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सप्‍ताह भर तक मॉनीटरिंग के बाद ही मानें कि हाई ब्‍लड प्रेशर का रोग है या नहीं

दिन में तीन बार हफ्ते भर तक बीपी नापने की सलाह दी गयी है गाइडलाइंस में

डॉ नरसिंह वर्मा

लखनऊ। इसको हाईपरटेंशन, उसको हाईपरटेंशन जिसको देखो उसको हाईपरटेंशन, आखिर क्‍या है इसके पीछे का कारण, बदली जीवन शैली, खानपान, तनाव आदि-आदि बहुत से कारण लोग गिनाते हैं, यह सही भी है कि ये कारण हैं लेकिन शायद आपको यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि जिस हल्‍के अंदाज में ब्‍लड प्रेशर की मॉनीटरिंग करके ज्‍यादातर चिकित्‍सक यह घोषित कर देते हैं कि आप हाई हाई ब्‍लड प्रेशर के शिकार हो, वह गलत है। इसके लिए जारी गाइड लाइन के अनुसार ब्‍लड प्रेशर की मॉनीटरिंग सुबह, दोपहर, शाम कम से कम एक सप्‍ताह तक करनी चाहिये, तथा इन मॉनीटरिंग की रिपोर्ट देखकर ही इस नतीजे पर पहुंचना चाहिये कि व्‍यक्ति हाई ब्‍लड प्रेशर का शिकार है।

 

यह बात फीजियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ नरसिंह वर्मा ने ‘सेहत टाइम्‍स’ से एक विशेष वार्ता में कही। उन्‍होंने कहा कि यह बात खास तौर से जिनका ब्‍लड प्रेशर नॉर्मल रेंज  (120/80-140/90) के इर्द-गिर्द रहता है। उन्‍होंने कहा कि हां यह जरूर है कि अगर ब्‍लड प्रेशर 180/110 या इससे ज्‍यादा आये तो फि‍र इंतजार नहीं करना चाहिये, फि‍र चिकित्‍सक की सलाह से दवा लेनी चाहिये। सप्‍ताह भर तक मॉनीटरिंग के बारे में डॉ वर्मा ने बताया कि दरअसल ब्‍लड प्रेशर प्रति पल्‍स टू पल्‍स, मिनट टू मिनट, घंटे प्रति घंटे, दिन प्रतिदिन बदलती रहती है इसलिए ऐसी व्‍यवस्‍था दी गयी है कि एक सप्‍ताह तक रोज सुबह-दोपहर-शाम जब ब्‍लड प्रेशर नापा जायेगा तो सातों दिन में यह अंदाज मिल जाता है कि ब्‍लड प्रेशर का रुख हाई है या नहीं।

 

डॉ वर्मा ने कहा कि ब्रिटिश हाईपरटेंशन सोसाइटी (बीएचएस) और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन(एएचए) ने तीन बार सप्‍ताह भर तक मॉनिटरिंग के बाद ही हाई ब्‍लड प्रेशर होना सुनिश्‍चत करने की गाइडलाइन्‍स जारी कर रखी हैं।

 

 

उन्‍होंने कहा कि चूंकि बार-बार चिकित्‍सक के पास जाने में मरीज को दिक्‍कत न हो और सही तरह से नाप भी हो इसके लिए घर पर ही डिजिटल मशीन से ब्‍लड प्रेशर की नाप लें। उन्‍होंने बताया कि चूंकि पारम्‍परिक मशीन से ब्‍लड प्रेशर नापने में काफी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं इसलिए जबसे बीपी नापने वाली डिजिटल मशीन आ गयी हैं तबसे मरीजों को यही सलाह दी जाती है कि अच्‍छी कम्‍पनी की रिलायबल रिजल्‍ट देने वाली मशीन घर पर रखकर मॉनीटरिंग करें।

 

उन्‍होंने बताया कि एक और चिंता की बात यह है कि जब छात्र मेडिकल की पढ़ाई करता है तब उसे पहले साल ही ब्‍लड प्रेशर नापना सिखाया जाता है उसके बाद के वर्षों में कभी उसे बीपी नापना नहीं सिखाया जाता है, जब पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वे प्रैक्टिस करने की स्थिति में आते हैं तो उनकी आदत में शामिल न होने के कारण बीपी नापने में काफी गलतियां करने की गुंजाइश रहती है। इसलिए मेरा यह सुझाव है कि बीपी नापना सिखाने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किये जाने की जरूरत है।