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हृदय में लगा आर्टीफि‍शियल वॉल्‍व सामान्‍य प्रसव में बाधक नहीं

हृदय रोगी महिला को डिवाइन हार्ट हॉस्पिटल में मिली दोबारा मां बनने की खुशी

लखनऊ। अब यह भ्रांति दूर हो चुकी है कि कृत्रिम हार्ट वॉल्‍व के साथ बच्‍चे का जन्‍म नहीं हो सकता। वर्तमान चिकित्सा विज्ञान के युग में ह्रदय रोग के रोगी सही समय पर सही चिकित्सक के परामर्श से जटिल रोगों पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैंI यह बात डिवाइन हार्ट एंड मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के संस्‍थापक डॉ एके श्रीवास्‍तव ने कृत्रिम हार्ट वॉल्‍व लगायी हुई महिला को अपने अस्‍पताल में नॉर्मल प्रसव से पुत्री के जन्‍म के बाद जानकारी देते हुए कही।

मिली जानकारी के अनुसार सपन अस्‍थाना की पत्‍नी लवी अस्‍थाना का वर्ष 2010 में डॉ एके श्रीवास्‍तव ने मिटरल वॉल्ब बदला था। इसके बाद वर्ष 2011 में लवी ने एक पुत्र को जन्‍म दिया था। इसके बाद दोबारा गर्भवती होने पर लवी ने शुक्रवार को एक कन्‍या को जन्‍म दिया है। पति सपन अस्‍थाना ने बताया कि नॉर्मल डिलीवरी के बाद जच्‍चा और बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ हैं। पहला प्रसव भी इसी अस्‍पताल में हुआ था। अस्‍पताल के मुख्‍य कार्डियक सर्जन  प्रो. ए. के. श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में महिला एवं प्र‍सूति विशेषज्ञ डॉ रुचि गर्ग ने लवी की डिलीवरी करवायी। मिटरल वॉल्ब बदलने के बाद श्रीमती लवी अस्थाना ने वर्ष 2011, दिसम्बर में एक बच्चे को भी जन्म दिया था, जो पूर्ण स्वस्थ है।

प्रो. ए. के. श्रीवास्तव के द्वारा अब तक लगभग 30 मरीजों में वॉल्ब बदलने के बाद सामान्य बच्चे पैदा हुए। वर्तमान में जच्चा एवं शिशु दोनों स्वस्थ हैं बच्ची का वजन 2.5 किलो है। इस उपलब्धि पर हॉस्पिटल की कार्यकारी निदेशक आभा श्रीवास्तव ने सभी डॉक्टरों को इस उल्लेखनीय एवं उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई  प्रेषित की।