-भोपाल एम्स के निदेशक प्रो अजय कुमार सिंह को गोरखपुर एम्स के निदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार

सेहत टाइम्स
लखनऊ। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बेटे-बेटी को फर्जी सर्टिफिकेट के जरिये एम्स अस्पताल में जॉइन कराने के आरोपी एम्स गोरखपुर के निदेशक डॉ जीके पाल को उनके पद से हटा दिया है। उनका कार्यकाल दो अक्टूबर तक था। डॉ पाल के पास पटना एम्स के निदेशक की भी जिम्मेदारी है, और प्रमाणपत्र एम्स पटना के निदेशक के आवास के पते से ही बनवाया गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि पटना एम्स में भी डॉ पाल के खिलाफ जांच हो सकती है। डॉ पाल को हटाये जाने के बाद गोरखपुर एम्स के निदेशक पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी एम्स भोपाल के निदेशक प्रो अजय कुमार सिंह को सौंपी गयी है, उन्हें तीन माह के लिए यह जिम्मेदारी दी गयी है।
डॉ पाल के खिलाफ यह कार्रवाई फर्जीवाड़े में उनका नाम आने के बाद की गई है। फर्जीवाड़े के केस में डॉ जी के पाल के ऊपर अपने बेटे और बेटी को फर्जी सर्टिफिकेट के जरिये एम्स हॉस्पिटल में ज्वाइनिंग कराने का आरोप है।
मीडियो रिपोर्ट के अनुसार, डॉ जीके पाल ने अपने बेटे ओरो प्रकाश पाल को फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर गोरखपुर एम्स के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में एमडी-पीजी कोर्स में दाखिला दिलवाया था। जब जांच हुई तो सामने आया कि बेटे ही नहीं उन्होंने अपनी बेटी को भी फर्जी तरीके से एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में सीनियर रेसिडेंट के पद पर जॉइनिंग करवा रखी थी।
फर्जीवाड़े में डॉ जी के पाल के बेटे आरो पाल ने नियुक्ति से पहले जमा करवाए इनकम सर्टिफिकेट में सालाना आय मात्र 8 लाख रुपये दर्शाई थी, इसके साथ ही ओरो ने नॉन क्रीमीलेयर और दानापुर बिहार के पते पर ओबीसी जाति के प्रमाण पत्र भी जमा करवाए थे। लेकिन पूरा मामला खुलने पर पता चला कि ओरो के पिता खुद गोरखपुर एम्स और पटना के निदेशक पद पर कार्यरत हैं।
ज्ञात हो इससे पहले भी गोरखपुर एम्स में फर्जी तरीके से जॉइनिंग करवाने के मामला सामने आ चुका है। गोरखपुर एम्स की पूर्व निदेशक सुरेखा किशोर ने भी फर्जी सर्टिफिकेट की मदद से अपने बेटे को जूनियर रेजिडेंट के पद पर तैनाती करवाई थी, जिसके बाद सुरेखा किशोर को इसी आरोप में उन्हें पद से हटाया गया था।

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