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ब्रेस्ट कैंसर : एक ही सर्जरी में कैंसरयुक्त हिस्सा निकालना फिर नया ब्रेस्ट बनाना संभव

-इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की लखनऊ शाखा ने विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस पर आयोजित किये व्याख्यान

सेहत टाइम्स

लखनऊ। विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की लखनऊ शाखा ने आईएमए भवन पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया। इसमें महिलाओं के निजी अंगों के क्षतिग्रस्त होने या जन्मजात न होने की दशा में रीकन्स्ट्रक्शन सर्जरी, माइक्रोसर्जरी और बर्न के मरीजों की सर्जरी के साथ ही उनके पुनर्वास में प्लास्टिक सर्जन की भूमिका के बारे में बताते हुए उपचार के बारे में विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी गयी।

समारोह में आईएमए के पूर्व अध्यक्ष व कई सरकारी संस्थानों में अहम पदों पर अपनी सेवाएं देने वाले वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ एके सिंह को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। डॉ सिंह ने अपने सम्बोधन में प्लास्टिक सर्जंरी दिवस के नेशनल से इंटरनेशनल बनने के बारे में जानकारी दी।

समारोह में आईएमए लखनऊ की अध्यक्ष डॉ विनीता मित्तल, अगले वर्ष के लिए अध्यक्ष निर्वाचित डॉ सरिता सिंह के साथ ही समारोह संचालन की जिम्मेदारी निभाते हुए आईएमए सचिव डॉ संजय सक्सेना ने भी अपने विचार रखे। समारोह में आईएमए लखनऊ के निवर्तमान अध्यक्ष डॉ जेडी रावत, डॉ सरस्वती देवी, डॉ बृजेश कुमार भी उपस्थित रहे।

डॉ मुक्ता वर्मा

कैंसर की बीमारी जीवन का अंत नहीं : डॉ मुक्ता वर्मा

व्याख्यान शृंखला की शुुरुआत कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट की असिस्टेंट प्रोफेसर प्लास्टिक सर्जन डॉ मुक्ता वर्मा के ब्रेस्ट की ऑन्को-प्लास्टिक सर्जरी के बारे में दिये गये प्रेजेन्टेशन से हुई। ब्रेस्ट कैंसर के उपचार में ऑन्को-प्लास्टिक सर्जरी को सर्वोत्तम बताते हुए डॉ मुक्ता वर्मा ने कहा कि महिलाओं में सबसे कॉमन कैंसर ब्रेस्ट कैंसर है। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि महिलाएं कम से कम माह में एक बार आईने के सामने खड़े होकर अपने स्तनों की स्वयं जांच करें, गांठ महसूस होते ही चेक करायें, इसे छिपायें नहीं, न ही अपने मन से उसका उपचार करें। अगर कैंसर डायग्नोज होता है तो घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज के जमाने में कैंसर की बीमारी जीवन का अंत नहीं है। उन्होंने कहा कि जितनी जल्दी इसका इलाज हो जाता है उतना ही ठीक रहता है, अगर ब्रेस्ट का एक हिस्सा निकालना भी पड़ जाये तो भी निकाले हुए हिस्से की पूर्ति उसी महिला के शरीर के अन्य भाग से मांस निकाल कर की जाती है। इसके लिए अब जो सर्जरी की जा रही है उसे ऑन्को-प्लास्टिक सर्जरी कहते हैं। इस सर्जरी में एक ही बार सर्जरी कर कैंसर निकाल भी दिया जाता है और ब्रेस्ट का रीकन्स्ट्रक्शन भी कर दिया जाता है। डॉ मुक्ता वर्मा ने कहा कि कल्याण सिंह कैंसर इंस्टीट्यूट में ब्रेस्ट की ऑन्को प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा एक ही छत के नीचे उपलब्ध है।

कैंसर सुपर स्पेशियलिटी इंस्टीट्यूट में ब्रेस्ट की ऑन्को प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध

डॉ मुक्ता ने बताया कि ऑन्को-प्लास्टिक ब्रेस्ट सर्जरी की महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें ऑन्कोलॉजी के सिद्धांत और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है, ऑन्को सर्जन ब्रेस्ट में कैंसरग्रस्त हिस्से को हटाता है और रीकन्स्ट्रक्शन सर्जरी प्लास्टिक सर्जन करता है, ऐसे में सर्जरी के समय ऑन्को सर्जन के साथ प्लास्टिक सर्जन की मौजूदगी भी आवश्यक है क्योंकि ब्रेस्ट की रीकन्स्ट्रक्शन सर्जरी में आकार का बहुत ध्यान रखना होता है, ब्रेस्ट के हिस्से को इस प्रकार रिमूव किया जाना चाहिये जिससे रीकन्स्ट्रक्शन प्लास्टिक सर्जरी के बाद स्तन बेडौल न लगे, दोनों स्तनों के आकार एक से हों। ऑन्को-प्लास्टिक ब्रेस्ट सर्जरी के परिणाम मरीजों हित में हैं। डॉ मुक्ता वर्मा ने कहा कि कल्याण सिंह कैंसर सुपर स्पेशियलिटी इंस्टीट्यूट में एक ही सिटिंग में ब्रेस्ट की ऑन्को प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा एक छत के नीचे उपलब्ध है।

डॉ मुक्ता ने बताया कि ब्रेस्ट टिश्यू आज महिला के शरीर के किसी भी हिस्से से बना सकते हैं, जैसा कि मशहूर फिल्म अभिनेत्री महिमा चौधरी की ब्रेस्ट सर्जरी में किये गये। पूरा ब्रेस्ट बनाने के लिए हम एब्डॉमिन का उपयोग कर रहे हैं।

डॉ मुक्ता ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि मरीज को सभी मौजूद ऑप्शन बताये जायें कि किस-किस प्रकार की सर्जरी उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि पूरा ब्रेस्ट निकालने के बाद ब्रेस्ट के आकार का बना प्रॉस्थिसिस एक्स्टर्नल रूप से प्रयोग करने की सलाह भी कुछ डॉक्टर देते हैं लेकिन इसका प्रयोग करना सबके लिए आसान नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि एक दूसरा तरीका होता है इम्प्लांट बेस्ड रीकन्स्ट्रक्शन। जो 2013 में हॉलीवुड अभिनेत्री एंजलीना जॉली के केस में हुआ था। इसमें इम्प्लांट डाल कर सर्जरी की जाती है। यह बहुत सफल है, आज भी वह आराम से अपनी मूवी कर रही हैं।

डॉ रवि कुमार

जबड़ा, जीभ जैसे अंग बनाने में माइक्रोसर्जरी की अहम भूमिका : डॉ रवि कुमार

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रवि कुमार ने कैंसर सर्जरी में माइक्रोसर्जरी की भूमिका विषय पर व्याख्यान दिया।
डॉ रवि कुमार ने बताया कि माइक्रोसर्जरी में बॉडी के किसी हिस्से से हड्डी लेकर जबड़ा, मुंह आदि बनाया जाता है, हड़डी के साथ खून की नसें भी होती हैं जिन्हें माइक्रोस्कोप के माध्यम से जोड़ा जाता है जिससे रक्त का संचार होता रहे। उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर इस जटिल सर्जरी में छह से सात घंटे लगते हैं। उन्होंने बताया कि इसे जोड़ने के लिए बाल से भी पतला धागा आता है जो बिना माइक्रोस्कोप के नहीं दिखता है।
उन्होंने बताया कि मुंह के कैंसर में माइक्रोसर्जरी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, इसमें जबड़ा, जीभ बनाने जैसी सर्जरी में बाल से भी महीन धागे का प्रयोग किया जाता है। यह धागा बिना माइक्रोस्कोप के देखना संभव नहीं है।

डॉ संध्या पाण्डेय

बर्न केसेज में सर्जरी के साथ ही पुनर्वास का बहुत महत्व : डॉ संध्या पाण्डेय

केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संध्या पाण्डेय ने कहा कि आग से जलने के केसेज भारत में बहुत आ रहे हैं। मरीज को जलने के कारण तो ट्रॉमा होता ही है, जब ठीक हो जाता है तो भी बाद में भी मरीज को कई प्रकार की दिक्कतेें आती हैं, ऐसे मरीजों के पुनर्वास के लिए उसके जीवन को सुगम बनाने की दिशा में हम लोग कार्य कर रहे हैं। कई बार ऐसा होता है कि मरीज को हम ठीक करके भेजते हैं लेकिन वह बतायी हुई सलाह को घर पर फॉलो नहीं कर पाता है, जिससे उसे फिर से दिक्कत शुरू हो जाती है, बाद में केस और बिगड़ने के बाद वह फिर अस्पताल आता है। ऐसे में हमारी शुरू से यह कोशिश रहती है कि ट्रीटमेंट के साथ ही पुनर्वास का भी ध्यान रखें, क्योंकि उपचार की सफलता पुनर्वास पर निर्भर करती है, ट्रीटमेंट कितना भी अच्छा हो लेकिन अगर बाद में ध्यान न दिया गया तो केस बिगड़ जाता है। हम लोग फॉलोअप के लिए मरीज को बुलाते हैं, अगर नहीं आ सकता है तो टेलीमेडिसिन के जरिये उसे सलाह दी जाती है। मरीज के अंगों को सपोर्ट देने के उपकरण, फीजियोथैरेपी कराना सुनिश्चित करते हैं। कई बार घरवालों के सपोर्ट न करने के कारण मरीज डिप्रेशन में चले जाते हैं, उन्हें मानसिक तनाव आ जाता है। इसलिए हम लोग मरीजों की मानसिक स्थिति का आकलन करा कर मनोचिकित्सक/मनोवैज्ञानिक से उनका इलाज कराया जाता है।

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