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…मरीज का इलाज बीच में छूटेगा तो सुरक्षा चक्र आपका भी टूटेगा

टीबी मुक्‍त मॉडल गांव बनाने की उत्‍तर प्रदेश में शुरुआत

लखनऊ। एक ग्रामीण का डॉक्‍टर से सवाल…डॉक्‍टर साहेब अगर मरीज अपना इलाज बीच में छोड़ देगा तो नुकसान तो उसी का होगा, हम लोग क्‍यों ध्‍यान रखें … डॉक्‍टर का जवाब … जी नहीं, यह सोचना गलत है क्‍योंकि साधारण टीबी का इलाज कर रहा व्‍यक्ति अपना इलाज बीच में छोड़ेगा तो वह कठिन टीबी का मरीज बन जायेगा और ऐसे में उसके संक्रमण से 15 नये मरीज तैयार हो जायेंगे और वे 15 नये मरीज भी उसके आस-पास यानी कि आप लोगों के बीच से ही तो होंगे।

 

जिज्ञासाओं से भरे इस तरह के प्रश्‍नों का जवाब उत्तर प्रदेश के क्षय नियंत्रण टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ सूर्यकांत ने दिये। मौका था टीबी मुक्‍त मॉडल गांव बनाने के लिए गांव को गोद लेने संबंधी समारोह। ज्ञात हो प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की भारत को 2025 तक टीबी मुक्‍त बनाने की घोषणा के मद्देनजर पहली बार उत्‍तर प्रदेश के तीन गांवों को टीबी मुक्‍त बना कर मॉडल के रूप में पेश करने के लिए गोद लिया गया है। ये तीनों गांव राजधानी लखनऊ के हैं। इन तीनों गांवों को एक साल के अंदर टीबी मुक्‍त करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है।

इस तरह हाथ उठा कर दिलायी गयी शपथ

मुख्‍य अतिथि के रूप में मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ नरेन्‍द्र अग्रवाल ने गोद लेने की प्रक्रिया की शुरुआत की। समारोह का आयोजन लोक निर्माण विभाग गेस्ट हाउस अर्जुनपुर में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि यशपाल प्रधान एवं समाजसेवी बृजेश सिंह के संयुक्त सहयोग से संपन्न हुआ। आपको बता दें कि टीबी उन्‍मूलन अभियान के तहत प्रथम चरण में पूरे देश के 10 शहरों को चुना गया है। इसके तहत उत्‍तर प्रदेश में इसके लिए लखनऊ और वाराणसी जिलों को चुना गया है। शहरी क्षेत्र में ऐशबाग के स्‍लम एरिया को गोद लिया जा चुका है अब ग्रामीण क्षेत्र में तीन गांवों को गोद लिया गया है। इन गांवों में डोर टू डोर सर्वे अभियान चलाया जायेगा, जिसमें देखा जायेगा कि किसी व्‍यक्ति को दो सप्‍ताह से खांसी तो नहीं आ रही है। यही नहीं लोगों को जागरूक किया जायेगा कि वे भी देखें कि किसी को दो हफ्ते से खांसी तो नहीं आ रही है। इन गांवों के लिए दो सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र इटौंजा और बख्‍शी का तालाब के चिकित्‍सकों को जिम्‍मेदारी सौंपी गयी है। इनके अलावा केजीएमयू, बीकेटी एवं इटौंजा स्थित डॉट्स सेंटर्स के लोगों, एएनएम, आशा बहुएं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों  तथा अन्‍य स्‍टाफ की ड्यूटी लगायी गयी है।

उपस्थित लोगों ने इस तरह हाथ उठाकर ली शपथ।

डॉ सूर्यकांत ने बताया कि टीबी बीमारी भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की एक प्रमुख समस्या है। दुनिया के 27% टीबी रोगी भारत में रहते हैं। प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुपालन में 2 नवंबर 2018 को डॉ सूर्यकांत की अगुवाई में लखनऊ को टीबी मुक्त बनाने का शुभारंभ किया गया था। इसी क्रम में लखनऊ शहर के प्रथम गांव चक पृथ्वीपुर, अर्जुनपुर को टीबी मुक्त करने के लिए गोद लिया गया। इसका शुभारंभ लोक निर्माण विभाग गेस्ट हाउस अर्जुनपुर में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि यशपाल प्रधान एवं समाजसेवी बृजेश सिंह के संयुक्त सहयोग से संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में लखनऊ के सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम के प्रमुख आयोजक डॉ सूर्यकांत ने स्वास्थ्य कर्मचारी एवं ग्रामीणों को बताया कि जिस किसी को 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी आए वह नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपना जांच कराएं और टीबी की पुष्टि होती है तो इलाज बीमारी समाप्ति तक चलाना है।

 

डॉ सूर्यकांत ने यह भी बताया कि टीबी की बीमारी, धूम्रपान करने एवं गंदगी में रहने की वजह से ज्यादा फैलती है अतः हम सभी को धूम्रपान से बचकर एवं गांव में साफ सफाई रखना है। डॉ सूर्यकांत ने मौजूद युवाओं को टीबी, तम्‍बाकू और प्रदूषण के खिलाफ हाथ उठाकर शपथ भी दिलायी।

 

इस अवसर पर सीएमओ डॉ नरेंद्र अग्रवाल ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि लखनऊ जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मचारी इस शहर को स्वास्थ्य की सारी सुविधाएं हर जनता तक पहुंचाने के लिए वचनबद्ध है, तथा आयुष्मान भारत समेत सभी केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी दी तथा हर जनता को इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित प्रेरित किया। ग्राम के प्रसिद्ध उद्यमी पवन सिंह ने  गांव के लिए  हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम का संचालन बृजेश सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रधान प्रतिनिधि यशपाल प्रधान ने किया। कार्यक्रम में केजीएमयू के डॉ अमित राज शर्मा एवं डॉक्टर तारिक, बीकेटी सीएचसी के डॉ मिश्र व इटौंजा सीएचसी के डॉ संदीप यादव, डॉट्स सेंटर के उदय शंकर, विवेक धन्वन्तरि सेवा संस्थान से संतोष उपस्थित रहे।