प्रदूषण से हो रहे नुकसान को दिखाने की अनूठी पहल की है क्लाइमेट एजेंडा ने
लखनऊ। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डा हर्षवर्धन ने कल दिल्ली में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना जारी की। इसके तहत देश के 102 चिन्हित शहरों में वायुप्रदूषण के स्तर को 2017 की तुलना में आने वाले 2024 तक 20 से 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है इन 102 शहरों में वो शहर शामिल हैं जो भारत के स्वच्छ हवा मानकों को पूरा नहीं करते उत्तर प्रदेश से फिलहाल इस लिस्ट में कल 15 शहरों को शामिल किया गया है जिसमें लखनऊ भी शामिल है।
कल जारी की गयी इस कार्ययोजना पर 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान का पक्ष रखते हुए रखते हुए क्लाइमेट एजेंडा की एकता शेखर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्य एक सराहनीय कदम है।
लखनऊ की हवा में मौजूद जहरीले प्रदूषण के बारे में एकता ने कहा कि कल ही हमने लखनऊ के नगर निगम कार्यालय के सामने पार्क में 10 दिनों के लिए सफेद कृत्रिम फेफड़े को स्थापित किया था। 24 घंटे के भीतर ही प्रदूषण के असर से इसका धुंधला हो जाना यह प्रमाणित करता है कि लखनऊ में वायुप्रदूषण के कारण स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2 लाख 60 हजार मौतें वायु प्रदूषण के कारण हो रही हैं जबकि देश भर में यह आंकड़ा 12 लाख से ऊपर है। सीपीसीबी के निगरानी तंत्र के अनुसार लखनऊ में आज के प्रदूषण की मात्रा 320 है जो कि मानकों के आधार पर एक चिंताजनक स्थिति है। ऐसे हालात में स्वस्थ व युवा नागरिकों के श्वसन तंत्र पर गहरे प्रभाव पड़ सकते हैं और बच्चों, बूढ़ों और बीमार लोगों के जीवन पर खतरा भी हो सकता है।
एकता ने कहा कि आमजनता, सरकारी मशीनरी, नागरिक और औद्योगिक समाज एकसाथ मिलकर ही इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं। इसके लिए हमें सौर ऊर्जा, स्वच्छ इंधन आधारित मजबूत परिवहन आदि के माध्यम से प्रदूषण पर लगाम लगाया जा सकता है। इसके अलावा प्लास्टिक इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध कचरा जलाने पर रोक, निर्माण कार्यों को पर्यावरण के अनुकूल बनाना आदि भी जरूरी कदम हैं।