विश्व हिन्दी सम्मेलन में आमंत्रित केजीएमयू के प्रो सूर्यकान्त ने इस पेशकश के साथ दिये कई सुझाव
लखनऊ। आज जब हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) में सातवीं भाषा में सम्मिलित करने का प्रयास किया जा रहा है ऐसे में हिन्दी को बढ़ावा देने की जरूरत उन क्षेत्रों में भी है जिन क्षेत्रों में भारत के अंदर भी अंग्रेजी का प्रयोग ज्यादा होता हैं। ऐसे में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो सूर्यकांत ने अपनी हिन्दी के प्रति रुचि के चलते चिकित्सा विज्ञान के हिन्दी शब्द कोष को लिखने की पेशकश की है। आपको बता दें कि तीन दशकों से हिन्दी को बढ़ावा देने में लगे प्रो सूर्यकांत ने 1991 में अपनी एमडी की थीसिस भी हिन्दी में लिखी थी, हिन्दी में लिखी होने के कारण इसे बाद में उत्तर प्रदेश विधान सभा द्वारा पारित एक विशेष प्रस्ताव के बाद स्वीकृति मिली थी।
मॉरीशस में सम्पन्न हुए विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रोफेसर सूर्यकांत ने अपनी MD की हिंदी में लिखी थीसिस और स्वलिखित पुस्तकें मॉरीशस के विश्व हिंदी सचिवालय के पुस्तकालय और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भेंट कीं। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किये गये डॉ सूर्यकांत ने अपने सम्बोधन के दौरान दिये गये सुझावों में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी के शब्दकोष के लेखन की पेशकश की।
उन्होंने कहा कि हिन्दी के लिए चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में मौजूदा उपलब्ध हिन्दी शब्द कोष बहुत ही दुरुह है, इसलिए इसे फिर से लिखने की आवश्यकता है। अपने सुझाव में उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा तभी समृद्ध और शक्तिशाली मानी जाती है जब वह जीवन के सभी क्षेत्र और आयाम में समृद्ध और शक्तिशाली हो। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को स्थापित करने के लिए शुरू किये गये कार्य को और विस्तार दिये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विश्व हिन्दी सम्मेलन में एक सत्र विज्ञान और हिन्दी का भी समाहित किया जाना चाहिये जिससे हिंदी भाषा को विज्ञान के विभिन्न क्षेत्र जैसे अभियांत्रिकी, चिकित्सा विज्ञान, वैदिक गणित तथा अन्य में विकसित किया जा सके। प्रोफेसर सूर्यकांत ने बताया कि यूएनओ ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हर शुक्रवार को एक हिंदी समाचार का प्रसारण शुरू किया है।