-हेल्थ सिटी विस्तार हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर विभाग के चीफ कन्सल्टेंट डॉ नितिन राय से विशेष वार्ता

सेहत टाइम्स
लखनऊ। बीमारी या दुर्घटना के चलते अचानक उत्पन्न हुई गंभीर स्थिति का सुनहरे घंटों या गोल्डेन आवर्स में उपचार कराना श्रेयस्कर है। आजकल के खानपान, लाइफ स्टाइल, आवश्यक व्यायाम के अभाव के चलते हाईपरटेंशन, डायबिटीज जैसी बीमारियां होना आम बात होती जा रही है, ऐसे में अगर दिल का दौरा, स्ट्रोक, संक्रमण या फिर गंभीर चोट लग जाये, तो स्थिति और ज्यादा क्रिटिकल हो जाती है, Comorbidities यानी सहरुग्णता वाली इस क्रिटिकल स्थिति में जरूरत होती है क्रिटिकल केयर की, वह भी गोल्डेन आवर्स में। ऐसा न होने पर किसी अंग की स्थायी क्षति होना या मृत्यु होने जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
यह जानकारी यहां गोमती नगर विस्तार स्थित हेल्थ सिटी विस्तार सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर के क्रिटिकल केयर विभाग के चीफ कन्सल्टेंट एंड हेड डॉ नितिन राय ने एक विशेष मुलाकात में दी। क्रिटिकल केयर में डीएम की शिक्षा एम्स नयी दिल्ली से लेने वाले डॉ नितिन ने बताया कि हमें यह बताते हुए खुशी है कि हर तरह की जांच से लेकर उपचार तक की सभी प्रकार की सुविधाएं अपने हॉस्पिटल में एक छत के नीचे देकर हम ज्यादातर संख्या में मरीजों को रोगमुक्त जीवन दे पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारे विभाग में आईसीयू के 60 बेड हैं, जिनमें अत्याधुनिक सुविधाओं वाले एडवांस वेंटीलेटर, एडवांस मॉनीटरिंग सिस्टम जैसे उपकरण लगे हुए हैं। पूरी तरह से ट्रेंड विशेषकर आईसीयू क्रिटिकल केयर के लिए समर्पित ट्रेंड डॉक्टर, ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ 24×7 उपलब्ध हैं। आईसीयू में नर्सिंग स्टाफ और बेड का अनुपात 1 : 2 यानी दो बेड पर एक नर्स का है।
उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर हमारे यहां सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टरों की भी चौबीसों घंटे सुविधा होने से मरीज के उपचार के लिए की जाने वाली प्रक्रिया में विलम्ब नहीं होता है। बाईपास, ऑपरेशन स्टंटिंग, एंडोस्कोपी, डायलिसिस आदि की सुविधा मौजूद है, यही नहीं एंडोस्कोपी और डायलिसिस की सुविधा तो मरीज के बेड पर ही उपलब्ध हो जाती है।


उन्होंने बताया कि हमारे पास एक डेडीकेटेड ट्रॉमा टीम है जिसमें ट्रॉमा स्पेशियलिस्ट जैसे कि क्रिटिकल केयर और इमरेजेंसी की टीम के साथ ही ऑर्थोपैडिक्स, गैस्ट्रोसर्जरी, जनरल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी की टीम चौबीसों घंटे उपलब्ध है। जब भी कोई ट्रॉमा का केस आता है तो ट्रॉमा प्रोटोकाल एक्टीवेट होता है और अगर सर्जरी की जरूरत पड़ती है तो एक घंटे के अंदर सर्जरी शुरू कर देते हैं। डॉ नितिन ने बताया कि हमारा डायग्नोस्टिक बैकअप भी अच्छा है, जिसमें माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी जांच की सुविधा चौबीसों घंटे उपलब्ध है। ऐसे में हमें कोई भी जांच सीटी, एमआरआई अगर रात में भी जरूरत है तो वह हो जाती है।
उन्होंने बताया कि हमारी कोशिश यह रहती है कि जो भी मरीज आया है उस पर कम से कम खर्च का बोझ पड़े, साथ ही कभी किसी का इलाज इसलिए नहीं रुका है कि पैसे खत्म हो गये तो इलाज रोक दिया। उन्होंने बताया कि हमारे यहां इन्फेक्शन का मैनेजमेंट बहुत अच्छा है, हम लोग एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बहुत ही सोचसमझ कर करते हैं। उन्होंने बताया कि हमारे पास पॉलीट्रॉमा से कई मरीज आये हैं जिन्हें बोन फ्रेक्चर भी है, ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी भी है, मरीज कोमा की स्थिति में आया लेकिन आईसीयू केयर के बाद ज्यादातर मरीज चलकर वापस गये हैं। लिवर फेलियर के भी ज्यादातर पेंशेंट ठीक होकर गये हैं, इसके अतिरिक्त न्यूरो के मरीज जिन्हें दौरे आते हैं, अभी पिछले दिनों ही ऑटोइम्यून इंसेफ्लाइटिस का एक मरीज आया था जो इम्प्रूव होकर वापस गया। डायलिसिस, अपर जीआई यानी खून की उल्टी होने, खून की खांसी होने वाले मरीज भी ठीक होकर आईसीयू से गये हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास ज्यादातर केस निमोनिया, ट्रॉपिकल फीवर के आते हैं इनका भी सक्सेस रेट काफी अच्छा रहा है।
