Friday , April 19 2024

परिवार नियोजन कार्यक्रमों को लागू कराना टेढ़ी खीर

बाल विवाह की स्थिति में पीड़ित पत्‍नी को नहीं मिल सकता कानूनी प्रोटेक्‍शन

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि नीति आयोग द्वारा प्रदेश की रेटिंग नीचे रहने के कारणों में पांच ऐसे बिन्‍दु हैं जो किसी न किसी रूप में जनसंख्‍या नियंत्रण से जुड़े हैं और जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए बने कार्यक्रमों को यूपी में लागू करना एक बड़ी चुनौती है। इन कार्यक्रमों में नसबंदी, गर्भ निरोधक गोलियां का प्रयोग करने के लिए प्रोत्‍साहन, स्‍कूलों में जागरूकता अभियान चलाने जैसे कई कार्यक्रम में धार्मिक परिप्रेक्ष्‍य के चलते रुकावट पैदा होती हैं, और इन कार्यक्रमों का अपेक्षित क्रियान्‍वयन नहीं हो पाता है।

 

सिद्धार्थनाथ सिंह ने विश्‍व जनसंख्‍या दिवस की पूर्व संध्‍या पर योजना भवन में आयोजित संवाददाता सम्‍मेलन में सरकार की इस बेबसी का जिक्र करते हुए कहा कि हालांकि हमने प्रदेश की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को दुरुस्‍त करने के लिए केंद्र की मिशन परिवार विकास योजना को लागू करने का निर्णय लिया है। उन्‍होंने कहा कि सरकार धार्मिक गुरुओं से सम्‍पर्क कर परिवार नियोजन के साधनों का इस्‍तेमाल करने के लिए लोगों को जागरूक करने के प्रयास भी कर रही है। उन्‍होंने कहा कि सरकार के प्रयास का ही नतीजा है कि पिछले साल के मुकाबले परिवार नियोजन के कार्यक्रमों में अधिक सफलता इस साल मिली है।

 

उन्‍होंने कहा कि वित्‍तीय वर्ष 2017-18 की अपेक्षा 2018-19 में इसमें सुधार हुआ है। उन्‍होंने इसका विवरण देते हुए बताया कि पुरुष नसबंदी में 3884 से बढ़कर 3914, महिला नसबंदी में 258182 से बढ़कर 281955, गर्भनिरोधक इंजेक्‍शन अंतरा 23217 से बढ़कर 161365, गर्भ निरोधक गोली 270906 से बढ़कर 287849, गैर हार्मोनल गोली छाया 213327 से बढ़कर 260600 तथा पीपीआईयूसीडी पोस्‍टपार्टम इंट्रा यूट्रीन कॉन्‍ट्रासेप्टिव डिवाइज साधन अपनाने वालों की संख्‍या 300035 से बढ़कर 305250 हुई है।

बेटियों को लेना होगा बहुत समझदारी से काम

मंत्री श्री सिंह ने एक अन्‍य मसले पर ध्‍यान आकर्षित करते हुए कहा कि चूंकि बाल विवाह गैर कानूनी है इसलिए ऐसे विवाह के बाद अगर पति पत्‍नी को छोड़ देता है तो पत्‍नी की हैसियत से मिलने वाली कानूनी संरक्षण नहीं मिल पायेगा, इसलिए बेटियों की यह बहुत बड़ी जिम्‍मेदारी है कि वे इस तरह के विवाह में न फंसें। उन्‍होंने कहा कि अभी भी बाल विवाह हो रहे हैं, इसे रोकने के लिए सरकार की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है, और इसके खिलाफ जागरूकता को और बढ़ाने के लिए सरकार आह्वान करने के लिए सबके बीच में जायेगी।

 

नीति आयोग की टिप्‍पणी के बारे में सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि जिन 23 बिन्‍दुओं के आधार पर नीति आयोग ने टिप्‍पणी की हैं वह हमारी सरकार के पहले से किये जा रहे कार्यों के आधार पर हैं, पहले किये गये कार्यों पर मैं टिप्‍पणी नहीं करूंगा लेकिन जब से हमारी सरकार आयी है, हमने तभी से आकलन किया था तथा 2017 के अंत तक में 23 में से 14 बिन्‍दुओं पर सुधार भी कर लिया है, पांच बिन्‍दु विशेष तौर पर ऐसे थे जिनके आधार पर आयोग ने हमारी रेटिंग नीचे रखी। तीन बिन्‍दु ऐसे थे जिनमें प्रदेश की स्थिति में न तो सुधार हुआ और न ही गिरावट आयी।

 

उन्‍होंने कहा कि रेटिंग नीचे रखने वाले जो पांच बिन्‍दु थे वे कहीं न कहीं जनसंख्‍या पर नियंत्रण पर आधारित हैं, इस पर जब हमारी सरकार आयी तो हमने इस पर चिंता करते हुए 2017 में ही काम शुरू कर दिया है। इसके तहत 57 जनपदों को चिन्हित किया गया जहां पर टीएफआर सकल प्रजनन दर तीन से ऊपर है। जनसंख्‍या को नियंत्रित करने केंद्र की मिशन परिवार विकास योजना का लागू करते हुए इन 57 जनपदों में विशेष रूप से कार्य हो रहा है। उन्‍होंने बताया कि लेकिन इसके तहत परिवार नियोजन के कार्यक्रम जैसे पुरुष नसबंदी पर विशेष ध्‍यान, महिलाओं की नसबंदी, गर्भनिरोधक गोलियां के प्रयोग, स्‍कूलों में जागरूकता जैसे कार्यक्रम लागू करने में धार्मिक परिप्रेक्ष्‍य में कई प्रकार की कठिनाइयां सामने आ रही हैं। इन्‍हें दूर करने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयोग किये जा रहे हैं, जिसके तहत धार्मिक गुरुओं की मदद लेकर जागरूकता की जैसी कोशिशें जारी हैं।

 

उत्‍तर प्रदेश में मातृ मृत्‍यु दर में गिरावट आयी है साथ ही पुरुष नसबंदी सहित परिवार नियोजन के अन्‍य कार्यक्रमों में भी पिछले वर्ष की अपेक्षा प्रगति हुई है। उन्‍होंने कहा कि प्रदेश के स्‍वास्‍थ्‍य सूचकांकों में अपेक्षित सुधार हुआ है। उन्‍होंने कहा कि प्रदेश की मातृ मृत्‍यु दर 201 प्राप्‍त किये जाने में परिवार कल्‍याण कार्यक्रम की महत्‍ता को नकारा नहीं जा सकता है। यही नहीं सकल प्रजनन दर में भी गिरावट दर्ज की गयी है, इस समय यह दर 2.7 है जिसे निकट भविष्‍य में 2.1 तक प्राप्‍त किया जाना है।

 

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि विश्‍व जनसंख्‍या दिवस के उपलक्ष्‍य में 11 जुलाई से 24 जुलाई तक जनसंख्‍या पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसकी थीम ‘परिवार नियोजन से निभायें जिम्‍मेदारी, मां और बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य की पूरी तैयारी’ है। पत्रकार वार्ता में राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के मिशन निदेशक पंकज कुमार व अन्‍य विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे।