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सांस फूलना, थकान, काम करने में मन न लगना हो सकते हैं गुर्दा रोग के लक्षण

-गुर्दा रोगों के लक्षण लगते साधारण हैं लेकिन असर गहरा डालते हैं 
डॉ कविता विश्‍वकर्मा

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो 

लखनऊ। अगर आपको लगती है ज्‍यादा थकान, सांस फूलती है, काम करने में मन नहीं लगता है, पैरों में सूजन है, खून की कमी है तो इसे अनदेखा न करें क्‍योंकि ये लक्षण गुर्दा रोग के भी हो सकते हैं। गुर्दा रोग के लक्षण बहुत छोटे और साधारण से होते हैं जो व्‍यक्ति आमतौर पर ध्‍यान नहीं देता है लेकिन ऐसा न करें, इन लक्षणों के होने पर उसका कारण जानने के लिए चिकित्‍सक से अवश्‍य सम्‍पर्क करें। गुर्दा रोग में पहले यूरीन में प्रोटीन आना शुरू होता है, और फि‍र धीरे-धीरे गुर्दा का फंक्‍शन खराब होना शुरू हो जाता है।

यह कहना है आलमबाग स्थित अजन्‍ता हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर की गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ कविता विश्‍वकर्मा का। एक मुलाकात में उन्‍होंने बताया कि गुर्दे के रोगों के जो मुख्‍य कारण हैं वे हैं अनियंत्रित डायबिटीज, हाई ब्‍लड प्रेशर, गुर्दे में पथरी। दी। उन्‍होंने बताया कि चूंकि भारत की जलवायु गरम है, हमारे शरीर से पसीना आकर पानी की कमी होती रहती है, ऐसे में हमें गर्मियों में विशेष रूप से पानी पीने का ध्‍यान अवश्‍य रखना चाहिये, शरीर में पानी की कमी नहीं रहनी चाहिये। डॉ कविता ने बताया कि एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति के लिए रोजाना ढाई से तीन लीटर पानी पीना जरूरी है,  लेकिन गुर्दा की बीमारी वाले व्‍यक्ति मोटे तौर पर यह ध्‍यान रखें कि अगर पैरों में सूजन आ रही है तो पानी पीने की मात्रा कम कर देनी चाहिये।

उन्‍होंने सलाह दी कि स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति यह ध्‍यान रखें अपने मन से दर्द निवारक दवायें नहीं लेनी चाहिये, यह किडनी फेल्‍योर का बड़ा कारण है। इसके अलावा देखा गया है कि जिम जाने वाले प्रोटीन सप्‍लीमेंट लेते हैं यह भी नहीं लेने चाहिये। यह गुर्दा रोगों का कारण बन सकता है। उन्‍होंने बताया कि नेचुरल चीजों में ही प्रोटीन इतना होता है कि अगर उन्‍हें खायें तो प्रोटीन की कमी पूरी हो जाती है। ध्‍यान रखें प्रोटीन की मात्रा शरीर में संतुलित होनी चाहिये न कम, न ज्‍यादा। इसके अलावा 30 साल की आयु के बाद तीन-चार माह में ब्‍लड प्रेशर, शुगर चेक करायें, रुटीन जांचें करायें, यूरीन की जांच करायें।

डॉ कविता ने कहा कि गुर्दा खराब होने की बड़ी वजहों में हाई ब्‍लड प्रेशर एक बड़ी समस्‍या है इसलिए ध्‍यान रखें इसे कंट्रोल रखें। डॉ कविता ने बताया कि ब्‍लड प्रेशर 120/80 से 130/80 रहना चाहिये, गुर्दा ठीक रखने के लिए ब्‍लड प्रेशर कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि जितनी भी स्‍टडीज हुई हैं, उनमें यह देखा गया है कि जितना अच्‍छा ब्‍लड प्रेशर कंट्रोल रहेगा उतना ही ज्‍यादा समय तक गुर्दा काम करेगा। बीपी को कंट्रोल में रखने के लिए नमक कम खाने की सलाह दी जाती है, कम का अर्थ है नॉर्मल व्‍यक्ति को दिन भर में पांच ग्राम नमक खाने को कहा जाता है तो ब्‍लड प्रेशर वाले को तीन ग्राम खाने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही अचार, पापड़, चटनी के साथ ही दही, सलाद में ऊपर से नमक डालना बंद कर देना चाहिये। इसके अलावा जंक फूड, बिस्किट, ब्रेड, कोल्‍ड ड्रिंक में भी सोडा होता है तो इससे भी परहेज करना चाहिये। उन्‍होंने बताया कि गुर्दे के मरीजों को पोटेशियम युक्‍त नमक नहीं खाना चाहिये, सादा आयोडाइज्‍ड नमक खाना चाहिये।

डायबिटीज से ग्रस्‍त व्‍यक्ति को गुर्दा की बीमारी होने का खतरा ज्‍यादा रहता है इसलिए बेहतर होगा ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल में रखें। उन्‍होंने बताया कि डायबिटीज के मरीजों को तीन चीजों का विशेष ध्‍यान रखना चाहिये पहला खानपान, दूसरा दवा तथा तीसरा एक्टिविटी या व्‍यायाम। खाने में परहेज होगा तो डायबिटीज अच्‍छा कंट्रोल में रहेगी तो गुर्दा ज्‍यादा समय तक चलेगा। उन्‍होंने बताया कि एचबी1सी टेस्‍ट जो तीन माह में एक बार होता है उसे करायें और उसका स्‍तर 7 से कम रहे जो वह अच्‍छा नियंत्रण माना जा सकता है।