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1920 की स्‍पेनिश फ्लू महामारी हो, या 1940 का विश्‍वयुद्ध अथवा अब कोरोना, केजीएमयू ने पूरी शिद्दत के साथ लड़ी है जंग

-केजीएमयू (पूर्व में केजीएमसी) के 116 साल के इतिहास को 11.47 मिनट की डॉक्‍यूमेंट्री में समेटकर भरा गया है ‘गागर में सागर’


धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना
लखनऊ।
कुलपति ले ज डॉ बिपिन पुरी की प्रेरणा से प्रो आमोद सचान के मार्गदर्शन में डॉ शीतल वर्मा व डॉ अनुराधा द्वारा निर्मित केजीएमयू के इतिहास पर एक बहुत ही सुन्‍दर वृत्‍त चित्र भी शनिवार को आयोजित दीक्षांत समारोह में रिलीज किया गया। 11.47 मिनट की इस डॉक्‍यूमेंट्री फि‍ल्‍म में केजीएमयू के अब तक के 116 पुराने इतिहास को बहुत ही खूबसूरती से संजोकर गागर में सागर भरने की सराहनीय कोशिश की गयी।


केजीएमयू के इतिहास में पहली बार इस तरह केजीएमयू के इतिहास को फि‍ल्‍माया गया। फि‍ल्‍म में दिखाया गया है कि किस तरह 1920 में महामारी के रूप में फैले स्‍पेनिश फ्लू में उस समय के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज केजीएमसी अब केजीएमयू के निष्‍ठावान चिकित्‍सा कर्मियों ने अपनी सेवाएं दी थीं, उसके बाद विश्‍वयुद्ध के समय 1940 में जब बड़ी संख्‍या में मौतें हो रही थीं, और कोई भी चिकित्‍सा संस्‍थान उपलब्‍ध नहीं था, उस समय भी किस तरह केजीएमसी ने अपनी सेवाएं देने के लिए डटा रहा, और उस महामारी के सौ वर्षों बाद जब कोरोना महामारी आयी तब भी केजीएमयू अपनी जिम्‍मेदारी उसी शिद्दत के साथ निभा रहा है।


फि‍ल्‍म में दिखाया गया है कि किस तरह इसकी स्‍थापना की गयी, इसकी स्‍थापना में किसने क्‍या सहयोग दिया। संस्‍थान से जुड़े सभी पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री के बारे में तथा संस्‍थान के प्रथम प्रिंसिपल से लेकर अब तक के कुलपतियों तक के बारे में जानकारी दी गयी। फि‍ल्‍म देखकर सभी जॉर्जियंस जहां गौरवान्वित महसूस कर रहे थे वहीं कुलाधिपति से लेकर हॉल में मौजूद सभी लोग डॉक्‍यूमेंट्री की मुक्‍त कंठ से प्रशंसा कर रहे थे।

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