Saturday , November 23 2024

खतरनाक स्तर तक प्रदूषण के जहर ने मुश्किल कर दिया संगम में डुबकी लगाना

गंगा का पानी कई शहरों में प्रदूषण के खतरनाक लेवल पर

वायु प्रदूषण के साथ ही जल प्रदूषण की स्थिति भी भयावह है. इलाहाबाद में पावन गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियों का मिलन होता है, इसे हिंदू धर्म में बहुत पवित्र स्थान के तौर पर देखा जाता है। देश के करोड़ों लोगों की आस्था इससे जुड़ी है। लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते अब यहाँ डुबकी लगाना मुश्किल हो गया है क्योंकि गंगा नदी में सीवेज के जरिए डाले जाने वाला मल-मूत्र इसे काफी नुकसान पहुंचा रहा है। यहां फीकल कोलिफोर्म बैक्टीरिया भयावह स्तर पर पहुंच चुका है, जोकि नदी में मल की वजह से बनता है। गंगा नदी में मल को एक निश्चत सीमा तक ही डालने की इजाजत है, लेकिन यह अपनी निश्चित सीमा से काफी ज्यादा पहुंच चुका है। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार यहां 2017 में यह मात्रा तय सीमा से कहीं अधिक पहुंच चुकी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संगम में मल बैक्टीरिया यानि फीकल कोलीफोर्म (एफसी) की तय सीमा 5-13 गुना अधिक है, लिहाजा संगम में डुबकी लगाना आपके लिए काफी हानिकारक हो सकता है। एफसी बैक्टीरिया जिसमे ई कोली नाम का बैक्टीरिया होता है, यह सीवर से आता है। इसकी निर्धारित सीमा प्रति 100 मिली लीटर एफसी 500 है जोकि बढ़कर 2500 तक पहुंच चुकी है। संगम तट के चारों तरफ प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है, जहां लोगों की भारी आबादी काफी नुकसान पहुंचा रही है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े के अनुसार उत्तर प्रदेश के 16 स्टेशन पर 50 फीसदी से अधिक जगहों पर तय सीमा से अधिक एफसी पाया गया है।

बताया जाता है कि वहीं बिहार के तटों को देखें तो यहां 88 फीसदी जगहों पर तय सीमा से अधिक एफसी है। सबसे अधिक प्रदूषण वाली जगहें कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी हैं। कानपुर के जाजमऊ पंपिंग स्टेशन पर 2017 मे एफसी लेवल 10-23 गुना अधिक है। 2011 में भी यहां एफसी लेवल 4000 से 93000 पाया गया था। वाराणसी के मालवीय ब्रिज में एफसी लेवल 13-19 गुना अधिक है। बिहार के बक्सर में रामरेखाघाट पर एफसी लेवल 2017 में 16000000 पहुंच गया था जोकि 6400 गुना अधिक है।

2017 के आंकड़े के विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि पांच राज्यों में गंगा नदी की स्थिति काफी बदतर है, जिसमे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। यहां 2017 के आंकड़ों के अनुसार गंगा की स्थिति काफी बदतर है। अधिकतर जहां पर सीवेज ट्रीटमेंट का प्रस्ताव पिछले कुछ वर्षों में पारित हुआ है, लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं आया है। उत्तर प्रदेश में 65 फीसदी स्टेशन पर परिणाम 2017 में असंतोषजनक आए थे। बिहार में 76 फीसदी स्टेशन के परिणाम असंतोषजनक हैं, यहां पानी की गुणवत्ता काफी खराब है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.