-मिनटों पहले पानी पीने के लिए भी दूसरों पर निर्भर सुभाष ने नकली हाथ लगने के बाद बोतल उठाकर स्वयं पीया पानी
-ट्रेन दुर्घटना में दोनों हाथ गंवा चुके सुभाष को वर्किंग प्रॉस्थिसिस लगाकर ‘मजबूर’ से ‘मजबूत’ बनाया लिम्ब सेंटर ने

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। सहायता, सहृदयता, आत्मनिर्भरता का संगम जिसने देखा वह वाह किये बिना नहीं रह सका, एक व्यक्ति काल के क्रूर हाथों ने जिसके दोनों हाथ छीन लिये, लेकिन उसकी मदद को बढ़े हाथों ने उसे हौसला दिया, और दिये हाथ, जो जाहिर है कुदरत के दिये हाथों जैसे सब कुछ करने वाले तो नहीं हो सकते हैं, लेकिन बहुत कुछ करने वाले जरूर हैं, इसी बहुत कुछ का नजारा आज दिखा। कुछ मिनटों पूर्व दोनों भुजाविहीन जो शख्स प्यास लगने पर दूसरों के हाथों से पानी पीने को मजबूर था, उसी शख्स ने अब कुछ मिनटों बाद स्वयं अपने नये हाथों से पानी की बोतल उठाकर जब पानी पिया तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें सफलता की खुशी से भर आयीं। दिल को छू लेने वाला यह नजारा दिखा केजीएमयू के डालीगंज स्थित डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (लिम्ब सेंटर) में।

सीतापुर निवासी 45 वर्षीय सुभाष एक सरकारी विभाग में इलेक्ट्रीशियन के पद पर कार्यरत है, वर्ष 2015 में एक रेल दुर्घटना में उसने अपने दोनों हाथ गंवा दिये थे। सुभाष को यह जानकारी नहीं थी कि लखनऊ स्थित यह डीपीएमआर विभाग उसकी जिन्दगी बदल सकता है, फिर उसे किसी जानने वाले से लिम्ब सेन्टर के बारे में पता चला तो फरवरी, 2020 में उसने यहां दोनों हाथ बनाने के लिए नाप दी। दुर्भाग्य ऐसा कि उसके बाद कोरोना काल शुरू हो गया, जिससे वह अपने हाथ लगवाने नहीं आ पाया था। धीरे-धीरे दिन बीतते रहे, आज वह लिम्ब सेंटर पहुंचा। उमस भरी गर्मी से परेशान सुभाष जब लिम्ब सेंटर पहुंचा तो प्यास के मारे उसका बुरा हाल था। सुभाष के दोनों हाथ न होने के कारण सुभाष स्वयं पानी पीने में असमर्थ था, चूंकि वह अकेले ही आया था, ऐसे में उसने वहां मौजूद कर्मचारियों से अनुरोध किया कि उसे पानी पीना है। तुरंत ही कर्मचारी ने आगे बढ़ कर सहृदयता दिखाते हुए सुभाष का मास्क हटाकर उसे पानी पिलाया।



इसके बाद प्रॉस्थेटिस्ट व वर्कशॉप इंचार्ज शगुन सिंह ने उसके लिए बनाये गये दोनों हाथों को फिट किया। चूंकि यहां बनने वाले हाथ सिर्फ दिखावटी नहीं होते हैं, उनसे बहुत से कार्य भी किये जा सकते हैं, ऐसे में सुभाष ने अपने नये हाथों से सबसे पहले पानी पीने के लिए मास्क हटाया, पानी की बोतल उठायी और धीरे-धीरे मुंह तक ले जाकर जैसे ही पानी पिया, उसकी आंखों की चमक ने उसकी आत्मनिर्भरता की कहानी बयां कर दी। कुछ मिनटों पूर्व तक जो व्यक्ति पानी पीने के लिए दूसरों का सहारा लेने पर मजबूर था, वहीं व्यक्ति अब अपने आप पानी पी पा रहा है यह सुख तो उसने एक्सीडेंट के बाद पहली बार महसूस किया, उसके चेहरे पर खुशी और आत्मनिर्भरता के जो भाव थे, उन्हें सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है।
देखें वीडियो- कृत्रिम हाथ लगने के बाद सुभाष ने खुद उठायी बोतल और पानी पीया
सुभाष बताते हैं कि अफसोस है कि मैंने लम्बा समय कठिनाई में गुजार दिया क्योंकि मुझे तो मालूम ही नहीं था, कि सभी कार्य करने में सक्षम इस तरह के नकली हाथ यहां साढ़े आठ हजार रुपये में बन जायेंगे, ज्ञात हो इन्ही फंक्शन वाले कम्पनियों द्वारा बनाये जा रहे हाईटेक लिम्ब की कीमत करीब पांच लाख रुपये आती है। सुभाष ने बताया कि मैडम ने मुझे बताया है कि किस तरह से हाथों का इस्तेमाल करना है, अब मैं खाना-पीना तथा सभी कार्य खुद करूंगा। उसने बताया कि मैंने अभी दस्तखत भी किये हैं। धीरे-धीरे जब प्रैक्टिस हो जायेगी तो सब कुछ आसान होता चला जायेगा। उसने कहा कि लिम्ब सेंटर ने मुझे जो हिम्मत और हौसला दिया है उसकी जितनी तारीफ की जाये, कम है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं आत्मनिर्भर बन गया हूं, अब मैं अपनी ड्यूटी इलेक्ट्रीशियन के पद पर न करके कार्यालय में लगवाने का अनुरोध करूंगा, ताकि आगे का जीवन यापन हो सके।
