाध्यक्ष बता रहे हैं। बर्न यूनिट न तैयार होने का खामियाजा आम आदमी भुगत रहा है. जैसा कि विदित है कि गर्मी के मौसम में विशेषकर आग लगने की घटनाओं की संख्या और बढ़ जाती है।

केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में 25 बिस्तरों की बर्न यूनिट तैयार हो रही है. इसे चलाने के लिए करीब 100 लोगों का स्टाफ चाहिए. फिलहाल अब 12 और अनुमोदित हुए डॉक्टर को मिलाकर 16 फैकल्टी हैं और 10 रेजिडेंट डॉक्टर है।

अगर केजीएमयू के पास बर्न यूनिट होती तो कितने गरीब मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में जाकर खुद को कंगाल करने की या पैसे के अभाव में जान देने की जरूरत नहीं पड़ती। यहाँ बर्न यूनिट कब तक तैयार हो जायेगी और इसका लाभ मरीजों को कब तक मिलने लगेगा इसके लिए इंतजार ही करना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.